जिंदगी भर साए की तरह रहे साथ, आखिरी वक्त में भी निभाया ड्यूटी का फर्ज
सुरक्षा में तैनात दोनों कमांडो पूर्व सीएम एनडी के पंचतत्व में विलीन होने तक घाट पर मुस्तैद रहे। ड्यूटी के फर्ज ने उनके चेहरे पर भावुकता की लकीरें नहीं आने दीं।
गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी : जननेता व पर्वत पुत्र पंडित नारायण दत्त तिवारी को सर्किट हाउस व चित्रशिला घाट में अंतिम विदाई देने पहुंचे खास और आम हर शख्स की आंखें नम थीं। दो लोग इस दौरान भी साये की तरह उनके साथ थे। सुरक्षा में तैनात दोनों कमांडो पूर्व सीएम के पंचतत्व में विलीन होने तक घाट पर मुस्तैद रहे। ड्यूटी के फर्ज ने उनके चेहरे पर भावुकता की लकीरें नहीं आने दीं।
उत्तराखंड सरकार ने एनडी तिवारी की सुरक्षा में दो ब्लैक कमांडो तैनात किए थे। पिछले दो साल से ज्योलीकोट निवासी मनोज जीना व रुद्रप्रयाग निवासी प्रवीण सिंह घर से अस्पताल तक उनके साथ रहे। पूर्व केंद्रीय मंत्री व दो राज्यों के सीएम रहने की वजह से उन्हें यह सुरक्षा दी गई थी। मनोज 2005 व प्रवीण 2006 बैच में पुलिस में भर्ती हुए थे। 2008 में मुंबई हमले के बाद एनएसजी की तरह स्पेशल कमांडो ट्रेनिंग लेने की वजह से इन्हें हाई-प्रोफाइल लोगों की सुरक्षा में तैनात किया जाने लगा। पिछले दो साल में एनडी तिवारी हल्द्वानी, लखनऊ और दिल्ली आदि जगहों पर रहे। हर जगह उनकी सुरक्षा में दोनों डटे रहते थे। सर्किट हाउस में अंतिम दर्शन व चित्रशिला घाट में अंतिम संस्कार के दौरान भी दोनों पार्थिव शरीर के ईद-गिर्द मुस्तैद रहे।
तीन राज्यपाल की सुरक्षा भी कर चुके
उत्तराखंड के तीन राज्यपाल की सुरक्षा का जिम्मा भी यह दो कमांडो निभा चुके हैं। इससे पूर्व मारर्गेट अल्वा, अजीज कुरैशी व कृष्ण कांत पॉल की सुरक्षा में दोनों तैनात रह चुके हैं।
घाट पर भी चुनावी चर्चा
चित्रशिला घाट पर उमड़ी भीड़ खामोशी के बीच जननेता को श्रद्धांजलि दे रही थी। बीच-बीच में कुछ लोग एनडी तिवारी जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। इस बीच अंतिम यात्रा में शामिल होने के बाद एक राष्ट्रीय दल के तीन नेता मेयर चुनाव व नामांकन की चर्चा में जुटे थे। ऊंची आवाज में बोलने की वजह से हर किसी की निगाहें इनकी तरफ जम गईं।