उत्तराखंड के बागेश्वर जिले से दूसरे प्रदेश पहुंच रहे जैविक उत्पाद, पढिये हेम पंत की सफलता की कहानी
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के हेम पंत पहाड़ी जैविक उत्पादों को दूसरे राज्यों में पहुंचाकर करोडों का व्यवसाय कर रहे हैं।
बागेश्वर, जेएनएन : कोरोना काल में रोजगार पर असर पड़ा है। नौकरियां कम हुई हैं। ऐसे में आत्मनिर्भरता के लिए स्वरोजगार बेहतर माध्यम बन रहे हैं। ऐसा ही एक सफल उदाहरण उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में सामने आया है। गरुड़ में पहाड़ी उत्पादों की दुकान चलाने वाले हेम पंत जैविक उत्पादों की बिक्री से सफलता की कहानी लिख रहे हैं। हिम आर्गेनिक नाम से बागेश्वर जिले के जैविक उत्पाद देश के महानगरों और दूसरे राज्यों तक का सफर तय कर रहे हैं। बाहरी प्रदेशों में उनके उत्पाद की डिमांड बड़ी तो उन्होंने इन उत्पादों को लोगों तक पहुंचाने के लिए मल्टी लेबिल मार्केटिंग का सहारा लिया। आज इनके साथ करीब दो लाख किसान जुड़ चुके है। लाखों का कारोबार प्रतिवर्ष कर रहे है। उनके इस आइडिया से लोगों की किस्मत भी बदल गई हैं।
वज्यूला गांव के हेम पंत ने वर्ष 2000 में तीन हजार 470 रुपये से पहाड़ के जैविक उत्पादन के लिए बाजार खोजना शुरू किया और वर्तमान में हिम आर्गेनिक फैक्ट्री पर आठ करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं। दस साल बाद उनकी मेहनत रंग लाई है और 55 कर्मचारी फैक्ट्री में काम कर रहे हैं। क्षेत्र के तीस हजार किसानों की आर्थिकी भी मजबूत हो रही है। इसके अलावा 24 गांवों में जैविक खेती हो रही है 150 महिला समूह फैक्ट्री से जुड़ गए हैं और उनका लेनदेन बैंक के जरिए हो रहा है। इतना ही नहीं पहाड़ में समाप्त हो रही खेती का रकवा भी बढ़वा है और किसानों की आय दोगुनी हो रही है। पुरड़ा गांव के नजदीक उन्होंने फैक्ट्री का निर्माण किया है और विभिन्न सरकारी योजनाओं से ऋण लेकर वह पहाड़ की जवानी और उत्पादों को दूसरे प्रदेशों तक पहुंचा रहे हैं!
किसानों को मिल रहा लाभ
खेती का रकवा बढ़ने से किसानों को इसका सीधे लाभ मिल रहा है। जिले के अलावा अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चमोली आदि जिले के कास्तकार भी सीधे तौर पर उनसे जुड़ गए हैं। किसान हल्दी का उत्पादन 50 क्विंटल से बढ़कार 500 और तुलसी 150 क्विंटल तक बेच रहे हैं।
ये हैं जैविक उत्पाद
हिम आर्गेनिक केमोमाइल फूल, राजी, लाल चावल, झोगरा, सिसूना, अजार, मसाले, धनिया, अलसी, सोयाबीन, भट, मसूर, गहत, चौलाई, राजमा, बुरांश-टी आम, मिर्च, लहसून अदरक का अचार, संतरा, मालटा का जूस आदि ब्रॉड के रूप में बेच रही है और यह सभी उत्पाद जैविक हैं।
इन प्रदेशों में जा रहा उत्पाद
बंगाल, हैदराबाद, आंध्र प्रदेश, यूपी, मुंबई, दिल्ली एनसीआर और उत्तराखंड के करीब सभी जिलों में हिम आर्गेनिक के जैविक उत्पाद खरीदे जा रहे हैं। मडुवा, भट्ट के विस्किट और नमकीन भी डिमांड बढ़ी है। लेकिन कोरोना के चलते माल पहुंचाने में दिक्कतें हैं।
500 करोड़ के कारोबार का लख्य रखा
सफल उद्यमी बन चुके हेम पंत बताते हैं कि शुरुआत में उनके पास पूंजी नहीं थी। ब्रॉड समिति संसाधनों के रूप में स्थापित किया जा रहा है। पहाड़ का उत्पादन को एक नया ब्रॉड दिया है। नाशपाती पर भी काम करने का निर्णय लिया गया है। किसानों की आय दोगुनी हुई है और 2025 तक पांच सौ करोड़ रुपये का जैविक कारोबार का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन कोरोना वारयस संक्रमण के कारण उद्योग को झटका लगा है। यदि सरकार से मदद मिली तो लक्ष्य तक पहुंचा जा सकेगा।
इच्छाशक्ति हो तो कुछ भी कर सकते हैं
बागेश्वर जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक जीपी दुर्गापाल का कहना है कि विभाग उद्यमियों को हरसंभव मदद कर रहा है। सरकार की योजनाओं का शतप्रतिशत लाभ दिया जा रहा है। हिम आर्गेनिक उत्पादन पुरड़ा नामक स्थान पर हो रहा है। पूर्व में विभाग ने उद्योग लगाने के लिए उन्हें ऋण आदि भी मुहैया कराया है। अन्य लोग भी स्वरोजगार की तरफ कदम बढ़ाना चाहते हैं तो विभाग उनकी मदद के लिए तैयार है।
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