नर्सिंग होम संचालक और चिकित्सकों ने आयुष्मान योजना में लगाया भ्रष्टाचार का घुन, पढें पूरी खबर
उत्तराखंड में आयुष्मान योजना से संबद्ध निजी अस्पतालों ने योजना के शुरू होते ही उसमें भ्रष्टाचार के घुन लगा दिए । योजना में भ्रष्टाचार के एक से बढ़कर एक मामले सामने आए।
नैनीताल जेएनएन : उत्तराखंड में आयुष्मान योजना से संबद्ध निजी अस्पतालों ने योजना के शुरू होते ही उसमें भ्रष्टाचार के घुन लगा दिए । सरकार के पारदर्शी व्यवस्था के दावों के इतर योजना में भ्रष्टाचार के एक से बढ़कर एक मामले सामने आए। जांच में जिस तरह की अनियमितताएं मिलीं हैं वे चौंकाने वाली हैं। क्लेम लेने के लिए किस तरह से निजी चिकित्सालय संचालक और डॉक्टरों ने मिलकर योजना को चपत लगाने का काम किया, चलिए आपको बताते हैं। गुरुवार को योजना में भ्रष्टाचार का घुन लगाने के लिए ही काशीपुर के देवकीनंदन नर्सिंग होम संचालक डॉ. पुनीत बंसल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
हरिद्वार में एक ही डॉक्टर ने अलग-अलग अस्पताल से रेफर किए मरीज
जीवन ज्योति हॉस्पिटल टिक्कमपुर-सुल्तानपुर हरिद्वार द्वारा इम्पैनलमेंट के लिए दिए गए आवेदन पत्र में चिकित्सालय में पंजीकृत डॉक्टरों की कुल संख्या चार बताई गई। जिसमें डॉ. जॉर्ज सैमुअल का नाम अंकित नहीं था। बावजूद इसके अस्पताल द्वारा प्रस्तुत कुछ क्लेम का परीक्षण करने पर पाया गया कि डिस्चार्ज समरी व क्लीनिकल नोट्स में उनके हस्ताक्षर हैं। डॉ. जॉर्ज मई 2015 से जनपद हरिद्वार की विभिन्न राजकीय इकाइयों में संविदा के आधार पर पूर्णकालिक एलोपैथिक चिकित्सक रहे हैं। वर्तमान में वे अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रायसी पर तैनात हैं। वह प्रिया हॉस्पिटल हरिद्वार में भी एकल चिकित्सक के रूप में कार्यरत हैं, जिसकी सूचीबद्धता निलंबित कर दी गई है । जीवन ज्योति अस्पताल ने 17 अप्रैल 2019 तक कुल 94 क्लेम प्रस्तुत किए हैं। जिसमें 93 नेत्र व्याधियों से जुड़े हैं। यह सभी केस सरकारी चिकित्सा इकाइयों से रेफर किए गए हैं। जिसमें नौ रेफरल पत्रों पर किसी भी चिकित्सक के हस्ताक्षर नहीं हैं। 56 रेफरल पत्रों पर डॉ. जॉर्ज सैमुअल के हस्ताक्षर हैं। जनवरी से फरवरी माह के बीच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लक्सर से 33, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ढण्डेरा से मार्च से अप्रैल तक 24 व अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से 33 मामले रेफर हुए हैं। जहां-जहां डॉ. जॉर्ज की तैनाती थी, वहां से मरीज जीवन ज्योति हॉस्पिटल को रेफर किए गए हैं।
काशीपुर में पति के अस्पताल में मरीज रेफर
सहोता मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, काशीपुर द्वारा इम्पैनलमेंट के लिए दिए गए आवेदन पत्र में पंजीकृत चिकित्सकों की संख्या नौ बताई गई। जिनमें स्त्री रोग विशेषज्ञ के तौर पर डॉ. नवप्रीत कौर का नाम अंकित है। वह एलडी भट्ट राजकीय चिकित्सालय, काशीपुर में संविदा पर तैनात पूर्णकालिक चिकित्सक हैं। सहोता हॉस्पिटल ने आठ अप्रैल तक कुल 93 क्लेम प्रस्तुत किए। जिसमें नौ केस सिजेरियन, 21 केस नवजात से संबंधित, 35 केस डायलिसिस व सात मोतियाबिंद के हैं। सिजेरियन प्रसव के नौ केस का परीक्षण करने पर पाया गया कि तीन केस एलटी भट्ट राजकीय चिकित्सालय, काशीपुर से रेफर किए गए हैं। एक मरीज नसरीन को डॉ. नवप्रीत ने स्वयं रेफर किया है। रेफरल स्लिप पर निश्चेतक की उपलब्धता न होना दर्शाया गया है। दोपहर बाद उन्होंने ही सहोता हॉस्पिटल में महिला की सिजेरियन डिलिवरी की। एक अन्य केस में डॉ. नवप्रीत ने एक रोगी की दो प्रसव पूर्ण जांचें एलटी भट्ट चिकित्सालय में कराई, पर प्रसव सहोता हॉस्पिटल में कराया गया। यहां गौर करने वाली बात यह है कि यह अस्पताल उनके पति डॉ. रवि सहोता का है। उक्त नौ सिजेरियन प्रसव में छह शिशुओं को नियोनेटल आइसीयू में भर्ती कर योजना के तहत उनके क्लेम प्राप्त किए गए। इसके अलावा मोतियाबिंद के छह केस में मेडिकल मैनेजमेंट का पैकेज लेकर प्रति मरीज नौ से दस हजार तक अतिरिक्त क्लेम प्राप्त किया गया।
देवकीनंदन नर्सिंग होम संचालक डॉ. पुनीत बंसल
अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना राज्य स्वास्थ्य अभिकरण की जांच के बाद डॉ. पुनीत बसंल को 10 जून को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। उन्होंने 16 मई तक कुल 143 मरीजों के इलाज का दावा किया था। लेकिन जांच के बाद यह संख्या घटकर 50 से भी कम रह गई। इस पर नौ अगस्त को अभिकरण ने डॉ. बसंल की अटल आयुष्मान योजना से संबद्धता समाप्त कर दी। इसी क्रम में गुरुवार देर शाम स्वास्थ्य अभिकरण के अधिशासी अधिकारी धनेशचंद ने डॉ. बंसल के खिलाफ तहरीर दी। बांसफोड़ान चौकी प्रभारी सतीश कुमार शर्मा ने डॉक्टर के खिलाफ आइपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया।
ये मामले भी हैं गौरतलब
- देवकी नंदन हॉस्पिटल काशीपुर में एक मरीज की तीन अप्रैल 2019 को सर्जरी की गई और अगले ही दिन मरीज को डिस्चार्ज किया गया। उसी मरीज को 12 अप्रैल को हॉस्पिटल में भर्ती किया गया और 20 अप्रैल 2019 को मरीज के उपचार के लिए प्री-ऑथराइजेशन की अनुमति ली गई। जबकि सर्जरी करने से पहले ऑनलाइन अनुमति लेनी जरूरी होती है। इसी तरह के चार मामलों में मरीजों की पहले सर्जरी फिर डिस्चार्ज और बाद में भर्ती दिखाया गया।
- बृजेश हॉस्पिटल रामनगर में किडनी की बीमारी से पीड़ित मरीज दिनेश लाल से 15 हजार आपरेशन फीस ली गई। मरीज से बेड चार्ज और दवाईयों के पैसे नहीं लिए गए। मरीज को डिस्चार्ज करते समय 1200 रुपये की दवाईयों के पैसे लिए गए। जबकि आयुष्मान योजना में कार्ड धारक मरीज को पांच लाख रुपये का कैशलेस इलाज की सुविधा है।
- जसपुर मेट्रो हॉस्पिटल में आयुष्मान कार्ड धारक 15 मरीजों को इलाज कराया गया। लेकिन इन मरीजों से अस्पताल ने 1.41 लाख रुपये लिए और सरकार से भी मरीजों को निशुल्क इलाज कराने का क्लेम लिया।
इन अस्पतालों पर हुई हो चुकी है कार्रवाई
अटल आयुष्मान योजना में एक साल के भीतर ही देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिले के 13 निजी अस्पतालों में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया। जब मरीजों के निशुल्क इलाज, क्लेम के लिए लगाए गए बिलों में सिस्टम ने फर्जीवाड़ा पकड़ा तो सरकार ने ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की। इनमें आस्था हॉस्पिटल काशीपुर, प्रिया हॉस्पिटल हरिद्वार, जन सेवा काशीपुर, कृष्ण हॉस्पिटल रुद्रपुर, अली नर्सिंग हॉस्पिटल काशीपुर, जीवन ज्योति हॉस्पिटल हरिद्वार, विनोद आर्थो हॉस्पिटल देहरादून, देवकी नंदन काशीपुर, बृजेश हॉस्पिटल रामनगर, एमपी मेमोरियल काशीपुर, जसपुर मेट्रो हॉस्पिटल, सोहता सुपर हॉस्पिटल जसपुर, आरोग्यम मेडिकल काॅलेज एंड हॉस्पिटल रुड़की जैसे हॉस्पिटल शामिल हैं।
आयुष्मान योजना में क्लेम का होगा डे ऑडिट
आयुष्मान योजना में सूचीबद्ध अस्पतालों से प्रतिदिन जब 200 से 250 क्लेम भुगतान के मामले आने लगे तब प्रशासन हरकत में आया। अब क्लेम के बिल प्राप्त होेते ही उसी दिन ऑडिट किया जाएगा। जिससे बिलों में गड़बड़ी तत्काल पकड़ में आ जाए। जिन अस्पतालों के क्लेम सही है। उनका भुगतान सात दिन के भीतर किया जाएगा। गलत ढंग से भेजे गए क्लेम को जांच के बाद निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी।
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