आपदा में बह गए थे घर, रास्ते और जानवर, प्रशासन ने सुनी नहीं तो लोगों ने खुद उठाया ये कदम
पिथ्ाौरागढ़ में प्रशासन ने आपदा के 18 दिनों बाद भी ग्रामीणों का समस्याओं का संज्ञान नहीं लिया तो उन्होंने श्रमदान से खुद रास्ता बनाने का निर्णय लिया।
नाचनी (पिथौरागढ़) जेएनएन : पहाड़ की पीड़ा किससे छिपी है। आपदाएं तो जैसे यहां के लोगों की नियति बन चुकी हैं। बादल फटना, बिजली गिरना और बारिश इतनी कि सबकुछ तबाह हो जाए। फिर भी ये पहाड़ी ही हैं कि सबकुछ झेलते हुए हर बार उजड़ते और बसते हैं। लेकिन दुख तब होता है, जब शासन-प्रशासन इनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं देता। पिथौरागढ में कुछ दिनों पहले भारी बारिश के कारण कइयों का घर उजड़ गया था, जानवर बह गए थे और रास्ता भी बह गया था। लेकिन आपदा के 18 दिनों बाद भी प्रशासन ने ग्रामीणों का समस्याओं का संज्ञान नहीं लिया तो उन्होंने श्रमदान से खुद रास्ता बनाने का निर्णय लिया। जो आप तस्वीर में बखूबी देख सकते हैं।
अठारह दिन पहले पिथौरागढ़ के तल्ला जोहार के चामी भैंस्कोट में आई आपदा ने तबाही मचा दी थी। इस गांव में तीन मकान ध्वस्त हो गए थे। कई जानवर मलबे में दब गए थे। एक गाय तो मलबे से 12वें दिन जिंदा निकाली गई। इसके अलावा गांव के सात आरसीसी पुल बह गए थे तीन सिंचाई गूल सहित सभी आंतरिक मार्ग ध्वस्त हो गए थे। गांव के एक तोक में रहने वाले एक परिवार ने तो गांव त्याग दिया है दूसरे गांव में जाकर शरण ली है। गांव के पीछे खड़ी पहाड़ी से लगातार भू कटाव हो रहा है। हल्की बारिश होने पर ग्रामीण मंदिर की धर्मशाला और प्राथमिक विद्यालय में शरण लेते हैं। गांव के तीन ध्वस्त पेयजल लाइनों में मात्र एक पेयजल लाइन अभी तक अस्थाई रूप से चालू हो सकी है।
74 परिवारों वाले गांव में आपदा के 18 दिन बाद भी मात्र सात परिवारों को भी विभाग पेयजल उपलब्ध करा सका है। सबसे बड़ी समस्या पुल बहने से ग्रामीणों के गांव में भी फंस कर रहने की है। प्रशासन पंचायती चुनाव में व्यस्त हो चुका है। ऐसे में ग्रामीणों को अपने हाल में छोड़ दिया गया है। जिसे लेकर अब ग्रामीण श्रमदान कर पुल निर्माण कर रहे हैं। गांव के जीवन साही का कहना है कि अभी तक नदी का जलस्तर भी काफी अधिक था। अब जलस्तर स्थिर हो चुका है। जिसे देखते हुए ग्रामीणों ने श्रमदान से पुल बनाने का निर्णय लिया। इस निर्णय के तहत पुल निर्माण किया गया जा रहा है। अन्य नालों पर भी पुलियाओं का श्रमदान से निर्माण किया जाएगा।