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मानसून में अपने लाडले का कैसे रखें ख्याल, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ रखोलिया ने बताए बचाव व राहत के उपाय

सुशीला तिवारी की बाल रोग की विभागाध्यक्ष डॉ ऋतु रखोलिया ने बताया मानसून में बच्चों को बीमारी से दूर रखने व बचाव के तरीके। डॉ रखोलिया का कहना है कि अधिकतर बीमारियां दूषित जल से होती हैं। या फिर बाहर के दूषित खाने से।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 02 Jul 2022 08:42 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jul 2022 08:42 PM (IST)
मानसून में अपने लाडले का कैसे रखें ख्याल, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ रखोलिया ने बताए बचाव व राहत के उपाय
बदलते मौसम में हमें बच्चों का खास ख्याल रखना चाहिए। उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : इस समय मौसम के कई रंग देखने को मिल रहे हैं। मानसून का आगाज होने के चलते रुक-रुककर बारिश हो रही है। पर लगातार बारिश न होने के चलते उमस हो जाती है। शरीर चिपचिपी सी हो रही। ऐसे में लोगों को घमौरी, लाल चकत्ते, इचिंग, उल्टी-दस्त व सर्दी-जुकाम-बुखार हो रहे हैं। ऐसे बदलते मौसम में हमें बच्चों का खास ख्याल रखना चाहिए। उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। इसलिए वह बीमारी की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। 

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यहां हम सुशीला तिवारी की बाल रोग की विभागाध्यक्ष डॉ ऋतु रखोलिया से जानेंगे मानसून में अपने बच्चे का कैसे रखें ख्याल। डा. रखोलिया का कहना है कि इस समय ओपीडी व भर्ती मरीजों में पीलिया, बुखार, टाइफाइड व उल्टी-दस्त की समस्या बढ़ रही है। डिहाइड्रेशन के सीरियस केसों में बच्चों को भर्ती भी करना पड़ रहा है।

इसमें मुख्य रूप से तेज बुखार, पेट दर्द, उल्टी-दस्त, पीली पेशाब होना व भूख न लगना जैसे लक्षण हों तो समझिए टाइफाइड, पीलिया या फिर हेपेटाइटिस हुआ है। यह बीमारी मूल रूप से दूषित जल, कटे फल-सब्जी व बाहर के दूषित खाने से होती है। 

उल्टी-दस्त होने पर सबसे पहले कोशिश करें कि शरीर में पानी की कमी न हो। दस्त वायरल होता है। एक दो दिन में पानी की कमी न होने दें तो यह ठीक हो जाता है। नींबू पानी, ओआरएस का घोल व नारियल पानी ले सकते हैं। इसके साथ ही उल्टी के लिए डाक्टर की सलाह पर ओन्डेंसेट्रान व जिंक की सीरप या टेबलेट दे सकते हैं। इसके अलावा यदि बुखार भी है तो टाइफाइड हो सकता है तो डाक्टर की सलाह लें। पीलिया होने पर भी डाक्टर को तुरंत दिखाएं। इसके लिए घरेलू उपचार न करें। 

इस मौसम में बच्चों के शरीर पर दाने व चकत्ते हो जाते हैं। इसके लिए बच्चों के शरीर पर बहुत तेल या कास्मेटिक क्रीम आदि का प्रयोग न करें। बच्चे की साफ-सफाई पर अधिक ध्यान दें। दाने कई दिन तक रहने या चकत्ते के अधिक दिन तक ठीक न होने पर डाक्टर की सलाह ले। इसके साथ ही अस्थमा व एलर्जी वाले बच्चों का खास ख्याल रखें। इन्हीलर लेने वाले बच्चे बदलते मौसम में दवाई व इन्हीलर न छोड़ें। 

इसके अलावा डॉ. रखोलिया का कहना है कि बीमारी से बचाव हमेशा अच्छा होता है। इसलिए घर के आसपास पानी संग्रह न होने दें। गमले, गड्ढे, नाली व घर के ऊपर पड़े कबाड़ की निरंतर सफाई करें। घर के आसापास घास, झाड़ियों को भी साफ रखें, जिससे मच्छरों को पनपने का मौका न मिले। बच्चों को पूरी बांह व पैर के ढंके कपड़े पहनाएं। उन्हें मच्छर न काट पाए इसका ख्याल रखें। मच्छरदानी का प्रयोग करें।


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