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पहाड़ में निजी अस्पताल ही नहीं, नर्स की भर्ती के लिए मांग लिया एक साल का अनुभव

राज्य सरकार ने लंबी जद्दोजहद के बाद स्टाफ नर्सों के 1238 पदों पर भर्ती तो निकाली लेकिन यह विवादित हो गई है। इसमें ऐसे नियम थोप दिए गए जिससे कारण अधिकांश अभ्यर्थी आवेदन ही नहीं कर सकते हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 12:58 PM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 12:58 PM (IST)
पहाड़ में निजी अस्पताल ही नहीं, नर्स की भर्ती के लिए मांग लिया एक साल का अनुभव
पहाड़ में निजी अस्पताल ही नहीं, नर्स की भर्ती के लिए मांग लिया एक साल का अनुभव

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : राज्य सरकार ने लंबी जद्दोजहद के बाद स्टाफ नर्सों के 1238 पदों पर भर्ती तो निकाली लेकिन यह विवादित हो गई है। इसमें ऐसे नियम थोप दिए गए, जिससे कारण अधिकांश अभ्यर्थी आवेदन ही नहीं कर सकते हैं। खासकर राज्य के पर्वतीय जिलों के अभ्यर्थी नए नियमों से आहत हैं। नर्सिंग कोर्स कर चुके बेरोजगार सरकार के इस रवैये से आक्रोश जता रहे हैं।

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स्वास्थ्य विभाग ने 12 दिसंबर को 1238 पदों पर स्टाफ नर्सों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया। उत्तराखंड एलिंग वेलफेयर नर्सेज फाउंडेशन के अध्यक्ष बबलू ने कहा कि इससे राज्य के बेरोजगार युवाओं में उम्मीद जगी। जैसे ही नए नियमों की जानकारी हुई तो बेरोजगारों के पांवों तले जमीन खिसक गई। बबलू का कहना है कि राज्य सरकार ने नौ जुलाई, 2020 को नई नियमावली लागू की। इस नियमावली में दो नए नियम थोप दिए गए हैं, जो पहले नहीं थी। पहला है, 30 बेड के हास्पिटल में एक साल का अनुभव। दूसरा, फार्म 16 यानी आयकर जमा करने का प्रमाण पत्र होना। बेरोजगारों का कहना है कि जब हम बेरोजगार हैं तो आयकर कहां से भर रहे होंगे? सरकार को यह बात समझ में नहीं आ रही है।

दिल्ली जैसे राज्य में ऐसा अनुभव नहीं मांगा जाता

दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा इन राज्यों में पहले से अनुभव की कोई बाध्यता नहीं है। बेरोजगारों का कहना है कि आखिर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ऐसे नियम बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?

रोस्टर का भी पालन नहीं हुआ

रोस्टर का पालन भी नहीं किया गया है। जैसे अनुसूचित जाति के पुरुषों के 48 पद रोस्टर के आधार पर होने चाहिए, लेकिन विज्ञप्ति में 42 ही पद दर्शाए गए हैं। इसी तरह से अनुसूचित जाति की महिलाओं के रोस्टर के हिसाब से 189 पद होने चाहिए थे, लेकिन इन्होंने 170 पद ही दर्शाए हैं। इसी तरह के अनुसूचित जनजाति के पुरुष अभ्यर्थियों के 10 पद होने चाहिए थे। पर विज्ञप्ति में सात का ही उल्लेख किया है।

चार जिले में ही बड़े अस्पताल

हकीकत यह है कि राज्य के नौ पर्वतीय जिलों में 30 बेड के निजी अस्पताल नहीं हैं। जब अस्पताल ही नहीं हैं तो बेरोजगारों को नर्सिंग क्षेत्र में काम करने का अनुभव कहां से होगा। बेरोजगारों का कहना है कि नैनीताल जिले में भी केवल हल्द्वानी में ही बड़े अस्पताल हैं। पर्वतीय क्षेत्रों के विकासखंडों में 30 बेड का कोई भी निजी अस्पताल नहीं है। नर्सिंग बेरोजगार कई माध्यमों से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन दे चुके हैं।


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