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धोखाधड़ी के आरोपित निर्वाचन ड्यूटी में तैनात पटवारी की जांच रिपोर्ट आने से पहले हुई मौत

निर्वाचन ड्यूटी के दौरान कालाढूंगी तहसील में तैनात राजस्व उपनिरीक्षक गुलहसन (54) की दिल का दौरा पडऩे से मौत हो गई। उपनिरीक्षक के खिलाफ पूर्व में जमीन धोखाधड़ी के मामले में एसआइटी की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया था।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 30 Mar 2019 04:57 PM (IST)Updated: Sat, 30 Mar 2019 04:57 PM (IST)
धोखाधड़ी के आरोपित निर्वाचन ड्यूटी में तैनात पटवारी की जांच रिपोर्ट आने से पहले हुई मौत
धोखाधड़ी के आरोपित निर्वाचन ड्यूटी में तैनात पटवारी की जांच रिपोर्ट आने से पहले हुई मौत

हल्द्वानी, जेएनएन : निर्वाचन ड्यूटी के दौरान कालाढूंगी तहसील में तैनात राजस्व उपनिरीक्षक गुलहसन (54) की दिल का दौरा पडऩे से मौत हो गई। उपनिरीक्षक के खिलाफ पूर्व में जमीन धोखाधड़ी के मामले में एसआइटी की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस मामले की जांच जनवरी, 2019 को सीडीओ की अध्यक्षता में बनी विशेष कमेटी को सौंपी गई थी। हालांकि जांच रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई है। इसे लेकर लेखपाल संघ ने नाराजगी जताई है और कहा कि मुकदमा दर्ज होने के समय से ही वह मानसिक रूप से परेशान थे। उत्तराखंड लेखपाल संघ के अध्यक्ष तारा चंद्र घिल्डियाल ने बताया कि गौजाजाली बिचली निवासी गुलहसन को हार्ट अटैक पडऩे से परिजन केएचआरसी ले गए थे, लेकिन उनकी मौत हो गई। शुक्रवार को हल्द्वानी तहसील में शोकसभा हुई। इसमें मृतक राजस्व निरीक्षक को श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान रामनगर तहसील को छोड़कर अन्य तहसीलों में कर्मचारी की मृत्यु पर शोक सभा न किए जाने पर नाराजगी भी जाहिर की गई। साथ ही संगठन ने तहसीलों में शोकसभा न करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों को भी कोसा। संघ ने कहा है कि स्व. गुलहसन के परिवार को दस लाख बतौर बीमा राशि निर्वाचन आयोग को देनी चाहिए।

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काम लेते हैं लेकिन नहीं देते दर्जा

घिल्डियाल ने कहा कि निर्वाचन संबंधित समस्त कार्य करने के बाद भी राजस्व कर्मियों को चुनाव कर्मी का दर्जा नहीं मिला। ऐसे में अगर राजस्व कर्मियों की मांगें 31 मार्च तक पूरी नहीं की गई तो राजस्व कर्मी आगामी एक अप्रैल से चुनाव संबंधित कार्यों से विरत रहेंगे। शोकसभा में प्रवीन शर्मा, सुरेश चंद्र बुडलाकोटी, इकबाल अहमद, अभय कुमार, मोहित बोरा, भगवंत बिष्ट, दीपक नेगी, मनोज सिंह, मनोज रावत, गिरीश दुर्गापाल, पंकज कुमाई, राजीव बिष्ट, दीपक टम्टा, अशरफ हुसैन, मोहित बोरा, मनोज सिंह, मनोज रावत, हरीश यादव, आरिफ हुसैन सहित अन्य राजस्व कर्मी मौजूद रहे।

लंबे समय से तनाव में थे गुलहसन

पटवारी गुलहसन अपने खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद तनाव में थे। लेखपाल संघ से जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि झूठा मुकदमा दर्ज करने की वजह से कर्मचारियों ने दस जनवरी से आय प्रमाण पत्र व खाता-खतौनी काम का बहिष्कार भी किया है। इस मामले के बाद से गुलहसन मानसिक तौर पर तनाव में थे। जिसका उन्होंने अपने साथी राजस्व कर्मियों से कई बार जिक्र किया था।

15 दिन में जांच रिपोर्ट का किया था दावा

डीएम विनोद कुमार ने सीडीओ विनीत कुमार की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर पूरे प्रकरण की जांच के आदेश दिए। जांच समिति को रिपोर्ट 15 दिन में रिपोर्ट देनी थी, लेकिन तीन माह बीतने के बाद भी रिपोर्ट नहीं आई। संगठन की मांग है कि जांच समिति की रिपोर्ट तत्काल उपलब्ध कराई जाए।

यह था मामला

जनवरी 2019 में कालाढूंगी तहसील के भूमि विवाद में एसआइटी के एसआइ ने पटवारी गुलहसन व अनुसेवक जीवन चंद्र जोशी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। तब भी लेखपाल संघ पदाधिकारियों ने राजस्व कार्यों में दखलआंदिजी मानते हुए 11-12 जनवरी तक दो दिवसीय कार्य बहिष्कार किया था। उसके बाद ही डीएम ने जांच कमेटी बनाई थी। वीके सुमन, डीएम का कहना है कि जांच रिपोर्ट अंतिम चरण में है। इसमें देरी क्यों हुई, इस बारे में बताया नहीं जा सकता है। पटवारी की तबीयत खराब होने मौत हुई। मौत को इस मामले से नहीं जोड़ा जा सकता है। उसकी मौत से दुख है। मैं उसके घर भी गया। परिजनों को सांत्वना दी और हरसंभव मदद का वादा किया है।

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