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नौवीं शताब्दी का कोटली भट्टीगांव मंदिर अब राष्ट्रीय धरोहर, मंदिर में है कृष्ण व बलराम की दुर्लभ प्रतिमाएं

तहसील गणाईगंगोली के कोटली भट्टीगांव के विष्णु मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मंजूरी दे दी है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 10 Aug 2019 10:01 AM (IST)Updated: Sat, 10 Aug 2019 10:01 AM (IST)
नौवीं शताब्दी का कोटली भट्टीगांव मंदिर अब राष्ट्रीय धरोहर, मंदिर में है कृष्ण व बलराम की दुर्लभ प्रतिमाएं
नौवीं शताब्दी का कोटली भट्टीगांव मंदिर अब राष्ट्रीय धरोहर, मंदिर में है कृष्ण व बलराम की दुर्लभ प्रतिमाएं

गणाईगंगोली (पिथौरागढ़) जेएनएन : तहसील गणाईगंगोली के कोटली भट्टीगांव के विष्णु मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मंजूरी दे दी है। अब तक गुमनाम रहा नौवीं शताब्दी में कत्यूर शासकों द्वारा निर्मित यह मंदिर अब राष्ट्रीय फलक पर उभरने के साथ ही क्षेत्र के पर्यटन को भी पंख लगाएगा।  

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विकास खंड गंगोलीहाट के गणाईगंगोली तहसील के बनकोट कस्बे से दो किमी दूर कोटली भट्टी गांव में स्थित विष्णु मंदिर नौवीं शताब्दी का माना जाता है। जो कत्यूरी शासनकाल का है। इस मंदिर के साथ एक कुंआ था जिसे दियारिया नौला कहा जाता था जो अब नष्ट हो चुका है। इसके दक्षिण में कालसण मंदिर है। मान्यता है कि अतीत में इस मंदिर के निकट जल स्रोत के अपवित्र होने पर नाग प्रकट हो जाते थे। भट्टीगांव के लोग जब कुंए से पानी लाते थे तो उनके बर्तनों में सांप आते थे। ग्रामीण उन सांपों को वहां तक छोड़ते थे। किवदंती यह भी है कि यहां पर एक सफेद नाग रहता है जो किसी भाग्यशाली को नजर आता था।

विष्णु मंंदिर के चारों तरफ सात अन्य छोटे देवालय हैं। मुख्य मंदिर के चारों तरफ कोर्णिक भाग में लघु देव कुलिकाओं का निर्माण किया गया है। मंदिर के गर्भगृह में कृष्ण और बलराम की दुर्लभ प्रतिमाएं हैं। बताया जाता है कि यह मंदिर प्रदेश का ऐसा अकेला मंदिर है जिसमें कृष्ण और बलराम की स्वतंत्र (अलग-अलग) प्रतिमाएं हैं। पुरातत्व विभाग अल्मोड़ा के प्रभारी डॉ. सीएस चौहान के अनुसार दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित इस मंदिर की स्थापना नौंवी शताब्दी में कत्यूरी शासकों ने की थी। इस मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर बनाने की मंजूरी मिलना बड़ी उपलब्धि है। 

बढ़ेगा पर्यटन, गुमनाम क्षेत्र का होगा विकास

कोटली भट्टीगांव विष्णु मंदिर जिले का पहला राष्ट्रीय स्मारक होगा। अब तक गुमनाम रहे विष्णु मंदिर की चर्चा अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होगी। इससे जिले में एक नया पर्यटन स्थल विकसित होगा और क्षेत्र के विकास के द्वार भी खुलेंगे। कोटली विष्णु मंदिर पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और बागेश्वर की सीमा से लगा क्षेत्र है। मंदिर बागेश्वर से 60, अल्मोड़ा से 67 और पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 110 किमी की दूरी पर स्थित है। तहसील गणाईगंगोली का बनकोट क्षेत्र अपनी खूबसूरती को लेकर जाना जाता है। बनकोट से लगभग दो किमी दूर स्थित कोटली विष्णु मंदिर आज तक स्थानीय लोगों के अलावा जनपदवासियों के लिए भी अनजान रहा है। इस मंदिर के बारे में कुछ ही लोग जानते हैं। इधर अब इसके राष्ट्रीय धरोहर बनने पर इसकी गूंज जिला व प्रदेश सहित पूरे देश भर में होगी। राष्ट्रीय स्मारक बनने से  इस छोटे से गांव कोटली तक देश-विदेश के लोग पहुंचेंगे। समाजसेवी रवींद्र बनकोटी का कहना है कि कोटली विष्णु मंदिर का राष्ट्रीय स्मारक बनना क्षेत्र में विकास के द्वार खुलना है। पर्यटन विकास में यह मील का पत्थर साबित होने वाला है। पर्यटन से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तो यहां से पलायन भी थमेगा। 

पाताल भुवनेश्वर से पहले होंगे राष्ट्रीय स्मारक के दर्शन 

राष्ट्रीय स्मारक कोटली विष्णु मंदिर के दर्शन करने के बाद यात्री पाताल भुवनेश्वर गुफा के भी दर्शन कर सकेंगे। मैदानी क्षेत्रों से पहाड़ की ओर आने वाले पर्यटक राष्ट्रीय स्मारक विष्णु मंदिर के दर्शन करने के बाद एक घंटे में पाताल भुवनेश्वर पहुंच जाएंगे।

ऐसे पहुंचें कोटली विष्णु मंदिर 

हल्द्वानी से सड़क मार्ग से वाया अल्मोड़ा, धौलछीना, सेराघाट, गणाईगंगोली होते हुए बनकोट पहुंचेंगे। वहीं कुमाऊं के अंतिम रेलवे स्टेशन टनकपुर से कार या जीप द्वारा चम्पावत, लोहाघाट, घाट, पनार, गंगोलीहाट, राईआगर होते हुए गणाईगंगोली से बनकोट पहुंचेंगे।

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