साहित्य चोरी पर लगाम कसने के लिए उरकुंड सॉफ्टवेयर की ली जाएगी मदद NAINITAL NEWS
यदि आप एमफिल या पीएचडी करने के लिए अपने शोध में चोरी के साहित्य का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आप आसानी से पकड़ में आ सकते हैं।
हल्द्वानी, भानु जोशी : यदि आप एमफिल या पीएचडी करने के लिए अपने शोध में चोरी के साहित्य का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आप आसानी से पकड़ में आ सकते हैं। प्लेगैरिज्म डिटेक्शन सॉफ्टवेयर (पीडीएस) उरकुंड आपकी चोरी पलभर में पकड़ लेगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार ने विश्वविद्यालयों/संस्थानों को साहित्यिक चोरी का पता लगाने वाला पीडीएस उरकुंड देने के लिए सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क (इंफ्लीब्नेट) को जिम्मेदारी सौंपी है। सेंटर की ओर से स्वीडन के इस सॉफ्टवेयर की ट्रेनिंग इन दिनों सभी विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों को दी जा रही है। ट्रायल के बाद एक सितंबर से सॉफ्टवेयर का निश्शुल्क उपयोग साहित्य चोरी पकडऩे में किया जा सकता है। यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने वेबसाइट पर इस संबंध में जानकारी अपलोड करते हुए इंफ्लीब्नेट के वैज्ञानिक मनोज कुमार से संपर्क करने को कहा है।
ऐसे काम करेगा सॉफ्टवेयर
नाम न छापने की शर्त पर इंफ्लीब्नेट के एक अधिकारी ने बताया कि जैसे ही किसी शोध को सॉफ्टवेयर में डाला जाएगा। वह यह बता देगा कि शोध का साहित्य कहां से कॉपी किया गया है और अब तक कितनी बार कॉपी किया जा चुका है।
इंजीनियरिंग व मेडिकल कॉलेज नहीं ले सकेंगे सुविधा
अधिकारी ने बताया कि यूजीसी के मानकों के अनुसार संचालित होने वाले आईआईटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी, डीम्ड यूनिवर्सिटी आदि इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकते हैं, मगर इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, एमबीए इंस्टीट्यूट इसे इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
35 फीसदी साहित्य चोरी का होने की कही थी बात
यूजीसी ने बीते दिनों एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि एमफिल और पीएचडी के शोध में 35 फीसद साहित्यिक चोरी हो रही है। रिपोर्ट में लिखा गया था कि 2010 से 2014 के बीच शोध प्रकाशन में सबसे अधिक फर्जीवाड़ा हुआ था।
70 फीसद चोरी पकड़ेगा सॉफ्टवेयर
प्रो. ओपीएस नेगी, कुलपति, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने कहा कि यह बेहतरीन सॉफ्टवेयर है। 70 फीसद चोरी पकड़ लेगा। इसे हम अपने विश्वविद्यालय में भी शुरू करा रहे हैं। निश्चित तौर पर यह सॉफ्टवेयर शोध गुणवत्ता को लेकर बेहतर साबित होगा।
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