हिमालयी देशों को इस समस्या से अंतरिक्ष एजेंसी नासा दिलाएगी निजात
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा अब हिमालयी देशों में अनियोजित नगरीकरण की समस्या को दूर करेगी। नासा ने इन देशों के बेतरतीब बस चुके शहरों के अध्ययन के लिए परियोजना शुरू की है।
नैनीताल, [किशोर जोशी]: हिमालयी देशों में अनियोजित नगरीकरण की समस्या से अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा निजात दिलाएगी। नासा की ओर से हिमालयी देशों के बेतरतीब बसे शहरों के बेहतर नियोजन का खाका खींचने के साथ ही बढ़ती नगरीकरण की समस्या का अध्ययन करेगी। साथ ही उसके निदान के लिए सरकार तथा विकास के लिए जिम्मेदार संस्थाओं को सुझाव दिए जाएंगे।
हिमालयी देश भारत समेत नेपाल, भूटान में शहरों का बेतरतीब विकास हो रहा है। झील व नदियों के किनारे दो मीटर दायरे में भारी-भरकम तथा अवैध निर्माण हो रहे हैं। शहरों के अनियोजित विकास के दुष्परिणाम 2013 में केदारनाथ आपदा के रूप में सामने भी आ चुके हैं। बावजूद इसके विशेषज्ञों के सुझावों पर अमल नहीं हो रहा है। अब अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन नासा ने हिमालयी देशों के बेतरतीब बस चुके इन शहरों के अध्ययन के लिए परियोजना शुरू की है।
इस अध्ययन के तहत इन शहरों में आवासीय मकान, होटल, शिक्षण संस्थान, व्यावसायिक प्रतिष्ठान समेत अन्य बिन्दुओं पर जानकारी जुटाई जाएगी। विशेषज्ञ इन शहरों के अध्ययन के बाद सुनियोजित विकास तथा इन शहरों को प्राकृतिक आपदा से बचाने के नीतिगत सुझाव भी तैयार करेंगे।
अध्ययन में पहली बार उत्तराखंड भी शामिल
नासा के इस प्रोजेक्ट में येल विवि अमेरिका, इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट नेपाल, रॉयल भूटान विवि भूटान के साथ ही पहली बार उत्तराखंड के कुमाऊं विवि को शामिल किया गया है। कुमाऊं विवि में भूगोल विभाग के प्रो. पीसी तिवारी को प्रोजेक्ट का समन्वयक बनाया गया है। प्रो. तिवारी के नेतृत्व में विशेषज्ञों का दल नैनीताल के साथ ही अल्मोड़ा, रानीखेत, बागेश्वर, लोहाघाट, डीडीहाट का भ्रमण कर अध्ययन कर चुका है। नेपाल व भूटान के नगरों का पहले चरण का अध्ययन हो चुका है।
शिक्षा और रोजगार शहरीकरण की मुख्य वजह
प्रोजेक्ट के समन्वयक प्रो पीसी तिवारी ने पहले चरण के अध्ययन के प्राथमिक निष्कर्ष बताते हुए कहा कि कुमाऊं में शहरों में अधाधुंध व बेतरतीब शहरीकरण की वजह शिक्षा व रोजगार के लिए गांवों से शहरों की ओर पलायन मुख्यत: सामने आया है। इन शहरों में नियोजन को लेकर सरकारी सिस्टम संजीदा नहीं है। इसलिए बेतरतीब निर्माण हो रहे हैं। नासा की ओर से सेटेलाइट का डेटा भी उपलब्ध कराया गया है।
जनवरी में अमेरिका में होगी कार्यशाला
नासा की ओर से अगले साल जनवरी में अमेरिका में इस संवेदनशील मसले पर कार्यशाला आयोजित की जाएगी। अध्ययन में शामिल वैज्ञानिक हिमालयी क्षेत्र की संवेदनशीलता, शहरों के नियोजन को लेकर निष्कर्ष बताएंगे और शहरों के नियोजन को लेकर सुझाव देंगे। प्रो. तिवारी बताते हैं कि यदि नगरों का सही नियोजन नहीं हुआ तो पूरे हिमालय क्षेत्र पर इसका असर पड़ेगा।
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