VNR Bihi species guava : दो वर्ष में ही फल देने लगता है वीएनआर वीही प्रजाति का अमरूद, पंत विवि दो एकड़ में तैयार कर रहा बागान
VNR Bihi species guava थाइलैंड मूल का अमरूद वीएनआर वीही पूरे देश में धूम मचा रहा है। सर्दी और गर्मी दोनों मौसमों के लिए उपयुक्त यह अमरूद सिर्फ दो साल में ही फल देना आरंभ कर देता है। अधिकतम डेढ़ किलोग्राम का फल हो रहा है।
रुद्रपुर, मनीस पांडेय : VNR Bihi species guava : थाइलैंड मूल का अमरूद वीएनआर वीही पूरे देश में धूम मचा रहा है। सर्दी और गर्मी दोनों मौसमों के लिए उपयुक्त यह अमरूद सिर्फ दो साल में ही फल देना आरंभ कर देता है। जिमसें कम से कम 300 ग्राम तथा अधिकतम डेढ़ किलोग्राम का फल हो रहा है। अमरूद की खेती करने पर लोगों को अच्छी पैदावार के साथ बेहतर दाम भी मिल रहा है। पंत विवि ने शोध की दृष्टि दो एकड़ में बागान तैयार किया है।
धानी रंग के सबसे बड़े साइज के अमरूद पहली नजर में ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं। खूबसूरती के साथ ही इस अमरूद का बेहतरीन स्वाद इसे बेहतर दाम दिलाने में मदद करता है। वीएनआर वीही प्रजाति का अमरूद वर्तमान में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात अादि में बड़े पैमाने पर उगाया जा रहा है। कम समय में फल लगने व बेमौसमी उत्पादन के चलते यह किसानों व फल के शौकीनोें के बीच लोकप्रिय हो रहा है। उद्यान विभाग के निरीक्षक रवींद्रजीत सिंह ने बताया कि जिले में एल-49 प्रजाति का अमरूद खत्म होने के कगार पर है।
जबकि वीएनआर वीही प्रजाति दिसंबर से जनवरी माह तक लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध रहेगा। ऐसे में इस फल की खेती व उत्पादन करके किसान व बागवान अच्छी कमाई कर सकते हैं। जिले में फल की खेती में फायदों के साथ कई सावधानियां भी बरतने की जरूरत है। इसके बाद भी वीएनआर वीही के आकर्षण से मुक्त होना आसान नहीं है।
30 टन प्रति हेक्टेअर उपज
वीएनआर वीही प्रजाति के अमरूद की उपज 25 से 30 टन यानी कि 300 क्विंटल तक प्रति हेक्टेअर प्राप्त की जा सकती है। पौधों के रोपण के बाद दूसरे साल से ही फल लगने शुरू हो जाते हैं। जिसमें दूसरे साल में 12 से 14 किलोग्राम तथा पांच वर्ष में 40 से 50 किलोग्राम तक फल लगते हैं। समय के साथ पौधों में उपज बढ़ती रहती है।
जलवायु और मिट्टी
वीएनआर वीही प्रजाति के अमरूद के लिए जलवायु ज्यादा गर्म या ठंडी नहीं होनी चाहिए। जिसमें पांच से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान बेहतर होता है। बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त है। कृषि विज्ञानी डॉ. एके सिंह के अनुसार मिट्टी का पीएच साढ़े सात से आठ तक हो सकता है। ऊष्ण और उपोष्ण जलवायु में इसे उगाया जा सकता है।
पौधों की उपलब्धता
