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पड़ोसी राज्यों से वध के लिए लाए जा रहे जानवरों पर रोक लगे, हाईकोर्ट ने कहा पीआइएल लगाएं

हाई कोर्ट में उत्तराखंड में दूसरे राज्यों से वध को लाए जा रहे जानवरों पर रोक लगाने की मांग को लेकर प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 08:59 PM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2020 08:59 PM (IST)
पड़ोसी राज्यों से वध के लिए लाए जा रहे जानवरों पर रोक लगे, हाईकोर्ट ने कहा पीआइएल लगाएं
पड़ोसी राज्यों से वध के लिए लाए जा रहे जानवरों पर रोक लगे, हाईकोर्ट ने कहा पीआइएल लगाएं

नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट में उत्तराखंड में दूसरे राज्यों से वध को लाए जा रहे जानवरों पर रोक लगाने की मांग को लेकर प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस मामले में जनहित याचिका (पीआइएल) दायर करने के लिए कहा है।

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मुख्य न्यायाधीश कोर्ट में दायर प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि राज्य में समस्त स्लाटर हाउस बंद हैं, मगर दूसरे राज्यों के जानवरों को वध के लिए यहां लाया जा रहा है। इस पर रोक लगाई जाए। कोर्ट ने नगर निगम हल्द्वानी, नगरपालिका नैनीताल व रामनगर को शपथ पत्र के साथ यह बताने को कहा है कि मानकों के साथ तैयार हो रहे स्लाटर हाउस कब बनकर तैयार हो जाएंगे। कोर्ट ने हरिद्वार जिले के मंगलौर में स्लाटर हाउस का काम रोकने पर भी जवाब तलब किया है। 

दरअसल 2018 में हाई कोर्ट ने राज्य में अवैध तरीके से संचालित स्लाटर हाउस को 72 घंटे के भीतर बंद करने का आदेश पारित किया था। इसके  बाद राज्य में स्लाटर हाउस बंद हो गए मगर मीट की बिक्री बेरोकटोक जारी है। इधर मीट व्यवसायियों ने याचिका दायर कर कहा कि 2010 में ही हाई कोर्ट ने मानकों को पूरा करते हुए स्लाटर हाउस का निर्माण करने का निर्देश दिया था, लेकिन आज तक स्लाटर हाउस नहीं बनाए गए। इस कारण उन्हें आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ रहा है।

 गुरुवार को नगरपालिका नैनीताल ने कोर्ट को बताया कि स्लाटर हाउस दस दिन में चालू कर दिया जाएगा। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई। दरअसल नैनीताल निवासी महबूब कुरैसी व अन्य ने याचिका दायर कर कहा है कि पूर्व में न्यायालय ने स्लाटर हाउस बनाने के आदेश पारित किए थे, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक निर्माण नहीं किया गया। इससे खुले में पशुवध किया जा रहा है। 

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