एंटी रैबीज टीकाकरण लगवाने के लिए पार्टनर ढूंढ रहे मरीज, जानिए क्या है मामला
एंटी रैबीज के टीकों के समाप्त होने से जहां मरीजों को बाहर से महंगे दामों पर टीके की खरीद में परेशानी हो रही थी वहीं अब टीका लगवाने के लिए पार्टनर की तलाश भी करनी पड़ रही है।
हल्द्वानी, जेएनएन : बेस अस्पताल में एंटी रैबीज के टीकों के समाप्त होने से जहां मरीजों को बाहर से महंगे दामों पर टीके की खरीद में परेशानी हो रही थी, वहीं अब टीका लगवाने के लिए पार्टनर की तलाश भी करनी पड़ रही है।
दरअसल एंटी रैबीज इंजेक्शन के एक वायल में चार डोज होती हैं। जिसे चार लोगों का टीकाकरण किया जाता हैं। साथ ही इस वायल का इस्तेमाल एक बार किए जाने के बाद इसे लंबे समय तक नहीं रखा जा सकता है। इसीलिए मेडिकल स्टोर से वायल लेकर अस्पताल पहुंच रहे मरीज को अन्य तीन मरीजो का इंतजार करना पड़ रहा है। इसके बाद दवा चार मरीजों केा लगाई जाती है, जिससे पैसे की भी बचत हो जाती है।
रैबीज रोग के लक्षण
रेबीज रोगी को सबसे अधिक पानी से डर लगता है। क्योंकि जिस किसी को रेबीज हो जाता है, यह रोग दिमाग के साथ-साथ गले को भी अपनी चपेट में ले लेता है। अगर रोगी पानी पीने मात्र की भी सोचता है तो उसके कंठ में जकडऩ महसूस होती है। जिससे उसको सबसे अधिक पानी से ही खतरा होता है। रोगी के नाक, मुंह से लार निकलती है। यहां तक की वह भौकना भी शुरू कर देता है। रोग की एक ऐसी भी अवस्था होती है कि वह अपने आपको निडर महसूस करता है। रोगी को रोशनी से डर लगता है। रोगी हमेशा शांत व अंधेरे वातावरण में रहना पसंद करता है। रोगी किसी भी बात को लेकर भड़क सकता है।
रेबीज रोग उपचार
रेबीज होने के बाद कोई भी इलाज संभव नहीं है। हालांकि इसकी रोकथाम के लिए अभी रिसर्च बेशक चल रहे हो, लेकिन अभी तक इसका कोई उपचार नहीं है। फिर भी रेबीज की रोकथाम के लिए अस्पतालों में किसी भी जंगली जानवर के काटे जाने के 72 घंटे तक घाव की सफाई कर उस पर बीटाडीन लगाई जाती है, ताकि घाव को फैलने से रोका जा सके। जंगली जानवर के काटे जाने के बाद एंटी रेबीज वैक्सीन के इंजेक्शन लगाए जाते है। जिनको नियमानुसार पहला इंजेक्शन 72 के अंदर, दूसरा तीन दिन बाद, तीसरा सात दिन बाद, चौथा 14 दिन बाद व पांचवा 28 दिन के बाद लगाया जाता है, लेकिन अब पांचवा इंजेक्शन चिकित्सक की सलाह से ही लगाया जाता है।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप