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भूस्खलन बचाने में मददगार है फिलो स्टैकाइसनिग्रा, 200 से 500 रुपये तक में आता है पौध, पलायन रोकने में भी है सहायक

चाइना समेत अनेक देशों में इसका उपयोग बड़े बड़े भूस्खलन वाले क्षेत्रों में भूस्खलन रोकने के लिये किया गया है। इसका तना ( राइजोम) बड़ी तेजी से धरती के अन्दर फैलता है तथा भूमि के अंदर एक जाल बना लेता है और मिट्टी को बांधे रहता है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 10:28 AM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 11:27 AM (IST)
भूस्खलन बचाने में मददगार है फिलो स्टैकाइसनिग्रा, 200 से 500 रुपये तक में आता है पौध, पलायन रोकने में भी है सहायक
वर्तमान में इसको भारत में खूबसूरती के लिये उगाया जा रहा है।

जागरण संवाददाता, भीमताल (नैनीताल) : केदारनाथ जैसी बर्फीली चोटियों में भी आने वाले समय में बांस दिखायी देगा। यह बांस ना केवल सुंदरता के लिये होगा बल्की भूस्खलन रोकने में भी कारगर होगा। चायनीज बांस की पौध इन दिनों भीमताल की फूलों की घाटी में तैयार की जा रही है। अन्य बांस से भिन्न फिलो स्टैकाइसनिग्रा भूस्खलन को रोकने में कारगर है। इतना ही नहीं  जहां आम भारतीय बांस बैंबूसा बैंबूस (कटंग बांस) स्टिकहस (लाठी बांस) समुद्र तल से ढाई हजार फुट  की ऊंचाई तक पाये जाते हैं! वहीं फिलो स्टैकाइसनिग्रा  -15 डिग्री सेंटीग्रेड तक उग सकता है। जहां एक ओर भारतीय बांस में पाले की मार का असर है वहीं फिलो स्टैकाइसनिग्रा पाले की मार से बेअसर है।

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फिलो स्टैकाइसनिग्रा  की भूस्खलन रोकने की प्रवृति से ज्यादा जाना जाता है। चाइना समेत अनेक देशों में इसका उपयोग बड़े बड़े भूस्खलन वाले क्षेत्रों में भूस्खलन रोकने के लिये किया गया है। आम तौर पर 15 फिट की ऊंचाई वाले फिलो स्टैकाइसनिग्रा का तना ( राइजोम) बड़ी तेजी से धरती के अन्दर फैलता है तथा भूमि के अंदर एक जाल बना लेता है और मिट्टी को बांधे रहता है। 

फूलों के विशेषज्ञ ओर पुष्प उत्पादक अखिलेश त्यागी बताते हैं कि आम तौर पर बांस सिमपोडियम ( गुच्छे के रूप में उगने वाले पौध ) होते हैं पर फिलो स्टैकाइसनिग्रा मोनो पोडियल (पौध जो अकेले उगता है  और नया पौध पुराने पौध से दूरी पर उगता है। ) है। इसका लाभ यह है कि बड़े क्षेत्र को लाभांवित करने में फिलो स्टैकाइसनिग्रा की पौध कम लगती है।

वर्तमान में इसको भारत में खूबसूरती के लिये उगाया जा रहा है। पर कई गैर सरकारी संस्थाओं ने जो कि पर्यावरण में कार्य कर रही हैं और भूस्खलन को रोकने के उपाय में शोध व सर्वे का कार्य कर रही है फिलो स्टैकाइसनिग्रा में दिलचस्पी दिखायी है। त्यागी के अनुसार भारत की फूल बाजारों में फिलो स्टैकाइसनिग्रा की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रही है । वर्तमान में फिलो स्टैकाइसनिग्रा की एक पौध की कीमत दो सौ से पांच सौ तक हैं। डा त्यागी ने बताया कि जहां भारतीय बांस जिसमें मुख्यत बैंबूसा बैंबूस (कटंग बांस) स्टिकहस (लाठी बांस) के राइजोम ना के बराबर फैलते हैं! वहीं फिलो स्टैकाइसनिग्रा  के राइजोम की बढऩे की क्षमता इतनी अधिक है कि प्रति हैक्टेयर फिलो स्टैकाइसनिग्रा के राइजोम चार सौ किमी तक फैल जाते हैं और एक बांस का पौधा ही बहुत बड़े क्षेत्र के भूस्खलन को रोक सकता है।

पलायन को भी रोकने में सहायक है फिलो स्टैकाइसनिग्रा

उच्च स्थलीय क्षेत्रों में जहां नवयुवकों का पलायन सर्वाधिक माना गया है ।वहीं फिलो स्टैकाइसनिग्रा की पौध की नर्सरी निर्माण का नवयुवकों का पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोका जा सकता है । इतना ही नहीं फिलो स्टैकाइसनिग्रा को उगाने के बाद बांस उगाने वाला व्यक्ति दूसरे कई लोगों को बांस के फर्नीचर,टोकरी, सोफा सेट का निर्माण कर रोजगार उपलब्ध करा सकता है।


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