प्रदूषित पानी खुले में छोडऩे पर एनजीटी ने सिडकुल और सीईटीपी पर फिर लगाया जुर्माना
प्रदूषण के मामले में एनजीटी सख्त है। प्रदूषित पानी छोडऩे पर एनजीटी ने सिडकुल व सीईटीपी पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया।
काशीपुर (ऊधमसिंह नगर), जेएनएन : प्रदूषण के मामले में एनजीटी सख्त है। प्रदूषित पानी छोडऩे पर एनजीटी ने सिडकुल व सीईटीपी पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया तो इसके खिलाफ दोनों ने सुप्रीम कोर्ट से मोहलत मांगने के लिए याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी का मामला बताते हुए वापस वहीं भेज दिया था। अब एनजीटी ने पांच-पांच लाख रुपये और जुर्माना लगा दिया।
सितारगंज सिडकुल (स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड) में करीब 85 फैक्ट्री हैं। इन फैक्ट्रियों से निकलने वाला प्रदूषित पानी सीईटीपी (कॉमन इफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट) में भेजा जाता है। सीईटीपी पानी को फिल्टर कर ग्राम सिद्ध गब्र्याल में छोड़ देता था। इससे ग्रामीणों का जीना मुहाल हो गया तो उन्होंने इसकी शिकायत पहले पीसीबी से की। ग्रामीणों ने कहा कि इससे उठने वाली बदबू से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। फसलें खराब हो रही हैं, मृदा की उर्वरता प्रभावित हो रही है। इसके बावजूद सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने एनजीटी से शिकायत की तो एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक जांच टीम गठित कर रिपोर्ट देने को कहा। टीम ने पीसीबी ऊधमङ्क्षसह नगर के साथ मौके पर पहुंचकर जांच की और रिपोर्ट एनजीटी को सौैंप दी। एनजीटी ने वायु व जल प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट के आधार पर 13 नवंबर 2018 को सिडकुल व सीईटीपी पर 50-50 लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया। इसके खिलाफ सिडकुल व सीईटीपी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो कोर्ट ने मामले को एनजीटी का बताकर वापस कर दिया। इस आधार पर सिडकुल व सीईटीपी ने एनजीटी में प्रार्थना पत्र दिया तो एनजीटी ने नौ जुलाई को सुनवाई करते हुए दोनों पर पांच-पांच लाख रुपये और पेनाल्टी लगा दी। अब दोनों को 55-55 लाख रुपये जुर्माना जमा करना होगा। इस कार्रवाई से उद्यमियों में हड़कंप मचा हुआ है।
एनजीटी ने लगाई पांच-पांच लाख की पेनाल्टी
सुभाष चंद्र पंवार, क्षेत्रीय अधिकारी पीसीबी ऊधम सिंह नगर ने बताया कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था। कोर्ट ने मामला एनजीटी का बताकर वापस भेज दिया था। एनजीटी ने सुनवाई में अब पांच-पांच लाख की पेनाल्टी और लगाई है।