कांग्रेस में शिखर चूम रहे थे एनडी, फिर क्यों थामना चाहते थे भाजपा का दामन
पुत्र रोहित शेखर राजनीतिक महत्वाकांक्षा की खातिर एनडी तिवारी को साथ लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिले थे।
नैनीताल (जेएनएन ) : कांग्रेस के शिखर पुरुष यानी विकास पुरुष के नाम से प्रसिद्ध नारायण दत्त तिवारी। एक समय ऐसा था, जब नरैंणदा देश की प्रमुख राजनीतिक हस्तियों में शुमार हो चुके थे। यहां तक कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौत के बाद पीएम पद की दावेदारी में उनका नाम शीर्ष पर था। ऐसे खांटी कांग्रेसी नेता का 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान अचानक भाजपा का दामन थामने की चर्चा ने जोर पकड़ा। पुत्र रोहित शेखर राजनीतिक महत्वाकांक्षा की खातिर एनडी तिवारी को साथ लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिले थे तो ऐसा ही लगा था। हालांकि बाद में एनडी ने केवल शाह से मिलने की बात कहकर चर्चा को विराम भी दे दिया था।
नैनीताल जिले के छोटे से गांव बल्यूटी में 18 अक्टूबर 1925 को तिवारी का जन्म हुआ था। उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1940 में हो गई थी, जब वह हाईस्कूल में पढ़ रहे थे। 1944 में वह घर से बिना बताए इलाहाबाद पहुंच गए। राजनीति में रुचि रखने वाले नरैंणदा वर्ष 1948 में सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हुए और 1952 में नैनीताल से विधायक निर्वाचित हुए। इस दौरान उन्होंने यूरोप की यात्रा की। इनके जीवन पर समाजवादी नेताओं का प्रभाव पड़ा।
सोशलिस्ट पार्टी में बिखराव के बाद उन्होंने वर्ष 1964 में कांग्रेस ज्वाइन कर ली। तब से वह राजनीति में आगे बढ़ते ही गए। उन्होंने केंद्र में वित्त, उद्योग व विदेश जैसे अति महत्वपूर्ण मंत्रालय का दायित्व संभाला। केंद्र में वित्तमंत्री के रूप में लोकसभा में आम बजट पेश किया। उत्तर प्रदेश में उन्होंने नौ बार बजट पेश किया था। उत्तराखंड में भी पांच बार बजट पेश करने का मौका मिला। उनके राजनीतिक शिखर में चढ़ते हुए एक बार ऐसा मौका आया, जब प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौत हो गई। तब उन्हें प्रधानमंत्री के विकल्प के तौर पर देखा जाने लगा था, लेकिन तब उनका दुर्भाग्य रहा कि वह नैनीताल विधानसभा सीट पर वर्ष 1991 में भाजपा के बलराज पासी से हार गए थे, लेकिन तब भी कांग्रेस में उनका कद कम नहीं हुआ। उत्तर प्रदेश में चौथी बार मुख्यमंत्री का पद संभालने के साथ ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल भी बनाया, लेकिन इसके बाद उनका राजनीतिक ग्राफ घट गया।
एनडी तिवारी का प्रोफाइल
- नारायण दत्त तिवारी का जन्म 1925 में नैनीताल के बल्यूटी गांव में हुआ।
- तिवारी के पिता पूर्णानंद तिवारी वन विभाग में अधिकारी थे।
- शुरुआती शिक्षा हल्द्वानी, बरेली व नैनीताल में हुई।
- इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में एमए किया।
- इसी विवि से एलएलबी की डिग्री भी हासिल की।
- 1942 में वह ब्रिटिश सरकार की साम्राच्यवादी नीतियों के खिलाफ नारेबाजी करने पर गिरफ्तार हुए।
- 1947 में आजादी के साल बाद वह इस इलाहाबाद विवि में छात्र यूनियन के अध्यक्ष चुने गए।
- 1954 में तिवारी का विवाह सुशीला सनवाल से हुआ।
- वर्ष 1993 में उनके पत्नी का निधन हो गया।
- वर्ष 2014 में एनडी ने पत्नी उच्च्वला शर्मा एवं पुत्र रोहित शेखर को विधिक रूप से अपनाया।
कांग्रेस में उनका जीवन
- वर्ष 1964 में कांग्रेस के साथ तिवारी का रिश्ता शुरू हुआ।
- वर्ष 1965 में अखिल भारतीय युवक कांग्रेस के अध्यक्ष बने।
- 1967 पंडित जवाहर लाल नेहरू युवा केंद्र की स्थापना की।
- 1969 में वह कांग्रेस के टिकट पर काशीपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए और मंत्री बने।
- 21 जनवरी 1976 को वह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
- 1977 के जयप्रकाश आंदोलन की वजह से 30 अप्रैल को उनकी सरकार को इस्तीफा देना पड़ा।
- 1977 में काशीपुर से विधायक चुने गए और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष।
- 1980 में नैनीताल संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित और योजना व श्रम मंत्री बने।
- 1981 में केंद्रीय उद्योग, इस्पात व खान मंत्री बने
- 1985 में काशीपुर से तीसरी बार विधायक चुने गए और सीएम बने।
- 1987 में राज्यसभा से मनोनीत किया गया।
- 1988 में चौथी बार उत्तर प्रदेश के सीएम बने।
- 1990 में हल्द्वानी विधानसभा से निर्वाचित हुए और नेता प्रतिपक्ष बने।
- 1994 में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बने।
- 1995 अखिल भारतीय इंदिरा कांग्रेस के अध्यक्ष बने।
- 1996 से नैनीताल संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित।
- 1997 में उत्तर प्रदेश कांगे्रस कमेटी के दूसरी बार अध्यक्ष।
- 2002 में उत्तराख्ंाड के मुख्यमंत्री बने।
- 2007 में आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया।