हाथियों के आतंक से परेशान गौलापारवासी अब 'कालिका थान' में लगाएंगे फरियाद
हल्द्वानी का खेती इलाका कहे जाने वाला गौलापार इन दिनों हाथियों के आतंक से परेशान है। मक्का धान गन्ने की फसल को रौंद चुके झुंड से ग्रामीणों की जान को खतरा बन चुका है।
हल्द्वानी, जेएनएन : हल्द्वानी का खेती इलाका कहे जाने वाला गौलापार इन दिनों हाथियों के आतंक से परेशान है। मक्का, धान, गन्ने की फसल को रौंद चुके झुंड से ग्रामीणों की जान को खतरा बन चुका है। सूचना पर वन विभाग का निचला स्टाफ तो मौके पर पहुंच जाता है लेकिन ग्रामीण अफसरों के रवैये को लेकर आक्रोशित हैं। जिस वजह से ग्रामीण 'कालिका थान' में पूजा कराने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है मां काली कई बार वन्यजीवों से उनकी रक्षा कर चुकी हैं।
हरियाली से भरपूर गौलापार के गांव जंगल से सटे हुए हैं। जिस वजह से अक्सर यहां वन्यजीवों हाथी, सूअर आदि की दस्तक रहती है। जिनसे फसल को नुकसान पहुंचता है। पिछले एक महीने से लगातार गजेपुर, कुंवरपुर व सुंदरपुर रैक्वाल ग्राम पंचायत में हाथी अकेले और झुंड में पहुंच रहे हैं। ग्रामीणों की शिकायत पर वन विभाग गश्ती दल भी भेजता है। उसके बावजूद हाथियों आना कम नहीं हुआ। डेढ़ माह पूर्व घर के बाहर खड़ी एक बुुजर्ग महिला को भी हाथी ने मौत के घाट उतार दिया था।
वहीं, मंगलवार रात झोपड़ी में हाथी के घुसने से बंटाईदार के पूरे परिवार को रात खेत में गुजारनी पड़ी। वहीं, पूर्व प्रधान हरेंद्र बिष्ट व सामाजिक कार्यकर्ता नीरज रैक्वाल ने बताया कि गजेपुर इलाके में नदी पार करने के बाद जंगल में प्राचीन 'कालिका थान' है। हर साल ग्रामीण वन्यजीवों को आबादी से दूर रखने को यहां पूजा करते थे। जिसका काफी असर भी होता था। ग्रामीणों के मुताबिक जल्द मंदिर में पूजा करवाई जाएगी। ताकि फसल व लोग वन्यजीवों से सुरक्षित रहे।
जनवरी 2018 में हुई थी पूजा
पूर्व ग्राम प्रधान हरेंद्र बिष्ट ने बताया कि सितंबर 2017 से करीब पांच महीने तक लगातार हाथियों ने ग्रामीणों को परेशान किया था। पहले हर साल पूजा की जाती थी। मगर दो-तीन साल से पूजा नहीं हुई थी। जिसके बाद 22 जनवरी 2018 को ग्रामीण देवी मां की शरण में पहुंचे।
वन विभाग भी कर चुका धार्मिक अनुष्ठान
रामनगर के जंगलों से सटे गांवों में चार साल पहले एक बाघिन ने जमकर आतंक मचाया था। नरभक्षी घोषित करने के बाद पूरा वन विभाग की फौज शिकारियों के साथ उसे ढूंढने निकली थी। तीन दिन तक हेलीकॉप्टर तक से तलाश की गई। मगर कुछ पता नहीं चला। उसके बाद वन विभाग के अफसरों ने गांव में बड़ा धार्मिक अनुष्ठान करवाया। तत्कालीन एसडीओ ने पत्नी के साथ यजमान की भूमिका निभाई। जिसके बाद बाघिन नजर भी आई और शिकारी की गोली से ढेर भी हुई।