देशभर में संकट में हैं गजराज, जानिए कुछ जरूरी और दिलचस्प बातें
घटते जंगल और मानव दखल के कारण आज गजराज संकट में आ गए हैं। साल 2003 में देश में हाथियों की संख्या 45 हजार थी, जो अब 27 हजार रह गई है।
नैनीताल (जेएनएन) : घटते जंगल और मानव दखल के कारण आज गजराज संकट में आ गए हैं। साल 2003 में देश में हाथियों की संख्या 45 हजार थी, जो अब 27 हजार रह गई है। यदि इनके संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया तो इनका अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
गजब की स्मरण शक्ति होती है हाथी में
वन्यजीव विशेषज्ञ एजी अंसारी बताते हैं कि स्मरण शक्ति और बुद्धिमानी के मामले में हाथी का कोई मुकाबला नहीं है। इनकी खासियत है कि हाथी मातृ सत्ता के प्रतीक हैं। सबसे बड़ी बुजर्ग हथिनी ही अपने झुंड को नियंत्रित करती है। हाथी चाहे कितना ही बलशाली क्यों न हो, उसे भी अपने की लीडर की बात माननी होती है।
घटते वासस्थल के कारण संकट में गजराज
वन्यजीव विशेषज्ञ एवं फोटोग्राफर दीप रजवार का कहना है कि जलवायु परिवर्तन, मानव दखल के कारण कंक्रीट में तब्दील होते जंगल, बंद होते कॉरिडोर, जंगलों में चारे का अभाव और पानी की कमी के कारण इनकी आबादी पर संकट पैदा होने लगा है।
गजराजों की कत्लगाह बना था कॉर्बेट पार्क
कार्बेट पार्क 2000 में गजराजों के लिए किसी कत्लगाह से कम नहीं था। उस साल एक 27 दिसंबर, 5 फरवरी, 8 और 10 फरवरी को जंगल में घुस कर हाथियों की हत्या कर उनके दांत निकाल कर शिकारी भागने में कामयाब हुए थे।
म्यूजियम से भी हाथी दांत ले उड़े थे चोर
ऑपरेशन मानसून से पहले 12 जून 2008 को चोर धनगढ़ी म्यूजियम से ही हाथी के लगभग 37 किलो वजनी दो दांत ले उड़े थे, जिसकी पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट भी लगा दी थी। आज भी सीटीआर की खुली दक्षिणी सीमा इनके लिए किसी खतरे से कम नहीं है।
इसलिए होता है शिकार
वन्य जीव विशेषज्ञ संजय छिम्वाल कहते है कि हाथियों का शिकार इनके दांत के लिए किया जाता है। हाथी दांत के बने आभूषण और खिलौने काफी महंगे होते हैं। विदेशों में इनकी काफी मांग है।
कॉर्बेट में हैं 1035 हाथी
2007 की गणना में कार्बेट मेंं 650 हाथी थे, जो 2015 में 1035 हो गए। लेकिन कॉर्बेट में नए हाथियों की गणना के परिणाम की सभी को प्रतीक्षा है।
सुरक्षा तंत्र मजबूत होने का दावा
सीटीआर के उपनिदेशक अमित वर्मा कहते हैं कि पहले हमारे पास संसाधन कम थे। लेकिन अब पूरी चाक-चौबंद सुरक्षा है। कहा कि आधुनिक यंत्रों के अलावा वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए वन कर्मी बराबर गश्त पर तैनात हैं।
हाईकोर्ट का सराहनीय कदम
हाल ही में उच्च न्यायालय पे पालतू हाथियों की सवारी कराने पर रोक लगा दी है। कई वन्यजीव प्रेमियों ने इसका स्वागत किया है। उनका मानना है कि पालतू हथियों का रखरखाव न होने के कारण वह यातना भरा जीवन जीने को मजबूर थे।
जानिए हाथी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें
हाथी अपने शरीर की गर्मी कानों के जरिये बाहर निकालने के लिए करता है। उसके कानों की कोशिकाएं ऐसा करने से उसके शरीर की गर्मी बाहर निकालने का काम करती हैं। इसी कारण अफ़्रीकी हाथियों के कान काफी बड़े होते हैं क्योंकि वहां गर्मी काफी तेज पड़ती है।
जानिए हाथी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें
जिस हाथी के नाम सबसे बड़े हाथी होने का विश्व रिकॉर्ड दर्ज है उसका वजन करीब 10886 किलो और लम्बाई 13 फीट है। हाथी ही एक ऐसा जानवर है जो मनुष्य की आवाज सुनकर पुरुष और महिला में अंतर कर सकता है। इतना ही नहीं हाथी जातियों में भी अंतर कर सकता है।
हाथी एक ऐसा जानवर है जो सूंघकर 4.5 किलोमीटर की दूरी से भी पानी का पता लगा लेता है। हाथी एक मिनट में सिर्फ 2 या 3 बार ही सांस लेते और छोड़ते हैं। हाथी तेज धूप की जलन से बचने के लिए खुद के शरीर पर रेत डालते हैं। जैसे हर मनुष्य की आवाज अलग अलग होती है वैसे ही हर हाथी की गरज भी अलग होती है।
एक शोध में ये बताया गया है की हाथी में जिस भी आवाज को सुन लें उसकी नक़ल करने का हुनर होता है।
हाथी कभी भी आपस में नही लड़ते और उनके झुण्ड के किसी हाथी की मौत हो जाये तो गरज का अपना शोक व्यक्त करते हैं। हाथी काफी शक्तिशाली होते हैं जिनसे शेर भी टकराने से डरता है लेकिन हाथी मधुमक्खियों से डरते हैं। विशालकाय हाथी के शरीर को दिन में 300 किलो खाने और 160 किलो तक पानी की आवश्यकता होती है।
हाथी को दोनों दांतों का वजन 200 किलों से भी ज्यादा का हो सकता है। हाथी एक दूसरे के गर्जन की आवाज 8 किलोमीटर दूर तक से सुन सकते हैं। हाथियों को बारिश का पूर्वाभास भी हो जाता है वो 150 मील दूर से भी बारिश का पता लगा लेते हैं। हाथी एक बार में अपनी सूंड में लगभग 8 से 9 लीटर तक पानी भर सकता है।
हाथी की सूंड काफी ताकतवर होती है जो 350 किलोग्राम तक वजन उठाने में सक्षम होती है।
हाथी का दिमाग बाकी जानवरों के मुकाबले सबसे ज्यादा होता है, इसके दिमाग का वजन करीब 5 किलो तक हो सकता है।हाथी दिन में सिर्फ 2 से 3 घंटे ही सोते हैं। हाथी की आँखों की रौशनी कमजोर होती है और इसी कारण वो अपनी सूंढ़ से जमीन पर हवा फेंकते रहते हैं और अगर हवा जमीन से टकराकर वापस आती है तो ये आगे की राह का अंदाजा लगा लेते हैं।
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