Haldwani News: अब बाघिन की तलाश में छाना जा रहा जंगल, फतेहपुर में वन विभाग का अभियान शुरू
फतेहपुर रेंज में 29 दिसंबर से लेकर 16 जून तक बाघ के हमले में सात लोगों की मौत हुई थी। जिसके बाद जंगल में ट्रैंकुलाइज अभियान चलाया गया। जिसमें पहली सफलता चार महीने बाद बुधवार शाम मिली। एक बाघ को टीम ने बेहोश कर लिया।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: बाघ को ट्रैंकुलाइज करने के बाद वन विभाग ने अब बाघिन की तलाश शुरू कर दी है। शुक्रवार को चार घंटे तक वन विभाग ने दो हाथियों की मदद से घने जंगल मेें बाघिन को खोजने की कोशिश की। लेकिन वह नजर नहीं आई। अब ट्रैप कैमरों को खंगाला जाएगा। इनमें लोकेशन ट्रेस होने पर शनिवार से उस क्षेत्र में टीम हाथी लेकर जाएगी।
रामनगर डिवीजन की फतेहपुर रेंज में 29 दिसंबर से लेकर 16 जून तक बाघ के हमले में सात लोगों की मौत हुई थी। जिसके बाद जंगल में ट्रैंकुलाइज अभियान चलाया गया। जिसमें पहली सफलता चार महीने बाद बुधवार शाम मिली। एक बाघ को टीम ने बेहोश कर लिया। भारतीय वन्यजीव संस्थान की रिपोर्ट मिलने के बाद साफ होगा कि बाघ हमलावर है या नहीं।
वहीं, जंगल के अंदर इंसानों पर हुए हमलों के बाद एक बाघिन का मूवमेंट भी खासा नजर आया। विभाग का मानना है कि कुछ घटनाओं को इसने भी अंजाम दिया होगा। ऐसे में शुक्रवार से हाथी संग वन्यजीव चिकित्सकों और वनकर्मियों ने शुक्रवार से बाघिन की तलाश भी शुरू कर दी।
फील्ड अधिकारियों की निगरानी को लगेगा जीपीएस
हल्द्वानी: प्राकृतिक आपदा के समय सरकारी सिस्टम दुरुस्त रहे। मौके पर उपस्थित रहे। इसके लिए अब सरकारी वाहनों में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लग जाएगा। इसके लिए प्रशासन ने तैयारी कर ली है। अपर जिलाधिकारी अशोक जोशी ने जिले के सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अपने-अपने विभाग की विभागीय वाहनों की पंजीयन संख्या, चालकों के नाम एवं मोबाइल नंबर तथा जीपीएस संख्या राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र को यथाशीघ्र उपलब्ध कराया जाए।
एडीएम ने एआरटीओ विमल पांडेय को जीपीएस सिस्टम लगवाने के लिए प्रस्ताव, आगणन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। एडीएम ने बताया कि बारिश के समय प्राकृतिक आपदाएं आते रहती हैं। कई बार ऐसा होता हे कि फील्ड अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचते हैं। इसलिए पूरी निगरानी के लिए जीपीएस सिस्टम लगाया जा रहा है, जिससे की आपदा के समय तत्काल राहत कार्य शुरू किया जा सके। साथ ही संबंधित अधिकारी की उपस्थिति का भी पता चल सके। उन्होंने बताया कि अभी यह जीपीएस फील्ड से जुड़े अधिकारियों के वाहनों में लगाया जा रहा है।