नैनीताल के महिला अस्पताल में गाइनिकोलॉजिस्ट सर्जन ही नहीं, रेफरल सेंटर बना
प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मंडल और जिला मुख्यालय होने के बावजूद शहर के एकमात्र अस्पताल में चिकित्सकों का टोटा बना हुआ है। एक माह से भी अधिक समय से बीडी पांडे महिला अस्पताल में गाइनिकोलॉजिस्ट सर्जन तैनात नहीं है।
नरेश कुमार, नैनीताल : स्वास्थ्य सेवाओं को चाक चौबंद करने के जनप्रतिनिधि और अफसर कितने दावे क्यों न कर लें, जमीनी हकीकत कुछ और ही बया कर रही है। प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मंडल और जिला मुख्यालय होने के बावजूद शहर के एकमात्र अस्पताल में चिकित्सकों का टोटा बना हुआ है।
आलम यह है कि एक माह से भी अधिक समय से बीडी पांडे महिला अस्पताल में गाइनिकोलॉजिस्ट सर्जन तैनात नहीं है। जिस कारण किलोमीटरो का सफर तय कर अस्पताल पहुँच रही गर्भवती महिलाएं हल्द्वानी रेफर होने को मजबूर है। सर्जन के नहीं होने से एक ओर आपातकालीन स्थिति में पहुँचने वाली महिलाओं के लिए खतरा है तो अब अस्पताल में प्रसव के मामलों में भी कमी आने लगी है।
सरकार एक ओर स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के दावे कर रही है। मगर सुविधाओ और चिकित्सको की कमी के चलते मरीज लाचार है। शहर स्थित बीडी पांडे महिला अस्पताल का हाल भी कुछ ऐसा ही है। शहर और समीपवर्ती ग्रामीण क्षेत्र के हजारों लोग उपचार के लिए बीडी पांडे अस्पताल पर ही निर्भर है। महिला अस्पताल में हर माह प्रसव के 60-70 मामले पहुँचते है। मगर एक माह से भी अधिक समय से अस्पताल में गाइनिकोलॉजिस्ट सर्जन का पद खाली पड़ा है। जिससे सर्जरी वाले डिलीवरी केस रेफर हो रहे है।
सीएमओ नैनीताल डॉ भागीरथी जोशी ने कहा कि हल्द्वानी से डॉ निशा रानी को नैनीताल स्थानांतरित किया गया था। जिनको हल्द्वानी से रिलीव भी कर दिया है, मगर वह मेडिकल लीव पर चली गयी है। हल्द्वानी महिला अस्पताल में भी वर्तमान में दो सर्जन ही तैनात है। जिससे वैकल्पिक वयवस्था भी करना संभव नहीं हो पा रहा है। डॉ निशा से पत्राचार किया जा रहा है। एक सप्ताह के भीतर कुछ व्यवस्था जुटा ली जाएगी।
पूर्व में दो सर्जन थे तैनात, अब एक भी नहीं
बीडी पांडे महिला अस्पताल में डेढ़ माह पूर्व तक दो गाइनिकोलॉजिस्ट सर्जन तैनात थे। अस्पताल में तैनात डॉ मंजू रावत को आठ अक्टूबर को पदोन्नति मिलने के बाद वह रिलीव हो गयी। अस्पताल में दूसरी सर्जन डॉ द्रोपदी गर्ब्याल के सहारे सारी व्यवस्थाएं चल रही थी। मगर दो नवंबर को पारिवारिक दिक्कत के चलते डॉ गर्ब्याल भी मेडिकल लीव पर चली गयी। व्यवस्था बनाने को हल्द्वानी में तैनात डॉ निशा रानी को नैनीताल स्थानांतरित किया गया। मगर आदेश होने के बाद भी चिकित्सक ने नैनीताल में ज्वॉइन नहीं किया। नतीजतन एक माह से भी अधिक समय से अस्पताल बिना सर्जन के चल रहा है।
आधे से भी कम हुए केस
अस्पताल में सर्जन तैनात नहीं होने का सीधा असर अस्पताल के डिलीवरी केसों पर भी पड़ा है। बीते दो माह में ही अस्पताल में डिलीवरी के मामले आधे से भी कम हो गए है। हर माह 60-70 डिलीवरी करवाने वाले अस्पताल में नवंबर में 31 और दिसंबर में अब तक 11 महिलाओं की डिलीवरी ही हो पाई है।