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पांच देशों के संयुक्त प्रयास से बन रही टीएमटी नासा की दूरबीन हब्बल से 12 गुना अधिक स्पष्ट चित्र लेगी

पांच देशों की संयुक्त भागीदारी से निर्माणाधीन 30 मीटर व्यास ऑप्टिकल दूरबीन यानी टीएमटी नासा की अंतरिक्ष में स्थापित दूरबीन हब्बल से 12 गुना अधिक स्पष्ट चित्र लेने में सक्षम होगी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 08:25 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 08:25 PM (IST)
पांच देशों के संयुक्त प्रयास से बन रही टीएमटी नासा की दूरबीन हब्बल से 12 गुना अधिक स्पष्ट चित्र लेगी
पांच देशों के संयुक्त प्रयास से बन रही टीएमटी नासा की दूरबीन हब्बल से 12 गुना अधिक स्पष्ट चित्र लेगी

नैनीताल, रमेश चंद्रा :  पांच देशों की संयुक्त भागीदारी से निर्माणाधीन 30 मीटर व्यास ऑप्टिकल दूरबीन यानी टीएमटी नासा की अंतरिक्ष में स्थापित दूरबीन हब्बल से 12 गुना अधिक स्पष्ट चित्र लेने में सक्षम होगी। यह वर्तमान में मौजूद दूरबीनों के मुकाबले तीन गुना अधिक बड़ी होगी। यह दूरबीन अंतरिक्ष की अबूझ पहेलियों का हल खोजने में मददगार साबित होगी।

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ब्रहमांड को समझने में समुचित  सुविधाओं का आज भी अभाव बना हुआ है। वर्ष 1610 में पहली दूरबीन का निमार्ण हुआ। उसके बाद से अभी तक हजारों छोटी बड़ी दूरबीनों का निर्माण अनवरत जारी है। ऑप्टिकल दूरबीन में दस मीटर व्यास तक दूरबीन स्थापित की जा चुकी हैं। अब जरूरत के मुताबिक तीस मीटर व्यास की दूरबीन स्थापित करने का कार्य हवाई द्वीप में चल रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह दूरबीन अत्याधुनिक उपकरणों से लेस होगी। जिसमें एडॉप्टिव व ऑप्टिकल उपकरण लगाए जाएंगे। इनके अलावा वाइल्ड फील्ड स्पेक्ट्रोमीटर व इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर अत्याधुनिक उपकरण स्थापित किए जाने हैं। इन उपकरणों से अंतरिक्ष के अथाह सागर की थाह पाना आसान हो जाएगा। इस परियोजना में दुनिया के पांच देश क्रमश: भारत, अमेरिका, कनाडा, जापान व चायना शामिल हैं। इस परियोजना में भारत की दस फीसदी की भागीदारी है। इस हिस्सेदारी में एरीज समेत देश के कई संस्थान शामिल हैं। जिन्हें दूरबीन निर्माण में लगाए जाने वाले विभिन्न उपकरणों व तकनीकि सुविधाएं जुटाने का जिम्मा सौंपा गया है। परियोजना को आगे बढ़ाने को लेकर आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान की ओर से एटीआइ में तीन दिवसीय कार्यशाला गुरुवार से आयोजित की जा रही है।

सौ से अधिक खगोलविद कार्यशाला में होंगे शामिल

आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के खगोल वैज्ञानिक डा. शशिभूषण पांडे के अनुसार कार्यशाला में देशभर के 100 से अधिक वैज्ञानिक एटीआइ में जुट रहे हैं। जिनमें इसरो बेंगलुरु, आयुका पूना, आइआइए बेंगलुरु, डीयू व जेएनयू दिल्ली व टीआरएफ मुंबई के खगोल वैज्ञानिक शामिल हैं।

देश के लिए बड़ी उपलब्धि होगी टीएमटी की सफलता

एरीज के कार्यवाहक निदेशक डा. वहाबउदद्ीन का कहना है कि यह परियोजना दुनिया की बड़ी परियोजनाओं में शामिल है। जिसकी सफलता देश को अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि से नवाजेगी। यह कार्यशाला टीएमटी के निर्माण कार्य को आसान बनाएगी।


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