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अब बिना अनुमति ट्रैकिंग पर गए तो सजा व जुर्माना तय, पांच ट्रैकरों की मौत के बाद प्रशासन ने शुरू की कवायद

बिना अनुमति के ग्लेशियरों की तरफ जाने वालों पर आने वाले दिनों में शिकंजा कसेगा। बिना पंजीकरण के जाने पर प्रशासन के पास रेस्क्यृ की स्थिति में कोई जानकारी नहीं होती। इससे रेस्क्यू कहां चलाएं कुछ पता नहीं होता और जान बचने की उम्मीद कम हो जाती है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 02:59 PM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 02:59 PM (IST)
अब बिना अनुमति ट्रैकिंग पर गए तो सजा व जुर्माना तय, पांच ट्रैकरों की मौत के बाद प्रशासन ने शुरू की कवायद
टूर आपरेटर पैसा बचाने के चक्कर में पंजीकरण नहीं कराते हैं।

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : नंदादेवी क्षेत्र नेशनल रिजर्व क्षेत्र है। यहां बिना वन विभाग की अनुमति के कोई भी ट्रैकर नहीं जा सकता है। वन विभाग खरकिया और खाती में पंजीकरण कार्यालय खोलेगा। जिला प्रशासन से समन्वयक स्थापित कर प्रस्ताव भी तैयार कर रहा है। बिना अनुमति के ग्लेशियरों की तरफ जाने वालों पर आने वाले दिनों में शिकंजा कसेगा। बिना पंजीकरण के जाने पर प्रशासन के पास रेस्क्यृ की स्थिति में कोई जानकारी नहीं होती। इससे रेस्क्यू कहां किसा दिशा में चलाएं कुछ पता नहीं होता और जान बचने की उम्मीद कम हो जाती है।

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हिमालय पर पल-पल बदलता मौसम। पहाड़ से वाकिफ नहीं होना भी पर्यटकों की जान पर खतरा बना रहता है। सुंदरढूंगा की साहसिक यात्रा पर निकले पांच बंगाली ट्रैकरों के हताहत होने की सूचना के बाद जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में हैं। हालांकि, हिमालयी क्षेत्र को जाने वालों के लिए कपकोट बाजार में पंजीकरण कार्यालय खोला गया है। यहां लगभग 150 रुपये का शुल्क देना होता है। टूर आपरेटर पैसा बचाने के चक्कर में पंजीकरण नहीं कराते हैं। इसके कारण ट्रैकरों की सटीक जानकारी वन विभाग के पास भी नहीं होती है।

25 हजार रुपये तक जुर्माना

वन विभाग से बिना अनुमति के नंदादेवी ईष्ट जाने वाले पर्वारोहियों पर 25 हजार रुपये तक का जुर्माना वसूला जा सकता है। इसके नेशनल रिजर्व क्षेत्र का उल्लंघन करने पर विभिन्न धाराओं में छह माह से तीन वर्ष तक की सजा का भी प्राविधान है। इसके अलावा वन और अदालत में केस भी चलता है। 

आनलाइन पंजीकरण की नहीं है सुविधा

जिला पर्यटन अधिकारी कीर्ती चंद्र आर्य ने बताया कि हिमालय की तरफ जाने वाले ट्रैकरों के लिए अभी आनलाइन पंजीकरण की सुविधा नहीं हैं। ट्रैकरों को कपकोट स्थित वन विभाग के पंजीकरण कार्यालय पर शुल्क अदा कर अनुमति लेनी होती है। चमोली, पिथौरागढ़ जिले से भी रास्ता होने के कारण ट्रैकरों की सटीक जानकारी विभाग के पास नहीं रहती है।

प्रशिक्षित नहीं होते स्थानीय गाइड

स्थानीय गाइड, पोर्टर, खच्चर चलाने वालों को प्रशिक्षित नहीं किया जाता है। वह हिमालय में रहते हैं और उन्हें पल-पल बदलने वाले मौसम की जानकारी रहती है। अनुमति लेकर कीड़ाजड़ी आदि दोहन के लिए सैकड़ों ग्रामीण प्रतिवर्ष यहां जाते हैं। हालांकि टूर आपरेटरों के पास प्रशिक्षित गाइड आदि होते हैं।

डीएफओ हिमांशु बागरी ने बताया कि नंदादेवी नेशनल रिजर्व क्षेत्र में बिना अनुमति के नहीं जा सकते हैं। सुंदरढूंगा क्षेत्र में गए पर्यटक किस टूर आपरेटर के माध्यम से पहुंचे। उसकी जानकारी जुटाई जा रही है। उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। नियमों का बार-बार उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई तय है।


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