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Hydroponics Farming : उत्तराखंड में ग्रामीणों ने शुरू की भविष्य की खेती, बिना मिट्टी सिर्फ पानी में उपजाएंगे सब्जी और चारा

Hydroponics Farming विज्ञान के कारण खेती में नए-नए प्रयोग संभव हो रहे हैं। उत्तराखंड के सीमांत जिले पथौरागढ्र के ग्रामीणों हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से खेती शुरू की है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 01:11 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 01:11 PM (IST)
Hydroponics Farming : उत्तराखंड में ग्रामीणों ने शुरू की भविष्य की खेती, बिना मिट्टी सिर्फ पानी में उपजाएंगे सब्जी और चारा
Hydroponics Farming : उत्तराखंड में ग्रामीणों ने शुरू की भविष्य की खेती, बिना मिट्टी सिर्फ पानी में उपजाएंगे सब्जी और चारा

पिथौरागढ़, जेएनएन : Hydroponics Farming : विज्ञान के कारण खेती में नए-नए प्रयोग संभव हो रहे हैं। उत्तराखंड के सीमांत जिले पथौरागढ्र के ग्रामीणों हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से खेती शुरू की है। बगैर मिट्टी के केवल पानी में होने वाली इस खेती के जरिए सब्जी और चारे का उत्पादन होगा। वैज्ञानिक इसे भविष्य की खेती मान रहे हैं।

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उद्यान विभाग ने बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट योजना (बीएडीपी) के तहत जिले के मूनाकोट विकास खंड में इसकी शुरू आत की है। पहले चरण में 50 ग्रामीणों का चयन इस योजना के लिए किया गया है। इसके लिए उन्हें रक्षा अनुसंधान विकास संस्थान (डीआरडीओ) की इकाई जैव ऊर्जा रक्षा अनुसंधान संस्थान (डिबेर) के वैज्ञानिकों ने प्रशिक्षण दिया। ग्रामीणों को योजना के तहत हाइड्रोपोनिक्स फौडर ट्रे उपलब्ध कराई गई है।

जिसमें किसान केवल पानी में ही सब्जी और चारे का उत्पादन करेंगे। इस तकनीक के जरिए उत्पादन के लिए जमीन की जरू रत नहीं होती है, केवल फौडर ट्रे में ही उत्पादन किया जा सकता है। शुरुआती नतीजे उत्साहजनक हैं किसान घर पर ही सब्जियां और चारा तैयार कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि आबादी बढऩे के साथ जोत कम होगी और तब हाइड्रोपोनिक्स जैसी तकनीक से ही सब्जी, चारा आदि उत्पादित होगा।

इस तरह होता है उत्पादन

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में उत्पादक के पास फौडर ट्रे होती है, जिसमें पानी भरा जाता है। इसी ट्रे में पौध लगाई जाती है। पौध को पानी के जरिए कार्बन, फास्फोरस, हाईड्रोजन, सल्फर, नाइट्रोजन, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नेशियम जैसे पोषक पदार्थ तरल रूप में दिए जाते हैं। ट्रे में टाइमर भी लगा रहता है, पौधे को कितने समय पोषक पदार्थ की जरूरत होगी यह टाइमर से तय हो जाएगा।

योजना के नतीजे हैं उत्‍साहजनक

आरएल वर्मा जिला उद्यान अधिकारी, पिथौरागढ़ ने बताया कि मूनाकोट में शुरू की गई योजना के नतीजे उत्साहजनक हैं। किसान इसमें खासी रू चि दिखा रहे हैं। भविष्य में भारत नेपाल सीमा से जुड़े अन्य गांवों में भी योजना का विस्तार किया जाएगा। इस तकनीक से उत्पादन में प्राकृतिक आपदा की मार का भय नहीं रहेगा।


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