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झूलने में झूले नंदलाल झुलाओ रे सजनी.

आनंद, शांति और परमानंद की तृप्ति का एक ही मार्ग है, जो बाहर की सीढि़यों पर चढ़कर प्राप्त नहीं हो सकता।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 07:00 AM (IST)
झूलने में झूले नंदलाल झुलाओ रे सजनी.
झूलने में झूले नंदलाल झुलाओ रे सजनी.

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : आनंद, शांति और परमानंद की तृप्ति का एक ही मार्ग है, जो बाहर की सीढि़यों से चलकर संभव नहीं। यह मार्ग तो आंतरिक यात्रा करके ही संभव होगा। प्यास जन्म-जन्मांतरों की है, इसलिए यह विषय रूपी छोटे-छोटे तालाबों से बुझने वाली नहीं। इसके लिए तो श्रीमद्भागवत महापुराण के महासागर में गोता लगाना ही होगा।

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शनिवार को रामलीला मैदान में चल रहे हरिहर महोत्सव में भागवत कथा सुनाते हुए साध्वी ऋतंभरा ने ये उद्गार व्यक्त किए। भागवत कथा के पांचवें दिन नंदोत्सव मनाया गया। बालकृष्ण के प्रसंग सुन भक्त भावविभोर हो गए। साध्वी ने कृष्ण जन्म के प्रसंग के साथ पूतना वध की कथा सुनाई। बालकृष्ण की मटकी फोड़ झांकी के जरिये लीलाओं का दर्शन कराया गया। साध्वी ने झूलने में झूले नंदलाल झुलाओ रे सजनी, कोमल अधर है, मुखड़ा मधुर है, फूलों से प्यारे-प्यारे गाल.., नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल, आनंद उमंग भयो जय हो नंदलाल भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।

कथा के दौरान साध्वी ने सनातन धर्म से जुड़े लोगों को संस्कारों की ओर ध्यान देने को कहा। उन्होंने कहा कि बदलाव प्रकृति का नियम है। वह किसी चीज का विरोध नहीं करती, लेकिन अपनी सभ्यता और संस्कृति भुलाकर हम क्या संदेश देना चाहते हैं। साध्वी ने कहा कि कन्याओं को कोख में मारा जा रहा है, यह भारतीय सभ्यता और संस्कृति नहीं है। गोविंद भार्गव ने सुनाए भजन

हरिहर महोत्सव में शनिवार को आयोजित भजन संध्या में गोविंद भार्गव ने भजन प्रस्तुत किए। तुम हमारे हो प्रभु जी.राधे तुम्हारी याद में.जैसे मोहक भजनों के माध्यम से कृष्ण की महिमाओं का गुणगान किया। भार्गव ने कहा कि श्याम जिसका हाथ पकड़ लें, वह कभी डूब नहीं सकता और श्याम जिसे छोड़ दें, उसे डूबने से कोई बचा नहीं सकता। देर शाम तक भक्त कृष्ण भक्ति के भजनों में झूमते रहे। इस अवसर पर हरि शरणम जन संस्था प्रमुख रामगोविंद दास भाईजी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।


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