uttarakhand lockdown update : अब कभी अपना पहाड़ छोड़कर नहीं जाऊंगा, कोई भी काम कर लूंगा
स्पोर्ट्स स्टेडियम में मौजूद लोगों ने कहा कि कोई भी छाेटा मोटा काम कर लूंगा लेकिन अब अपना पहाड छोडकर कभी नहीं जाऊंगा।
हल्द्वानी, जेएनएन : स्पोर्ट्स स्टेडियम में मौजूद लोगों के चेहरों पर दर्द की अलग-अलग लकीरे थी। सभी अपनों से दूर रोटी की तलाश में बड़े शहरों की तरफ तो गए लेकिन मौजूदा हालात में वहाँ ठहरना मुश्किल हो गया था। और जिस नौकरी को सहारा समझते थे वो लॉकडाउन होते ही छूट गई। ऐसे में खाने और रहने का संकट खड़ा हुआ तो सोचा कि अब घर-पहाड़ पर चैन से रहेंगे। गांव की राह तो पकड़ी मगर कोरोना के डर ने रास्ते से भटका दिया। स्टेडियम में हैरान और परेशान खड़े पदमपुरी निवासी दीपक ने बातचीत में साफ कहा कि 'आब कभै निजूं आपण पहाड़ छोड़ि भेर'। अब जब भी यहाँ से गांव पहुँचूँगा तो वहीं छोटा-मोटा कोई भी काम करके परिवार को पाल लूंगा।
कोरोना की रोकथाम को लेकर प्रसाशन और स्वास्थ्य विभाग की टीम जुटी हुई है। शासन के निर्देश पर ही प्लानिंग बनाई जा रही है। हल्द्वानी स्टेडियम में रात से लोगों को लाने सिलसिला चालू हो गया था। यहाँ पदमपुरी निवासी दीपक, लमगड़ा निवासी नरेंद्र भी थे। साथ में इनके कुछ रिश्तेदार भी। बताया कि सभी हरियाणा के सोनीपत में किसी फैक्ट्री में नौकरी करते हैं। होली में छुट्टी लेकर आए थे। तब जरा भी आभास नहीं था कि दो हफ्ते बाद ऐसे हालात पैदा हो जाएंगे। वर्ना वापसी करते नहीं। हालांकि अन्य लोगों की तरह नरेंद्र और दीपक में हड़बड़ाहट से ज्यादा धैर्य दिख रहा था। जब पूछा कि अब तो 14 दिन यही रहना पड़ेगा तो जवाब मिला कि इसके अलावा और रास्ता भी तो नहीं। उसके बाद तो घर निकल ही जाएंगे। पीड़ा नरेंद्र के भीतर भी थी। बीच-बीच में घर फोन कर स्थिति भी बयां कर रहा था। लेकिन इन्हें देख लग रहा था कि ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी इनके अंदर उम्मीद बाकी है। कोरोना के डर से लड़ने की और किसी सुबह अपने घर पहुँचने की उम्मीद।
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