dengue sting डेंगू के डंक से गई एक और जान, नहीं मिले प्लेटलेट्स
प्रेम और अटूट रिश्ते का प्रतीक करवाचौथ गुरुवार को शहरभर में आस्था व उल्लास के साथ मनाया गया। सुहागिन महिलाओं ने पति की दीर्घायु के लिए निर्जल व्रत रखा।
हल्द्वानी, जेएनएन : डेंगू का कहर जारी है। राजपुरा के एक और युवक ने बीमार से दम तोड़ दिया है। मरीज को पर्याप्त प्लेटलेट्स भी नहीं मिल सके। वहीं अब तक मरने वालों की संख्या 20 पहुंच गई है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग से लेकर नगर निगम व प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह बेखबर बना हुआ है। राजपुरा निवासी सौरभ (24) को कई दिनों से बुखार था। वह सुबह अस्पताल के मेडिकल स्टोर में फार्मासिस्ट था। एक दिन पहले ही तेज बुखार के चलते उसे सुबह अस्पताल में भर्ती किया गया, उसकी हालत बहुत अधिक बिगड़ गई थी। एनएस वन पॉजिटिव था। उसकी प्लेटलेट्स 10 हजार से कम हो गई थी। अस्पताल के डॉ. बृजेश बिष्ट ने बताया कि मरीज को इंटरनल ब्लीडिंग हुई थी। उसे छह यूनिट प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत थी, मगर परिजन दो यूनिट ही उपलब्ध करा सके। मरीज को बचाने की पूरी कोशिश की गई, लेकिन नहीं बचा सके। शहर में दो महीने में 20 मरीजों की डेंगू से मौत हो चुकी है।
2541 मरीज हो चुके हैं डेंगू से ग्रस्त
माहामारी घोषित करने में कांप रहे स्वास्थ्य विभाग ही लगातार डेंगू से ग्रस्त मरीजों के आंकड़े जारी कर रहा है। शहर में यह संख्या 2541 हो चुकी है। यह महज सरकारी आंकड़ा है, हकीकत यह है कि हर घर में तीसरा व्यक्ति डेंगू से ग्रस्त है। शुक्रवार को ही 54 नए मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। 51 मरीज निजी व सरकारी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। इसके अलावा निजी चिकित्सालयों में भर्ती डेंगू कार्ड टेस्ट मरीजों की संख्या 37 है।
चंद टीम निभा रही जागरूकता की औपचारिकता
भले ही कहने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम जागरूकता अभियान चला रही है, लेकिन यह भी महज औपचारिकता भर के लिए ही हो रहा है। राजपुरा में दो महीने से अभियान चल रहा है, लेकिन अभी तक स्थिति जस की तस है। स्वास्थ्य विभाग व्यापक स्तर पर स्वास्थ्य कैंप लगाने में असमर्थ है।
ब्लड के लिए भटक रहे परिजन
दो महीने से अधिक समय से डेंगू का प्रकोप है। डोनर ब्लड दे चुके हैं और दूसरों को भी दिलवा चुके हैं, लेकिन अब ब्लड नहीं मिल रहा है। इसके चलते लोगों को प्लेटलेट्स भी समय पर नहीं मिल पा रहे हैं। समय पर प्लेटलेट्स नहीं मिलने पर मरीज की जान खतरे में आ रही है। इसके बावजूद भी प्रशासनिक तंत्र इस ओर किसी तरह की पहल करता नहीं दिख रहा है।
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