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बाज नहीं आ रहा नेपाल, नो मैंस लैंड पर रोक के बाद भी निर्माण कार्य जारी, मुख्यालय को भेजी रिपोर्ट

नेपाल अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। इंडो नेपाल बॉर्डर के मिसिंग पिलर 811 पर स्थित नो मैंस लैंड पर रोक के बावजूद भी नेपाली नागरिकों ने निर्माण कार्य जारी रखा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2020 05:06 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 05:06 PM (IST)
बाज नहीं आ रहा नेपाल, नो मैंस लैंड पर रोक के बाद भी निर्माण कार्य जारी, मुख्यालय को भेजी रिपोर्ट
बाज नहीं आ रहा नेपाल, नो मैंस लैंड पर रोक के बाद भी निर्माण कार्य जारी, मुख्यालय को भेजी रिपोर्ट

टनकपुर, जेएनएन : नेपाल अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। इंडो नेपाल बॉर्डर के मिसिंग पिलर 811 पर स्थित नो मैंस लैंड पर रोक के बावजूद भी नेपाली नागरिकों ने निर्माण कार्य जारी रखा। मौके पर एसएसबी अधिकारी भी गए लेकिन नेपाली नागरिकों की एकता को देखते हुए वह बैरंग लौट आए। वहीं एसएसबी अधिकारियों का कहना है कि नेपाल के अधिकारियों ने दो दिन का समय मांगा है। दो दिन पूरा होने के बाद ही कोई कार्यवाही की जाएगी। मामले की विस्तृत रिपोर्ट मुख्यालय को भेज दी गई है। बता दें कि भारत नेपाल सीमा विवाद के लिए समय समय पर दोनो देशों के अधिकारियों कि बैठकें कई दशकों से चल रही हैं लेकिन इन बैठकों के आज तक निहितार्थ नहीं निकले। जिसका खामियाजा स्थानीय लोगों व सुरक्षा एजेंसियों को झेलना पड़ता है।

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बता दें इंडो नेपाल सीमा को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच कई बार वार्ता व बैठकें हुई लेकिन आज तक उसका कोई हल नहीं निकला। कोरोना महामारी के लॉकडाउन से पूर्व सर्वे आफ इंडिया की टीम को टनकपुर भेजा गया था। टीम को लखीमपुर खीरी से चम्पावत के बीच मिसिंग व क्षतिग्रस्त पिलरों का निर्माण किया जाना था। उस दौरान बैठक में भी विवादित पिलर नंबर 811 से सर्वे शुरू किए जाने की बात कही गई थी लेकिन नेपाल की टीम नहीं मानी। जिसके बाद लखीमपुर खीरी से सर्वे शुरू किया। टीम के तीन माह टनकपुर रहने के बाद भी भारत नेपाल सीमा पर बने पीलरों का समाधान नहीं हो पाया और मई माह में कोरोना वायरस के चलते सर्वे आफ इंडिया की टीम को देहरादून बुला लिया गया। इसके बीच चार-पांच दिन पूर्व से नेपाल वन समिति व नेपाली नागरिकों ने ब्रहम्देव के पीछे नो मैंस लैंड पर अतिक्रमण के उद्देश्य से तारबाड़ करने को करीब 300 पिलर गाड़ दिए।

जब एसएसबी को इसका पता चला तो एसएसबी ने काम रूकवाने का प्रयास किया लेकिन नेपाली नागरिक नहीं माने तो एसएसबी ने नेपाल के कंचनपुर प्रशासन को इसकी सूचना दी। जिसके चलते गुरुवार को दोनों देशों के अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण किया लेकिन कोई हल नहीं निकला। नेपाल ने इस अतिक्रमण को हटाने के लिए दो दिन का समय मांगा था। इधर, सूत्रों का कहना है कि नेपाली नागरिकों ने शुक्रवार को भी अतिक्रमण का कार्य जारी रखा। सूचना पर एसएसबी की टीम भी गई लेकिन वह भी देखकर वापस आ गई। इस हरकत को देख लगता है कि नेपाली नागरिकों को नेपाल प्रशासन की सह प्राप्त है वह इसे ठीक बता रहे हैं। अब देखना है कि मामले में एसएसबी व स्थानीय जिला प्रशासन का क्या गदम उठाता है।

चंपावत जिले में है 16 पीलर

चंपावत जिले में लगे भारत नेपाल सीमा पर कुल 16 पीलर है। जिसमें बूम में तीन टनकपुर में सात व बनबसा में छह पीलर है। जिसमें कई पीलर गायब हो गये तो कई छतिग्रस्त हो चुके है। यही 811 पीलर है जिसमें विवाद हुआ।

डीएम ने मांगी मामले की विस्तृत आख्या

नो मैंस लैंड पर अतिक्रमण के चलते हुए विवाद मामले की डीएम एसएन पांडे ने बॉर्डर पर तैनात एसएसबी व एसपी ने मामले की विस्तृत आख्या मांगी है। जिससे प्रदेश सरकार व इससे अवगत कराया जा सके। यह जानकारी एडीएम टीएस मर्तोलिया ने दी है।

अगली बैठक में लिया जाएगा निर्णय

आरके त्रिपाठी, कमाडेंट, 57वीं वाहिनी एसएसबी ने बताया कि नेपाली नागरिकों द्वारा आज भी अतिक्रमण कार्य किए जाने की जानकारी मिली है। नेपाल अधिकारियों ने दो दिन का समय दिया है। दो दिन पूरा होने के बाद अगली बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा। मामले की विस्तृत रिपोर्ट मुख्यालय भेज दी गई है। वहीं लोकेश्वर सिंह, एसपी चम्पावत ने बताया कि नेपाली नागरिकों द्वारा आज अतिक्रमण किए जाने की कोई जानकारी नहीं है। नेपाल प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने के लिए दो दिन का समय मांगा गया है। अगर वह अतिक्रमण नहीं हटाते तो लोकल प्रशासन के साथ बैठक की जाएगी।

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