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अवैज्ञानिक विकास से खत्म हो रहे प्राकृतिक खाद्य संसाधन : प्रो. सुकुमार

भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के प्रोफेसर रमन सुकुमार ने मानव एवं वन्यजीव संघर्ष के लिए सीधे तौर पर मानवीय दखल को जिम्मेदार ठहराया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 10 Sep 2019 07:41 PM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 07:41 PM (IST)
अवैज्ञानिक विकास से खत्म हो रहे प्राकृतिक खाद्य संसाधन : प्रो. सुकुमार
अवैज्ञानिक विकास से खत्म हो रहे प्राकृतिक खाद्य संसाधन : प्रो. सुकुमार

अल्मोड़ा, जेएनएन : भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के प्रोफेसर रमन सुकुमार ने मानव एवं वन्यजीव संघर्ष के लिए सीधे तौर पर मानवीय दखल को जिम्मेदार ठहराया। चेताया कि प्राकृतिक वन क्षेत्रों के विखंडन से वन्यजीवों के खाद्य संसाधन खतरे में हैं। समय रहते व्यापक नीतिगत ढांचा तैयार न किया तो संकट और गहरा जाएगा। प्रो. सुकुमार जीबी पंत राष्टï्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध एवं सतत विकास संस्थान कोसी कटारमल के स्थापना दिवस पर 'मानव वन्यजीव संघर्ष के बीच दोराहे पर संरक्षणÓ विषयक व्याख्यानमाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

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उन्होंने मानव वन्यजीव संघर्ष के लिए जिम्मेदार कारक वन विखंडन की भूमिका को हाथी मानव संघर्ष के जरिये रेखांकित किया। स्पष्ट किया कि विकास से जुड़ी गतिविधियों के कारण प्राकृतिक वनों का लगातार विखंडन हो रहा है। इससे वन्यजीवों के प्राकृतिक खाद्य संसाधन कम पडऩे लगे हैं। कई राज्यों में वनभूमि खनिज खनन व खपत के लिए बायोमास के संग्रह की वजह से जंगली जानवरों के चारे व विचरण स्थल पर भी संकट गहराता जा रहा। ऐसे में समय रहते वन्यजीवों के प्रबंधन को व्यापक नीतिगत ढांचा तैयार करना मौजूदा दौर की सख्त जरूरत है।

कम किया जा सकता है मानव वन्यजीव संघर्ष

कैंपा (वनीकरण व प्रबंधन योजना प्राधिकरण) के जरिये वन्यजीव प्रबंधन की पुरजोर वकालत करते हुए प्रो. सुकुमार ने कहा, आबादी के मद्देनजर जैव विविधता संरक्षण के साथ ही मानव वन्यजीव संघर्ष कम किया जा सकता है। व्यापक लक्ष्यों में खासतौर पर जलवायु परिवर्तन में चल रही व्यवस्था के तहत लोगों की जमीनी स्तर पर सक्रियता व एकजुटता पर भी जोर दिया।

देश विदेश में संस्थान का नाम : डॉ. रावल

निदेशक डॉ. आरएस रावल ने संस्थान का ब्योरा रखा। कहा बीते 30 वर्षों में शोध कार्यों के बूते संस्थान ने देश विदेश में खास पहचान बनाई है। विविध कार्यक्रमों के जरिये लोगों को पर्यावरण संरक्षण व आजीविका से जोड़ा जा रहा।

हिमालयी क्षेत्र चुनौतियों भरा : अजय टम्टा

अध्यक्षता कर रहे सांसद अजय टम्टा ने भारत रत्न पं. गोविंदबल्लभ पंत को याद किया। उन्होंने हिमालयी क्षेत्र की चुनौतियों की ओर ध्यान खींचा। साथ ही संस्थान में प्लास्टिक का इस्तेमाल न किए जाने को पर्यावरणहित में सराहनीय पहल बताया। इससे पूर्व भारतरत्न पं.पंत की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया। संचालन दीपा बिष्ट व समापन वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक प्रो. किरीट कुमार ने किया।

इन्होंने दिया व्याख्यान

निदेशक विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर देहरादून डॉ. एमपीएस बिष्ट, पूर्व कुलपति गढ़वाल विवि प्रो. एसपी सिंह, महानिदेशक उत्तराखंड स्टेट काउंसलिंग फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (यूकॉस्ट) डॉ. राजेंद्र डोभाल, निदेशक भारतीय वन्यजीव संस्थान डॉ. गोपाल सिंह रावत।

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