खनिज खोज रहे चॉपर पर वन विभाग का अड़ंगा, कहा - वन्य जीव के आराम में पड़ रहा खलल
चॉपर की आवाज से वन क्षेत्र में जंगली जानवरों के आराम में खलल पडऩे की आशंका पर वन विभाग की टीम ने खोज कर रहे संस्थान के अधिकारियों को कार्यालय तलब कर पूछताछ की।
नैनीताल, जेएनएन : चॉपर से जमीन में खोज कर रही इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सेंसर मशीन की टेस्टिंग के कार्य पर वन विभाग ने आपत्ति जताई है। चॉपर की आवाज से वन क्षेत्र में जंगली जानवरों के आराम में खलल पडऩे की आशंका पर वन विभाग की टीम ने खोज कर रहे संस्थान के अधिकारियों को कार्यालय तलब कर पूछताछ की। इस संबंध में अधिकारियों ने लिखित रूप से वाइल्ड लाइफ एक्ट का उल्लघंन नहीं करने की जानकारी दी है। नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट हैदराबाद के वैज्ञानिकों की टीम जमीन के भीतर खोज करने के लिए कनाडा से लाई गई मशीन की टेस्टिंग कर रही है। मशीन को साथ ले जाकर चॉपर वन क्षेत्र व नगर में उड़ान भर रहा है।
शनिवार को रामनगर वन प्रभाग की टीम कॉलेज पहुंची। उन्होंन संस्थान की टीम से वन क्षेत्र में चॉपर उड़ाने के लिए अनुमति दिखाने के लिए कहा। वन कर्मियों ने नियम का उल्लघंन मिलने पर मुकदमा होने की भी चेतावनी दी। उन्होंने बताया कि चॉपर की आवाज से वन्य जीवों के आराम में खलल पड़ता है। टीम के लोगों को वन विभाग के कार्यालय तलब किया। संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. अजय मांगलिग ने वन विभाग को लिखित रूप से बताया कि उनके द्वारा सर्वेक्षण के लिए भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय से अनुबंध हुआ है। जिसमें सभी अनुमति शामिल होती है। चॉपर को जमीन से 500 मीटर ऊपर उड़ाया जा रहा है। चॉपर की ध्वनि 85 डेसिबल है। लिहाजा उनके द्वारा वाइल्ड लाइफ एक्ट का उल्लघंन नहीं किया जा रहा है। यदि उल्लघंन मिला तो वन विभाग की कार्रवाई मान्य होगी। वन बीट अधिकारी वीरेंद्र पांडे ने बताया कि टीम ने सर्वेक्षण की अनुमति पत्र दिया है। अनुमति पत्र का परीक्षण किया जा रहा है।
कॉर्बेट में नहीं उड़ाया जा रहा चॉपर : टीम के वैज्ञानिकों ने बताया कि सर्वेक्षण वाले क्षेत्रों की जीपीएस लोकेशन दी गई है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के क्षेत्र में चॉपर उड़ाने की अनुमति नहीं दी गई है। केवल अनुमति वाले क्षेत्रों में ही चॉपर उड़ान भर रहा है।
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