सीआइसी के आदेश के बावजूद पीएमओ ने भ्रष्ट मंत्रियों की नहीं दी जानकारी
प्रधानमंत्री कार्यालय ने भ्रष्टाचार में फंसे केंद्रीय मंत्रियों की जानकारी देने से साफ मना कर दिया है, जबकि सीआइसी ने पीएमओ को 15 दिन के अंदर देने के निर्देश दिए थे।
हल्द्वानी, जेएनएन : प्रधानमंत्री कार्यालय ने भ्रष्टाचार में फंसे केंद्रीय मंत्रियों की जानकारी देने से साफ मना कर दिया है, जबकि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) ने फैसला सुनाते हुए पीएमओ को 15 दिन के भीतर यह जानकारी चर्चित आइएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी को देने को कहा था। अब चतुर्वेदी ने पीएमओ के आदेश को असंवैधानिक बताया है।
चर्चित आइएफएस व वन संरक्षक (अनुसंधान) उत्तराखंड संजीव चतुर्वेदी ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत पीएमओ से जून 2014 से अगस्त 2017 के बीच केंद्रीय मंत्रियों के भ्रष्टाचार के मामले, उसकी जाच व पीएमओ द्वारा की गई कार्रवाई का ब्यौरा मागा था। पिछले साल पीएमओ ने जवाब देते हुए कहा कि जानकारी अस्पष्ट है, लिहाजा नहीं मिलेगी। इसके बाद चतुर्वेदी ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) में अपील की। इस साल 16 अक्टूबर को आयोग ने संजीव के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पीएमओ को 15 दिन के भीतर उक्त जानकारी देने का आदेश किया। सीआइसी द्वारा तय तिथि खत्म होने के बावजूद पीएमओ ने आरटीआइ में मागी गई जानकारी देने से मना कर दिया है। उसका कहना है कि इन मामलों पर जांच के बाद कार्रवाई हुई, लेकिन यह जानकारी अस्पष्ट व पीएमओ के कई दफ्तरों में बिखरी पड़ी है। पीएमओ के पास पूरे डाटा को जुटाने के लिए संसाधन ही नहीं है। इस वजह से आरटीआइ का जवाब नहीं मिलेगा।
सूचना के अधिकार का उल्लंघन
आइएफएस संजीव पीएमओ के जवाब न देने को सीधा सीआइसी के आदेश व सूचना का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन बताते हैं। उन्होंने कहा कि अधिनियम 7(9) का हवाला देकर जानकारी देने से मना किया गया है, जबकि इस अधिनियम के तहत यह कहना पूरी तरह गलत है। इसमें कई पहलू हैं। एक, यदि जिस स्वरूप में जानकारी मागी है, उसमें देने में दिक्कत आ रही हो तो संबंधित विभाग अपने तरीके से सूचना दे सकता है, पर सीधा मना नहीं कर सकता। दूसरा, आवेदक को खुद उस ऑफिस में बुलाकर दस्तावेज दिखाए जा सकते हैं, जो कागज उसे चाहिए उसकी फोटोकॉपी का भुगतान करना होता है। इसके अलावा अगर संसाधनों की वास्तव में कमी है पर आवेदक जानकारी हर हाल में चाहता है तो दस्तावेज खंगालने में जुटे कर्मचारी की उस अवधि का वेतन भुगतान आवेदक को करना होगा।
संजीव ने कहा असंवैधानिक है पीएमओ का जवाब
संजीव चतुर्वेदी, सीनियर आइएफएस ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े, कोर्ट में विचाराधीन मामले व जिन मामलों की जाच चल रही है, उनकी जानकारी देने से मना किया जा सकता है, लेकिन इस मामले में पीएमओ ने आयोग के आदेश व आरटीआइ नियम को ताक पर रखा है। सीआइसी के आदेश के बाद सीधा मना करने के बजाय पीएमओ हाई कोर्ट में अपील कर सकता था। पीएमओ का जवाब असंवैधानिक है।
16 बिंदुओं पर मागी थी जानकारी
संजीव ने मंत्रियों के भ्रष्टाचार समेत 16 बिंदुओं की सूचना मागी थी। इसमें विदेशों से कालाधन लाने की प्रक्रिया, मेक इन इंडिया के तहत तैयार स्वदेशी उत्पादों का ब्यौरा, विज्ञापन पर खर्च रकम, स्मार्ट सिटी की सूची व उन पर क्या काम हुआ आदि बिंदु शामिल थे।
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