जब नैनीताल डीएम ने एनडी को बता दिया था 'खतरनाक बालक'
स्वतंत्रता सेनानी रहे एनडी ने अपने विद्यार्थी जीवन में 13 वर्ष की अल्पायु में ही संगी बालकों को एकत्र कर वानर सेना का गठन कर दिया था।
अनुज सक्सेना, हल्द्वानी : हर मन में विकास पुरुष, पर्वत पुत्र और जननेता की उपाधि हासिल कर चुके नारायण दत्त तिवारी सिर्फ राजनेता ही नहीं बल्कि राजनीति के भी 'नारायण' थे। ऐसे नारायण जिनके आगे अंग्रेज तक नहीं टिके थे। स्वतंत्रता सेनानी रहे एनडी ने अपने विद्यार्थी जीवन में 13 वर्ष की अल्पायु में ही संगी बालकों को एकत्र कर 'वानर सेना' का गठन कर दिया था।
स्मृतियों को ताजा करते हुए स्वतंत्रता सेनानी स्व.पंडित शंकर लाल के पुत्र पंडित रमेश शर्मा बताते हैं कि नारायण दत्त के पिता पंडित पूर्णानंद तिवारी स्वाधीनता आंदोलन में काफी सक्रिय थे। 1930-31 में गांधी जी ने नमक सत्याग्र्रह शुरू किया। हल्द्वानी में इसकी ज्वाला उस वक्त के दो सक्रिय आंदोलनकारी शंकर दयाल व डॉ.मित्तल ने आगे बढ़ाई। इसके लिए इन दोनों को अंग्र्रेजी हुकूमत ने बंदी बना लिया। उस वक्त एनडी तिवारी की उम्र करीब 10 साल हो चुकी थी। उनके अंदर खुद भी देश के लिए कुछ करने की छटपटाहट शुरू हो गई। वह बालकों की टोली बनाकर सभा करने लगे और देशभक्ति पर अपना ओजस्वी भाषण देते थे। भारत मां की रक्षा के लिए छटपटाहट इतनी हो गई कि 13 वर्ष की अल्पायु में ही नारायण ने गांव और स्कूल के संग-साथी बालकों की वानर सेना बना ली और जनांदोलन के एक नए अध्याय का सूत्रपात कर दिया। इस टोली में उनके अनुज रमेश तिवारी भी शामिल थे। नारायण की कुशल बुद्धिमता का परिचय इसी से मिलता है कि उन्होंने वानर-सेना की पहली मीटिंग कर 'सभी मील के पत्थर हिंदी में हों...' का सबसे पहला नारा बुलंद कर दिया। इससे अंग्र्रेजों की खिलाफत की मंशा तो उजागर हुई ही, हिंदी के प्रति सम्मान के भाव को प्रकट कर दिया। उसके बाद इस टोली ने 'मील के पत्थरों' पर हिंदी में लेखन करने का अभियान छेड़ दिया। यह देख अंग्र्रेज अफसरों की नींद उड़ गई और उन्होंने नारायण को 'खतरनाक बालक' घोषित कर दिया।
1942 में पहली बार एनडी तिवारी के खिलाफ गिरफ्तारी का फरमान जारी हुआ। उन्हें गिरफ्तार कर नैनीताल के जिलाधिकारी गैलन साहब के सामने पेश किया गया। गैलन ने तिवारी से कहा कि अगर तुम अपने सर से टोपी उतारकर फेंक दो तो मैं तुम्हें माफ कर दूंगा...। तिवारी ने जवाब दिया कि टोपी के बाद आप मुझे कहां फेकेंगे...। यह सुन गैलन हंस पड़े। फिर बोले-मैं तुम्हें माफ कर दूंगा। तिवारी तपाक से जवाब दिया कि माफ करके आप साबित करना चाहते हैं कि मैं गुनाहगार हूं...। यह सुन गैलन निरुत्तर हो गए और उन्होंने कुछ देर शांत रहने के बाद एनडी तिवारी को घर में नजरबंद कर दिया।