Nainital News: डायलिसिस बंद होने की आशंका पर छलका मरीजाें का दर्द, एनएचएम निदेशक भी निरुत्तर
बेस अस्पताल में जब डायलिसिस कराने वाले मरीजों के स्वजनों ने एनएचएम की निदेशक डा. सरोज नैथानी को अपना दर्द सुनाया तो वह भी स्पष्ट जवाब नहीं दे सकीं। उनका कहना था कि वह इस संबंध में उच्चाधिकारियों से बात करेंगी।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : उम्र 75 और चेहरे पर झुर्रियां। कमर भी सीधी नहीं हो सकती है। पति नहीं रहे। जीवन जीने का एकमात्र सहारा बेटा, जिसकी किडनी खराब हैं। जैसे-तैसे नाै साल से डायलिसिस करा रही हैं। पिछले कुछ दिनों से जैसे ही सुना कि बेस अस्पताल के पीपीपी मोड में संचालित डायलिसिस सेंटर एक जुलाई से बंद हो जाएगा। दिन का चैन और रात की नींद गायब हो गई।
यह व्यथा केवल कालाढूंगी रोड की रहने वाली सुमन की नहीं, बल्कि सैकड़ों परिवारों की है। जो बेस अस्पताल में डायलिसिस कराने पहुंचते हैं। बुधवार को जब डायलिसिस कराने वाले मरीजों के स्वजनों ने एनएचएम की निदेशक डा. सरोज नैथानी को अपना दर्द सुनाया तो वह भी स्पष्ट जवाब नहीं दे सकीं।
उनका कहना था कि वह इस संबंध में उच्चाधिकारियों से बात करेंगी। यह मामला उन्हीं के स्तर का है। आगे कहा है कि सरकारी योजना है। इसे बंद नहीं होना चाहिए। किसी को चिंता करने जरूरत नहीं है। सरकार के साथ जो भी बिजनेस करता है। उसका पैसा कहीं नहीं जाता है।
2017 से संचालित, साढ़े चार करोड़ हुआ उधार
बेस अस्पताल में पीपीपी मोड पर नेफ्रो प्लास हेल्थकेयर सर्विस प्राइवेट लिमिटेड की ओर से 2017 से डायलिसिस सेंटर संचालित है। इस समय 253 मरीज डायलसिस कराने आते हैं। अधिकांश मरीजों का सप्ताह में दो बार भी डायलिसिस होता है। यहां पर 30 मशीनें लगी हुई हैं।
स्वास्थ्य विभाग के पास कंपनी का करीब साढ़े चार करोड़ रुपये उधार हो चुका है। इससे पहले भी कंपनी दो बार सेंटर को बंद करने का नोटिस दे चुकी है। अब तीसरी बार फिर एक जुलाई से सेंटर बंद करने का नोटिस चस्पा कर दिया है।
ये शिकायतें भी हुई
तीमारदारों ने निदेशक को सेंटर के बारे में अवगत कराया कि इस सेंटर में कई बार मरीज का ब्लड लीकेज हो जाता है। इसे कोई नहीं देखता है। बाथरूमों की भी ठीक से सफाई नहीं होती है। कई बार बाथरूम बंद कर दिए जाते हैं। पहले सरकार की तरफ से एंबुलेंस से आने और घर जाने की भी सुविधा थी, लेकिन अब एंबुलेंस से घर पहुंचाने की सुविधा बंद कर दी गई है।
इन्होंने साझा किया दर्द
- कमाने वाले ही बीमार हैं। सप्ताह में दो बार डायलिसिस कराने लाती हूं। ऐसे में यह बंद हो जाएगा तो हमारे लिए कठिन समस्या पैदा हो जाएगी। सोनम, सितारगंज
- मेरा एक बेटा है। यही सहारा है। बाकी मेरे पास कुछ नहीं है। इतना पैसा नहीं है कि कहीं और डायलिसिस करा सकूं। इसलिए मेरी मदद की जाए। सुमन, हल्द्वानी
- 14 साल से अकेले ही डायलिसिस कराने आता हूं। यहां पर सुविधा मिल जाती है। अगर यह बंद हो गया तो बहुत मुश्किल हो जाएगा। मदन लाल, सितारगंज
- अस्पताल के कुछ लोग कह रहे हैं कि डायलिसिस के लिए नैनीताल जाना पड़ेगा। इधर-उधर मरीज को ले जाना बहुत मुश्किल है। हमारी मांग सुनी जाए। प्रीति तिवारी, हल्द्वानी