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पहाड़ के छोटे से गांव से निकले एनडी, जानिए जीवन की कुछ अहम बातें

पहाड़ के छोटे से गांव से निकलकर देश की सियासत को मजबूत आधार देने वाले एनडी तिवारी का जीवन संघर्ष किसी गाथा से कम नहीं है। आइए उस महापुरुष के जीवन संघर्षों से आपको रूबरू कराते हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 18 Oct 2018 05:57 PM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 08:40 PM (IST)
पहाड़ के छोटे से गांव से निकले एनडी, जानिए जीवन की कुछ अहम बातें
पहाड़ के छोटे से गांव से निकले एनडी, जानिए जीवन की कुछ अहम बातें

राकेश सनवाल, भीमताल : विकास पुरुष एनडी तिवार का निधन भारतीय राजनीति के एक अहम अध्‍याय का अवसान है। स्‍वतंत्रता आंदोलन में हिस्‍सा लेने वाले और छात्र राजनीति में अपनी धमक जमाते हुए देश की राजनीति के प्रमुख हस्‍ताक्षर बनने तक उनका सफर तमाम उतार-चढावों से भरा रहा है । पहाड़ के एक छोटे से गांव से निकलकर देश की सियासत को मजबूत आधार देने वाले एनडी तिवारी का जीवन संघर्ष किसी गाथा से कम नहीं है। आइए उस महापुरुष के जीवन संघर्षों से आपको रूबरू कराते हैं।

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भीमताल के धारी ब्‍लॉक में एक गांव है अक्सोड़ा और बमेठा। इसी गांव से निकले पंडित तिवारी ने दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया । कहने को तो यह गांव सड़क से जुड़ा है लेकिन बारिश और अधिकांश दिन रास्‍ते में मलवा आने के कारण अक्‍सर बंद ही रहता है। पदमपुरी से झांझर और उसके बाद बनलेखी तक तक नौ किमी का एकांत सफर और इसके बाद लगभग दस किमी बमेठा गांव। इस गांव में श्री तिवारी के बिरादरी के लोग हैं पर इनमें से भी अधिकांश हल्द्वानी और हल्द्वानी के समीप हल्दूचौड़ बस गये हैं। क्षेत्र के लोगाें का कहना है कि अपने राजनैतिक जीवन के दौरान श्री नारायण दत्त तिवारी कभी भी अपने पैतृक गांव नहीं गये। कुछ लोंगों का कहना है कि जीवन काल में ही शायद कभी बमेठा गांव गये होंगे।

पैत्रिक गांव में नहीं है तिवारी की कोई संपत्ति

पैतृक गांव बमेठा और अक्सोड़ा में एनडी की कोई संपत्ति नहीं है। श्री तिवारी के पिता स्व. पूर्णानंद तिवारी ने राजनैतिक गतिविधि और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रि‍य‍ रहने के कारण उनको अपनी संपत्ति से अलग कर दिया था। वर्तमान में अक्सोड़ा में श्री तिवारी के चचेरे भाई दुर्गादत्त तिवारी का परिवार (जिसमें उनकी धर्म पत्‍नी भगवती देवी पुत्र पूरन तिवारी, बेटी की बहु किरन और पौत्र आदि रहते हैं। वहीं श्री तिवारी जी के दूसरे चचेरे भाई  स्व. जगदीश तिवारी का पुत्र विजय तिवारी भी अक्सोड़ा रहता है।

तिवारी परिवार का बमेठा से तिवारी लिखने तक का सफर

तिवारी जी के परिवार के बारे में कहा जाता है कि परिवार मूल रूप से अल्मोड़ा से था। पर बाद में नारायण दत्त तिवारी के पूर्वज धारी के बमेठा गांव में आकर बस गये। बमेठा गांव होने के कारण इनके पूर्वज तब बमेठा लिखने लगे पर बाद में जैसे जैसे पूर्वजों का पलायन होता गया तिवारी नाम अपने नाम के पीछे से जोड़ते चले गये। इस संदर्भ में श्री नारायण दत्त तिवारी के सगे भाई रमेश तिवारी जो कि काशी विश्व विद्यालय में प्रो हैं बताते हैं कि शाम वेद को जानने वाले अपने नाम के पीछे तिवारी लगा सकते थे इसलिये कुछ लोंगों ने अपना नाम बमेठा ही रखा और कुछ लोंगों ने तिवारी लिखना प्रारंभ कर दिया।

अक्सोड़ा में श्री तिवारी के परिजन आज भी करते हैं काश्तकारी

नारायण दत्त के परिजन आज भी अक्सोड़ा में काश्तकारी करते हैं। चचेरे भाई दुर्गादत्त के अक्सोड़ा में खेती बाड़ी है तो वहीं खेती के कार्य में उनका बेटा पूरन साथ है। वहीं दूसरे चचेरे भाई का पुत्र विजय तिवारी खेती के साथ साथ पदमपुरी में परचून की दुकान और रैस्टोरेंट है।

