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कुमाऊं के 85 हजार कारोबारियों में अब तक सिर्फ 20 हजार ही रिटर्न व रिपोर्ट फाइल कर सके, ये आ रही है दिक्‍कत

कुमाऊं के करीब 85 हजार छोटे-बड़े व्यापारियों व उद्यमियों को 31 अगस्त तक सालाना रिटर्न व ऑडिट रिपोर्ट फाइल करनी है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 23 Aug 2019 12:59 PM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2019 01:59 PM (IST)
कुमाऊं के 85 हजार कारोबारियों में अब तक सिर्फ 20 हजार ही रिटर्न व रिपोर्ट फाइल कर सके, ये आ रही है दिक्‍कत
कुमाऊं के 85 हजार कारोबारियों में अब तक सिर्फ 20 हजार ही रिटर्न व रिपोर्ट फाइल कर सके, ये आ रही है दिक्‍कत

हल्द्वानी, गणेश पांडे : कुमाऊं के करीब 85 हजार छोटे-बड़े व्यापारियों व उद्यमियों को 31 अगस्त तक सालाना रिटर्न व ऑडिट रिपोर्ट फाइल करनी है। अब तक महज 20 हजार व्यापारी ही रिटर्न व रिपोर्ट फाइल कर पाए हैं। शेष 65 हजार को समझ ही नहीं आ रहा कि वह क्या करें। इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) के मिलान में आ रही समस्या इसकी बड़ी वजह है। 

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एक ही वस्तु पर बार-बार टैक्स न लगे, इसलिए एक व्यापारी से माल खरीदकर बेचने वाले व्यापारी को उस वस्तु पर टैक्स जरूर भरना पड़ता है, लेकिन उसे इसके लिए टैक्स क्रेडिट मिल जाती है। क्रेडिट का उपयोग वह जीएसटी की दूसरी देनदारियों में कर लेता है। क्रेडिट तभी एडजेस्ट होती है जब बेचने वाला रिटर्न भरकर बताए कि उसने यह माल उक्त व्यापारी को बेचा था। व्यापारियों को इसकी जानकारी हर माह जीएसआर-3बी में देनी होती है। व्यापारियों का कहना है कि बहुत से विक्रेताओं ने विभाग को इसकी जानकारी 30 अप्रैल 2019 के बाद दी है। ऐसे में उसका मिलान नहीं हो पा रहा। अब व्यापारी समझ नहीं पा रहे कि वह आइटीसी का क्लेम करें या फिर बन रहे टैक्स का नकद में भुगतान करें। टैक्स की यह राशि लाखों में है। इसलिए व्यापारी केंद्र सरकार से प्रक्रिया को और आसान बनाने का इंतजार कर रहे हैं। 

व्यापारियों के सामाने छह बड़ी समस्याएं 

1. कंपोजिशन स्कीम से जुड़े व्यापारियों को जीएसटीआर-9ए तथा जिनका टर्नओवर दो करोड़ से अधिक है, उन्हें जीएसटीआर-9 के साथ जीएसटीआर-9सी में जीएसटी ऑडिट रिपोर्ट फाइल करनी आवश्यक है, जो आइटीसी क्लेम छूट जाएगा वह दोबारा क्लेम नहीं किया जा सकेगा।

2. ट्रेडर के जीएसटीआर-2ए से आइटीसी मिलान नहीं हो पा रहा है। क्योंकि जिन व्यापारियों को उन्होंने माल बेचा था उन्होंने 30 अप्रैल 2019 के बाद उसकी जानकारी अपने रिटर्न में दी है।

3. माल बेचने वाले ने बिजनेस टू बिजनेस ट्रांजेक्शन को अपने रिटर्न में बिजनेस टू कंज्यूमर बता दिया है। इसलिए आइटीसी का जीएसटीआर-2ए से मिलान नहीं हो पा रहा है।

4. ट्रेडर ने गलत आइटीसी क्लेम किया। फिर उसे टैक्स जमा करना है तो उसे नकद जमा करना होगा। चाहे उसके पास कितनी भी राशि का आइटीसी हो।

5. व्यापारी के सालाना रिटर्न में मासिक रिटर्न जीएसटीआर-3बी से डेटा ऑटो पापुलेटेड हो रहा है। व्यापारी यह समझ नहीं पा रहा है कि वह किस डेट को ऑडिट करे और किसे छोड़ दे।

6. टैक्स क्रेडिट का व्यापारी के 2ए मिसमैच होने की स्थिति में विभाग से नोटिस मिलना तय है। 2ए वही है जो आयकर में 26एस होता है। 

प्रक्रिया को आसान बनाने की जरूरत : गुप्ता

हल्द्वानी टैक्स बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुमित गुप्ता का कहना है कि जीएसटी काउंसिल रिटर्न की तिथि बढ़ाने के साथ इसकी प्रक्रिया आसान बनानी जरूरी है। मौजूदा समय में जिस तरह की दिक्कत आ रही है उसे देखते हुए लग रहा है कि डेट बढ़ाने से बहुत अधिक फर्क नहीं पड़ेगा। 

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