Covid-19 : दो मंडल और 13 जिलों वाले उत्तराखंड के सात जिलों में कोरोना का एक भी केस नहीं
उत्तराखंड के सात जिलों में कोरोना संक्रमण का एक भी मामला अब तक सामने नहीं आया है। यह सभी पर्वतीय जिले हैं।
हल्द्वानी जेएनएन : उत्तराखंड के सात जिलों में कोरोना संक्रमण का एक भी मामला अब तक सामने नहीं आया है। यह सभी पर्वतीय जिले हैं। जिनमें गढ़वाल मंडल के चार जिले और कुमाऊं के तीन जिले शामिल हैं। इनके अतिरिक्त जिन दो पर्वतीय जिलों अल्मोड़ा और पौढ़ी गढ़वाल में एक-एक संक्रमण के मामले सामने आए हैं वे स्वस्थ्य होकर अस्पतालों से डिस्चार्ज हो चुके हैं। गढ़वाल मंडल के देहरादून और हरिद्वार जिले कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित हैं, जबकि कुमाऊं मंडल के नैनीताल और ऊधमसिंहनगर जिले में कोरोना के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। नैनीताल में कोरोना संक्रमण का आखिरी केस 24 अप्रैल को आया था। 16 दिनों से संक्रमण का कोई नया मामला सामने नहीं आया है।
उत्तराखंड के कारोना प्रभावित जिले
जिले अब तक मिले केस एक्टिव केस
देहरादून 34 7
हरिद्वार 8 3
पौड़ी गढ़वाल 1 0
यूएस नगर 13 9
नैनीताल 10 1
अल्मोड़ा 1 0
उत्तराखंड सात जिलों कोरोना का एक भी केस नहीं
उत्तराखंड सात जिलों पिथौरागढ़, चंपावत, बागेश्वर, चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, टिहरीगढ़वाल में कोरोना का अब तक एक भी मामला सामने नहीं आया है। बागेश्वर में 25, चमोली में 26, चंपावत में 58, पिथौरागढ़ में 18, रुद्रपयाग में 41, टिहरी में 41, उत्तराकाशी में 210 लोगों के सैंपल की जांच अब तक हो चुकी है। प्रदेश में अब तक कुल 9386 लोगों को सैंपल लिया जा चुका है। जिनमें सर्वाधिक सैंपल 3832 देहरादून जिले से लिए गए हैं। सबसे कम सैंपल अब तक पिथौरागढ़ जिले से लिए गए हैं।
यूएस नगर में सर्वाधिक एक्टिव केस
वर्तमान में कुमाऊं मंडल के ऊधमसिंहनगर जिले में कोरोना के सर्वाधिक एक्टिव नौ केस हैं। इस जिले में संक्रमण के अब तक कुल 13 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं प्रदेश भर में सर्वाधिक संक्रमितों की संख्या 34 देहरादून में मिली है। जहां 27 मरीजों को स्वस्थ्य होने पर डिस्चार्ज कर दिया गया है, जबकि कुल एक्टिव केस महज सात बचे हैं। पहाड़ के जिले पौड़ी और अल्मोड़ा में मिले में एक-एक मरीज स्वस्थ्य होकर जा चुके हैं। प्रदेशभर में अब तक कुल 67 केस मिल चुके हैं, जिनमें 46 स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किए जा चुके हैं। जबकि नैनीताल जिले की एक संक्रमित महिला की एम्स ऋषिकेश में उपचार के दौरान मौत हो चुकी है।
16 मार्च को प्रदेश में आया था पहला मामला
उत्तराखंड में 16 मार्च को कोरोना संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। जिसके बाद स्वास्थ्य महकमे ने अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाने के साथ ही बाहर से आने वालों को क्वारंटाइन करने को लेकर तैयारी तेज कर दी थी। कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज को कोविड-19 के तौर पर सुरक्षित किया गया।
पहाड़ के जिले नहीं सह पाते कोरोना कहर
भौगोलिक परिस्थितियों और स्वास्थ्य सुविधाएं के अभाव के कारण पहाड़ के जिले कोरोना संक्रमण का कहर नहीं झेल पाते। जहां सामान्य दिनों में मीलों पैदल चलकर डोली और चारपाई से मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जाता है, वहां कोरोना का संक्रमण रोकना मुश्किल होता। पहाड़ के जिले में बने पीएचसी-सीएचसी पर ही डॉक्टरों का भारी अभाव है तो जिलां अस्पतालों की भी स्थिति कोई बहुत बेहतर नहीं है। हालांकि कोरोना काल के बाद स्वास्थ्य सुविधाओं में जरूर कुछ सुधार हुआ है।
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