अब बच्चे बनाएंगे बुजुर्गों को साक्षर, ये है विभाग की योजना, दो विशेष किताबें भी प्रकाशिक
जिन मां-बाप ने बच्चों को स्कूल का रास्ता दिखाया और शिक्षकों ने उन्हें कुछ पढऩे-लिखने लायक बनाया वह बच्चे अब अपने माता-पिता के साथ ही गांव के लोगों को इतना साक्षर बना देंगे कि वह अपना नाम-पता लिख लें।
रुद्रपुर, बृजेश पांडेय : जिन मां-बाप ने बच्चों को स्कूल का रास्ता दिखाया और शिक्षकों ने उन्हें कुछ पढऩे-लिखने लायक बनाया, वह बच्चे अब अपने माता-पिता के साथ ही गांव के लोगों को इतना साक्षर बना देंगे कि वह अपना नाम-पता लिख लें। ताकि जरूरत पडऩे पर माता-पिता यह न कहें कि हम अपना नाम, पता लिखना नहीं जानते।
साक्षर भारत अभियान के तहत वर्ष, 2016 में शिक्षा प्रेरकों को संविदा पर लगाया गया था। इन्हें ग्रामीण इलाकों के अनपढ़ लोगों को शिक्षा देने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। करीब तीन हजार से अधिक शिक्षा प्रेरकों की ड्यूटी लगाई गई। उन्होंने खूब मन लगाकर काम किया। कुछ समय के बाद वर्ष, 2018 में सरकार ने प्रेरकों की सेवा समाप्त कर दी। करीब ढाई साल बीतने के बाद अब एक बार फिर शिक्षा को लेकर शासन को ख्याल आया है। शिक्षा विभाग की ओर से 50 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्तियों को पढऩा-लिखना अभियान के तहत साक्षर बनाने का जिम्मा उठाया है।
इसके लिए एनसीईआरटी ने दो किताबें प्रकाशित की हैं। इसके साथ ही पढ़ाने के लिए अन्य किताब प्रकाशित किया गया है। भाग एक व भाग दो में सामान्य जानकारी उन्हें मिल सकेगी। इसके लिए ऐसे परिवार पर विशेष फोकस रहेगा जिनमें बच्चे छोटे हों और वह अपने बड़ों को पढ़ा सकें। इससे समाज में शिक्षा के साथ ही प्रेरित करने वाले संदेश भी पहुचेंगे। शुरू में ऊधमङ्क्षसह नगर जनपद के लिए 10 हजार पुस्तक एवं 2100 पुस्तिकाएं निर्देशिका प्राप्त हुई हैं। कोविड से राहत मिलने के बाद इस योजना पर गौर किया जाएगा।
ये होंगे विषय एवं पाठ
भाग-1 में परिवार पड़ोंस, ङ्क्षहदी भाषा, जनवरी परिवार, कैसे आएंगी नानी कविता, गिनती एक से नौ तक लिखना एंव पढऩा, बातचीत, एक से 20 की संख्याओं को पहचानना, 20 तक संख्याओं का जोड़ व घटाव, पाठ तीन में 11 से 50 तक गिनती, एक से 50 तक जोड़-घटाव आदि। भाग-2 में अनुस्वार, कहानी, एक से 100 तक गिनती, पुर्नभ्यास, आंकड़ों का प्रबंधन, स्वास्थ्य व स्वच्छता, गणित में एक हजार तक की संख्या पहचानना, पढऩा लिखना, इकाई, दहाई सैकड़ों का समूह आदि।
ये लोग बनाएंगे साक्षर
50 वर्ष से अधिक उम्र वालों को पढ़ाने के लिए उन्हीं के घरों में पढऩे वाले छात्रों से मदद ली जाएगी। इससे उनका रीविजन तो होगा ही अहसास भी अच्छा होगा। वह सीखेंगे भी। इसके अलावा स्वयंसेवियों से मदद ली जाएगी। खंड स्तर पर इस संबंध में चर्चा होगी। सीईओ, यूएस नगर रमेश चंद्र आर्य ने बताया कि लिखना-पढ़ना अभियान के तहत पुस्तकें आ चुकी हैं। कोविड से राहत मिलने पर ब्लाक स्तर से इसका वितरण कराया जाएगा। अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ मिल सके इसके लिए शिक्षाकों को लगाया जाएगा।
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