ऊर्जा निगम में गबन के मामले में अधिकारियों ने साधी चुप्पी
ऊर्जा निगम में जमकर मनमानी चल रही है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने कार्रवाई के नाम पर चुप्पी साध ली है।
By Edited By: Published: Sun, 19 Aug 2018 12:20 AM (IST)Updated: Sun, 19 Aug 2018 09:04 AM (IST)
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : ऊर्जा निगम में जमकर मनमानी चल रही है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने कार्रवाई के नाम पर चुप्पी साध ली है। मामला विद्युत वितरण खंड जसपुर का है। इस खंड में फरवरी 2018 को 48 लाख रुपये गबन का खुलासा हुआ था। पांच महीने बीत जाने के बाद गबन के मामले में जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें बचाने पर ही जोर दिया जा रहा है। मामला सामने आने पर जब प्राथमिक जांच हुई तो अधिशासी अभियंता शिशिर श्रीवास्तव समेत लेखाकार अरविंद सिंह रावत, टेक्नीशियन ग्रेड सेकंड हुकुम सिंह, कार्यालय सहायक तृतीय अवधेश सिंह, कार्यालय सहायक प्रथम संदीप सक्सेना को निलंबित कर दिया था। कुछ समय बाद ही अधिशासी अभियंता व लेखाकार को बहाल कर दिया। जबकि जांच पूरी भी नहीं हुई थी। यहां तक गबन की हुई रकम जमा भी नहीं हुई थी। ऊर्जा निगम की यह पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है। इसके बावजूद जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को यह प्रकरण नजर नहीं आ रहा है। जबकि, ऊर्जा मंत्रालय की जिम्मेदारी वह खुद देख रहे हैं। ---------- मामले में होनी चाहिए कड़ी कार्रवाई ऊर्जा ऑफिसर्स सुपरवाइजर्स एंड स्टाफ एसोसिएशन भी निगम के अधिकारियों की लीपापोती पर आक्रोशित है। एसोसिएशन के केंद्रीय अध्यक्ष डीसी गुरुरानी कहते हैं कि जसपुर में वसूले गए 48 लाख रुपये के राजस्व की धनराशि आज तक खाते में जमा नहीं की गर्इ्र है। इस मामले में प्रबंधन खानापूर्ति ही गई है। जिन दो अधिकारियों को निलंबित किया, उन्हें भी बिना दंडात्मक कार्रवाई के बहाल कर दिया गया। इस मामले में निर्दोष को को बहाल नहीं किया जा रहा है। एसोसिएशन इस मामले में मुख्यमंत्री से मिलकर भ्रष्टाचार को उजागर करेगी और सख्त कार्रवाई की मांग करेगी। इस बैठक भुवन भट्ट, संजीत कुमार, एलडी पांडे ,आरएस मेहरा, कुलदीप गोयल, वाईसी जोशी, आनंदी देवी, संतोष शर्मा, मनोज जोशी, टीपी गोयल आदि शामिल रहे। --- स्पेशल ऑडिट क्यों नहीं कराया गया अब मांग उठने लगी है कि गबन किए गए मामले में निलंबित करने के साथ ही बर्खास्तगी की कार्रवाई होनी चाहिए थी। स्पेशल ऑडिट होना चाहिए था। इसके बावजूद कुछ नहीं हो रहा है। --- जमा हो रहा है पैसा - एसई उत्तराखंड ऊर्जा निगम लिमिटेड के अधीक्षक अभियंता राजकुमार कहते हैं, प्राथमिक जांच में सस्पेंड हुए थे। इसके बाद हेड क्वार्टर से अधिशासी अभियंता व लेखाकार बहाल हो गए। मामले की रेगुलर जांच चल रही है। निर्धारित रकम भी जमा हो रही है। इस मामले में प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्र का भी पक्ष जानना चाहा, लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ।
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