वीएनआर वीही प्रजाति पर पंतनगर विश्वविद्यालय का शोध अनुसंधान केंद्र रिसर्च कर रहा है। संयुक्त निदेशक डॉ. एके सिंह ने बताया कि अमरूद का यह पौधा पत्थरचट्टा स्थित उनके केंद्र से 75 रुपये प्रति पौध के अनुसार प्राप्त किया जा सकता है। वहीं प्रदेश की अन्य नर्सरी से पौधा मंगाने पर जिला उद्यान विभाग में पंजीकृत बागवान 40 रुपये प्रति पौध के अनुसार सब्सिडी भी प्राप्त कर सकते हैं।
क्रिप्सी और मीठा अमरूद
वीएनआर वीही प्रजाति का अमरूद एल-49, श्वेता, अर्का आदि के मुकाबले अलग फ्लेवर का है। इसमें अमरूद का परंपरागत स्वाद व सुगंध नहीं है। इस अमरूद में 10 फीसदी तक मिठास है। एसिडिटी की मात्रा 0.40 है। अन्य प्रजातियों के मुकाबले यह क्रिस्पी यानी कुरकुरा अमरूद है। बेहतरीन भंडारण क्षमता के कारण यह बाजार के लिए भी उपयुक्त है। जिसे 18 से 20 तक स्टोर किया जा सकता है। औसत अमरूद का वजन करीब आधा किलोग्राम है।
दो मौमस में देता है फल
वीएनआर वीही प्रजाति का यह अमरूद दो मौसम में फल देता है। जिसमें बरसात व ठंड के दिनों में अमरूद का फल आता है। बरसात के महीने में अाने वाला फल कम अच्छा होता है। ऐसे में सर्दियों में आने वाला फल सबसे बेहतर माना जाता है। विज्ञानी डॉ. एके सिंह ने बताया कि फसल नियंत्रण विधि तकनीकि से बरसात में फूल और टहनियां काट दी जाती हैं। जिससे विंटर कार्प बेहतर आती है।
एक हेक्टेअर में 666 पौधे
वीएनआर वीही प्रजाति मेें एक हेक्टेअर में करीब 666 पौधे रोपे जाते हैं। जिसे तीन गुणे पांच मीटर की साइज में लगाया जाना है। लाइन में पांच मीटर का अंतर व दो पौधों में तीन मीटर का अंतर पर्याप्त होता है। एक पौधा 25 से 30 साल तक फल देता है।
वीएनआर प्रजाति की समस्याएं
वीएनआर वीही प्रजाति के उत्पादन में किसानों को कई तरह की दिक्कतें भी आ रही हैं। रामनगर, नैनीताल के ग्राम भवानीपुर में फौज से रिटायर 70 वर्षीय आरएल बमनियाल ने एक हजार पेड़ लगाए हैं। वर्ष 2012 में लगाए गए इन पौधों पर फल भी आ रहे हैं। लेकिन ज्यादा ठंडा मौसम के चलते कई दिक्कतें भी आ रही हैं। बागवान आरएल बमनियाल ने बताया कि अमरूद के फल 100 ग्राम के होने के बाद उस पर पेपर की परत चढ़ानी होती है। अन्यथा फलों के रंग में भूरापन आने लगता है। इसके अतिरिक्त कई बार फल फटने व टहनियों में सड़न की भी समस्या होने लगती है।
विज्ञानियों की टीम कर रही शोध
पंतनगर विश्वविद्यालय के विज्ञानियों की टीम वीएनआर वीही प्रजाति के अमरूद पर शोध कर रही है। उद्यान अनुसंधान केंद्र पत्थरचट्टा के संयुक्त निदेशक व फल आधारित अखिल भारतीय शोध कार्यक्रम के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. एके सिंह की टीम इस पर नित नए प्रयोग कर रही है। पंतनगर विश्वविद्यालय में भी दो एकड़ क्षेत्र में वीएनआर वीही का पौधरोपण किया गया है। जिसमेंं पकने के समय फल खराब होने की समस्या को दूर करने के लिए कार्य किया जा रहा है। उद्यान विभाग के विज्ञानी डॉ. वीपी सिंह, सहायक निदेशक डॉ. प्रतिभा सिंह, शोधार्थी मनप्रीत सिंह आदि इस कार्य में लगेे हुए हैं।