गांव को अलविदा कह शहर का हिस्सा बनी सवा लाख आबादी के लिए स्वच्छता की नीति नहीं
गांव को अलविदा कहकर नगर का हिस्सा बन चुकी सवा लाख आबादी के लिए नगर निगम के पास स्वच्छता नीति तक नहीं है।
हल्द्वानी, जेएनएन : गांव को अलविदा कहकर नगर का हिस्सा बन चुकी सवा लाख आबादी के लिए नगर निगम के पास स्वच्छता नीति तक नहीं है। नव सृजित 27 वार्डों में कहीं तीसरे दिन कूड़ा उठता है तो किसी घर पर डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन का वाहन तक नहीं पहुंचता। एक शहर में दो व्यवस्थाएं होने से लोगों में रोष भी पनपने लगा है।
नगर निगम का नया बोर्ड दो दिसंबर को गठित हो गया था। तीन महीने का समय बीतने को है, पर अभी तक कूड़ा प्रबंधन की नीति स्पष्ट नहीं हो पाई है। जिला पंचायत के समय से चली आ रही व्यवस्था अभी तक जारी है। नव सृजित 27 वार्डों में तीन संस्थाएं सुविधा दे रही हैं। वाहन कम होने से संस्थाएं रोटेशन में तीसरे या चौथे दिन कूड़ा उठान करती हैं। इसके बदले प्रति परिवार 50 रुपये मासिक शुल्क लिया जाता है। नगर निगम संस्थाओं से अनुबंध कर कूड़ा कलेक्शन को प्रति दिन व शुल्क को शेष नगर निगम के बराबर (40 रुपये मासिक) करने की योजना बना रहा है। दो दौर की बैठक होने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला। इससे करीब सवा लाख आबादी प्रभावित हो रही है।
संस्थाओं के पास अपने संसाधन
कूड़ा उठान कर रही तीनों संस्थाएं अपने वाहनों से काम कर रही हैं। जबकि शेष शहर में कूड़ा उठान करने का काम निगम ने निजी कंपनी को दिया है। वाहन निगम ने दिए हैं। इसे भी दोनों के बीच तकरार की वजह बनाया जा रहा है।
निगम व संस्थाओं के बीच वार्तालाप जारी
डॉ. मनोज कांडपाल, नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि निगम व संस्थाओं के बीच वार्तालाप जारी है। तीनों के लिए अलग-अलग कार्यक्षेत्र तय किया जाना है। जल्द ही इस पर फैसला ले लिया जाएगा।
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