फोन पर किया था पदमपुरी की जनता को संबोधित

उत्तर प्रदेश में तीन बार और उत्तराखंड के एक बार मुख्यमंत्री रहे एनडी तिवारी ने अपने कार्यकाल में कई ऐसे विकास कार्य कराए जिससे आज भी लोग लाभान्वित हो रहे हैं। पहाड़ के लोगों से उनका कितना गहरा लगाव था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 22 मार्च 2014 में जब वह अपने पुत्र रोहित शेखर और अपनी पत्नि उज्जवला तिवारी के साथ भीमताल भ्रमण के लिए आये थे तब उनके गृह क्षेत्र से ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का शिष्ट मंडल भीमताल उनसे मिलने के लिये आ गया । दूसरे दिन 23 मार्च को क्षेत्र के भ्रमण और जनता मिलन के लिये उनको मना लिया। स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण तब भी पदमपुरी में जनता को उन्होंने फोन से संबोधित किया और एक एक कर सब की कुशलता पूछी। ग्रामीणों की माने तो क्षेत्र की जनता को शायद उनका वह अंतिम संबोधन था। बोले सब ठीक है ना क्षेत्र में मैं सब को बहुत याद करता हूं सब। उस समय मैदान में जो भी लोग उपस्थित थे सब की आंखे भर आईं ।

पुत्र शेखर से बोले अपने लोगों से मिलना चाहता हूं

इसके बाद 21 अक्टूबर 2015 में एक बार पुन: पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी क्षेत्र में आये इस बार जब वह शीतजल मत्स्य अनुसंधान केन्द्र में पहुंचे तब स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद उन्होंने अपने लोगों के मध्य जाने की मंशा पुत्र रोहित शेखर के सामने प्रगट की। इस बार वे स्वयं पदमपुरी झांझर के मैदान में जनता से मिले और उनका कुशल क्षेम जाना ।

पदमपुरी अस्पताल श्री तिवारी की देन

1977 में जब एन डी तिवारी उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री थे उस समय क्षेत्र की जनता ने स्वास्थ्य की कोई व्यवस्था नहीं होने की जानकारी श्री तिवारी को दी। श्री तिवारी ने पदमपुरी में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना कराई। उस समय कुछ समय के लिये अस्पताल में चिकित्सक भी आये और जांच आदि भी हुई पर जैसे जैसे श्री तिवारी का क्षेत्र में दौरा कम हुआ। अस्पताल की स्थिति भी खराब होते रही। अस्पताल का शिलान्यास श्री तिवारी ने 15 जनवरी 1977 में किया था।

खुट खुटानी सुट विनायक का नारा दिया
बुजुर्ग बताते हैं कि जब धानाचूली पदमपुरी खुटानी मार्ग का प्रारंभ किया गया तब श्रमदान में श्री तिवारी भी सम्मि‍लित हुए उस समय वे श्रमदान करते हुए अक्सर खुट खुटानी सुट विनायक वाले शब्दों का गाना गाया करते थे। जिसका अर्थ था कि पांव के सहारे खुटानी तक और वहां से फटाफट विनायक तक। आज के दिन भी यह मार्ग नैनीताल जनपद के अच्छे मार्गों में गिना जाता है।

भीमताल की औद्योगिक घाटी की स्‍थापना
1980 के दशक में देश के उद्योग मंत्री रहते हुए अपने गृह क्षेत्र में पलायन को लेकर काफी चिंतित रहने वाले श्री नारायण दत्त तिवारी ने भीमताल में 100 एकड़ से भी अधिक भूमि का अधिग्रहण करवाया और वहां युवकों को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से भीमताल में यू पी स्टेट इंडस्ट्रियल कारपोरेशन लि के सहयोग से औद्योगिक घाटी की स्थापना कराई। प्रारंभ के दस वर्षों में यहां उद्योग भी स्थापित हुए और रोजगार भी मिला पर जैसे जैसे अनुदान समाप्त होता गया उद्योगपति अपना कारोबार बंद करते रहे। पर बाद में जब 2014 में श्री तिवारी क्षेत्र में आये तो औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति देख व्याकुल दिखे। भीमताल की औद्योगिक स्थिति के बारे में उन्होंने तब भी उद्योग विभाग और केन्द्रीय उद्योग मंत्री से बात की थी और अपना लगाव भीमताल और विकास के बारे में बताया था। उस समय औद्योगिक बंद होने से बेरोजगार हुए दर्जनों युवकों ने श्री तिवारी से भेंट कर स्थिति की जानकारी दी थी।

सोमवारी बाबा ने कहा था देश ही नहीं विदेश में भी करेगा नाम  

पदमपुरी आश्रम के वर्तमान महंत अटल महाराज बताते हैं कि श्री तिवारी के पिता स्व. पूर्णानंद तिवारी सोमवारी बाबा के भक्त थे। एक दिन श्री पूर्णानंद नारायण दत्त तिवारी को अपने साथ लाये और बाबा ने उनको आशीष दिया। इस संदर्भ में बताते हैं कि उस समय सोमवारी बाबा ने श्री तिवारी के भविष्य के बारे में सटीक भविष्यवाणी की थी। पूर्णानंद को अवगत कराया था कि पुत्र देश में ही नहीं विदेश में भी अपना और आपके परिवार का नाम रोशन करेगा। नारायण दत्त तिवारी को भी सोमवारी बाबा आश्रम से विशेष लगाव था वह जब भी क्षेत्र में आते तो मंदिर में जरूर आते और महाराज का आशीष लेते। वहीं अटल महाराज बताते हैं कि सोमवारी बाबा के शिष्ट इतवारी बाबा ने भी नारायण दत्त तिवारी को आशीष दिया था। जैसा उनके द्वारा भविष्य वाणी की गई थी वैसा ही सब कुछ श्री नारायण दत्त तिवारी के जीवन काल में घटा। दीर्घायु की कामना भी दोंनो संतों ने श्री तिवारी को दी थी।

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