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नई शिक्षा नीति सृजनात्मकता, सामाजिकता और रोजगार को बढ़ावा देने वाली होनी चाहिए nainital news

शिक्षाविद् डॉ. बीएस बिष्ट कहते हैं कि शिक्षा ऐसी हो जिसमें सृजनात्मकता सामाजिकता तो बढ़े ही साथ ही रोजगार के लिए भी उपयुक्त स्थान हो।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 08:58 AM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 08:58 AM (IST)
नई शिक्षा नीति सृजनात्मकता, सामाजिकता और रोजगार को बढ़ावा देने वाली होनी चाहिए nainital news
नई शिक्षा नीति सृजनात्मकता, सामाजिकता और रोजगार को बढ़ावा देने वाली होनी चाहिए nainital news

हल्द्वानी, जेएनएन : नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट कई मामलों में अच्छा है। इसमें आम लोगों के लिए बिना भेदभाव के शिक्षा हासिल करने का प्रावधान है। दुनिया के कई देशों का उदाहरण लेकर तमाम ऐसे विषयों को जोड़ा गया है, जिसकी आज जरूरत है। फिर भी विशाल जनसंख्या व विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले देश में शिक्षा को व्यावहारिक बनाए जाने की जरूरत है। शिक्षाविद् डॉ. बीएस बिष्ट कहते हैं कि शिक्षा ऐसी हो, जिसमें सृजनात्मकता, सामाजिकता तो बढ़े ही, साथ ही रोजगार के लिए भी उपयुक्त स्थान हो।

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गुरुकुल शिक्षा पद्धति में मिलता था व्‍यावहारिक ज्ञान

बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड साइंसेज भीमताल के निदेशक डॉ. बिष्ट सोमवार को दैनिक जागरण कार्यालय में मौजूद थे। जागरण विमर्श का विषय 'देर से आ रही शिक्षा नीति दुरुस्त कैसे बने' पर विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने गुरुकुल से लेकर वर्तमान की शिक्षा पद्धति के बारे में भी बताया। कहा, गुरुकुल शिक्षा पद्धति में केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि सर्वांगीण विकास पर फोकस किया जाता था। अंग्रेजी शासनकाल में लार्ड मैकाले की शिक्षा व्यवस्था आई। उस शिक्षा में सृजनात्मकता नहीं थी। तर्क करने की क्षमता विकसित नहीं हो सकी। आज भी हम गुलामी मानसिकता में हैं। शिक्षा के जरिये ही इसे बदला जा सकता है।

शिक्षा आज भी बहुत दूर

डॉ. बिष्ट कहते हैं कि प्राइमरी, माध्यमिक के बाद उच्च शिक्षा ग्रहण करने वालों की संख्या बहुत कम है। इसके पीछे कई कारण हैं। गरीबी, कॉलेज दूर होना, लड़कियों को कॉलेज-विश्वविद्यालय न भेजना, शिक्षा के प्रति अरुचि, उच्च शिक्षा का महत्व का पता न होना आदि। नई शिक्षा नीति में इस तरह की स्थिति को बदलने की जरूरत हो।

उत्तराखंड के लिहाज से बने नीति

डॉ. बिष्ट कहते हैं कि राज्य की प्राकृतिक संपदाओं, उत्पादों, पर्यटन, संस्कृति, ईको सिस्टम, पर्यावरण, वाइल्ड लाइफ, कृषि, पशुपालन पर आधारित पाठ्यक्रमों की लिंकिंग जरूरी है, ताकि स्थानीय लोग शिक्षा के साथ बेहतर रोजगार भी हासिल कर सकें।

टेक्निकल एजुकेशन व रिसर्च बढ़े

वर्तमान में रिसर्च की स्थिति ठीक नहीं है। टेक्निकल कोर्सेज की पढ़ाई का स्तर भी बेहतर नहीं है। ऐसे में जरूरत है रिसर्च सामाजिक परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए किया जाए। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के साथ प्रेरित करने वाली व्यवस्था हो। बच्चों को शुरुआत से ही आत्मनिर्भर बनाने वाली शिक्षा पर जोर दिए जाने की जरूरत है।

देश में शिक्षण संस्थान

409 राज्य विश्वविद्यालय

127 डीम्ड विश्वविद्यालय

50 केंद्रीय विश्वविद्यालय

300 प्राइवेट विश्वविद्यालय

40 हजार डिग्री कॉलेज

65 टेक्निकिल व एग्रीकल्चरल विश्वविद्यालय

09 संस्कृत व अन्य विश्वविद्यालय

10750 अन्य शिक्षण संस्थान

डॉ. बिष्ट का जीवन परिचय

बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड साइंसेज भीमताल के निदेशक पद पर कार्यरत प्रो. बीएस बिष्ट ने जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर से बीटेक व एमटेक किया। आइआइएम से पीजीडीएम और आइआइटी खडग़पुर से पीएचडी की उपाधि हासिल की। देश के तमाम शिक्षण संस्थानों में अध्यापन कार्य करने के बाद वह कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर में कुलपति पद पर रहे। शिक्षा में उल्लेखनीय कार्य के लिए उन्हें एकेडमिक एक्सीलेंस अवार्ड भी हासिल हो चुका है। उनकी प्रेरणा पाकर हजारों युवा देश-विदेश में उच्च पदों पर हैं।

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