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कैलास पर्वत के चरण स्पर्श करने का हर किसी को नहीं मिल पाता सौभाग्य NAINITAL NEWS

विश्व प्रसिद्ध कैलास मानसरोवर यात्रा में जाने वाले अधिकांश श्रद्धालु कैलास पर्वत के चरण स्पर्श नहीं कर पाते हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 22 Jul 2019 12:27 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jul 2019 11:03 AM (IST)
कैलास पर्वत के चरण स्पर्श करने का हर किसी को नहीं मिल पाता सौभाग्य NAINITAL NEWS
कैलास पर्वत के चरण स्पर्श करने का हर किसी को नहीं मिल पाता सौभाग्य NAINITAL NEWS

पिथौरागढ़, विजय उप्रेती : विश्व प्रसिद्ध कैलास मानसरोवर यात्रा में जाने वाले अधिकांश श्रद्धालु कैलास पर्वत के चरण स्पर्श नहीं कर पाते हैं। एक दल से महज 10 से 15 यात्रियों को ही कैलास पर्वत के चरण स्पर्श करने का सौभाग्य मिलता है। इसके पीछे कारण कैलास पर्वत की करीब तीन किमी कठिन चढ़ाई का होना है। जिसे पार कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। लिहाजा चरण स्पर्श नहीं कर पाने वाले अन्य श्रद्धालु कैलास पर्वत के दर्शन मात्र कर वापस लौटते हैं।

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रविवार को कैलास यात्रा पूरी कर पिथौरागढ़ पहुंचे छठे दल के यात्रियों ने दैनिक जागरण के साथ यात्रा से जुड़े अपने खास अनुभवों को साझा किया। यात्रियों ने बताया कि कैलास मानसरोवर यात्रा में हर वर्ष सैकड़ों श्रद्धालु जाते हैं, मगर कैलास पर्वत के चरण स्पर्श करने का हर किसी को सौभाग्य नहीं मिल पाता है। गुजरात से आए परविंदर व उनकी पत्नी नीपा ने बताया कि कैलास पर्वत के चरण स्पर्श करने के लिए डेरापुक से करीब तीन किमी की खतरनाक खड़ी चढ़ाई पड़ती है। वहां हर मिनट में मौसम बदलता रहता है। जिस कारण हर कोई कैलास पर्वत में चरण स्पर्श करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है। 57 सदस्यीय दल में वह एकमात्र दंपती थे, जिन्होंने कैलास पर्वत के चरण स्पर्श किए। परिवंदर ने बताया कि कैलास पर्वत के चरण स्पर्श करना उनके जीवन का सबसे अच्छा अनुभव रहा। दल से 15 अन्य सदस्यों ने भगवान शिव के वास स्थल में चरण स्पर्श किए। अन्य यात्रियों ने डेरापुक से ही कैलास पर्वत के दर्शन किए। एलओ संजय ने बताया कि दल में 57 सदस्य शामिल हैं। जिनमें से 11 महिला यात्री हैं। सर्वाधिक 13 सदस्य राजस्थान से हैं। दल के सबसे बुजुर्ग यात्री झारखंड निवासी 70 वर्षीय कमलेवर प्रसाद व सबसे युवा गुजरात निवासी निसर्ग हैं। इससे पूर्व स्थानीय पर्यटक आवास गृह में प्रबंधक दिनेश गुरू रानी के नेतृत्व में दल का बुरांश का जूस पिलाकर भव्य स्वागत किया गया। यहां यात्रियों ने कैलास मानसरोवर यात्री वाटिका में पौधरोपण किया। दल दोपहर बाद जागेश्वर को रवाना हुआ। 

यात्रा का नौवां दल नावीढांग पहुंचा
कैलास मानसरोवर यात्रा का नौवां दल अंतिम भारतीय पड़ाव नावीढांग पहुंच गया है। यह दल सोमवार सुबह लिपूपास से तिब्बत में प्रवेश करेगा। इसी दौरानसातवां दल तिब्बत से भारत लौटेगा। आठवां दल तिब्बत में डेरापुक में हैं। दसवां दल बूंदी से चलकर गुंजी पहुंचा है। 


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