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नैनीताल पालिकाध्यक्ष का पद बनेगा कांटों का ताज

पालिकाध्यक्ष व सभासद पदों पर जीत के लिए भले ही प्रत्याशी एक-दूसरे को पछाडऩे के लिए रणनीति बना रहे हों, मगर पालिका की खराब वित्तीय हालत और ही कहानी बयां कर रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 06:54 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 06:54 PM (IST)
नैनीताल पालिकाध्यक्ष का पद बनेगा कांटों का ताज
नैनीताल पालिकाध्यक्ष का पद बनेगा कांटों का ताज

किशोर जोशी, नैनीताल : पालिकाध्यक्ष व सभासद पदों पर जीत के लिए भले ही प्रत्याशी दिन-रात एक करने के साथ ही एक-दूसरे को पछाडऩे के लिए रणनीति बना रहे हों, मगर पालिका की खराब वित्तीय हालत और ही कहानी बयां कर रही है। उत्तराखंड की दूसरी सबसे पुरानी पालिका वित्तीय कुप्रबंधन के दौर से गुजर रही है। इन परिस्थितियों में पालिकाध्यक्ष का पद किसी चुनौती से कम नहीं है। 40 हजार से अधिक आबादी वाली नैनीताल नगर पालिका के निर्वाचित अध्यक्षों ने वोट बैंक की सियासत को ध्यान में रखते हुए आय के नए स्रोत तलाशने के कारगर प्रयास किए ही नहीं। भवन कर निर्धारण की विसंगतियों की वजह से पालिका को घाटा होता है तो वसूली में हीलाहवाली संकट बढ़ा रही है।

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पालिका सूत्रों के अनुसार हर माह करीब साढ़े तीन सौ कर्मचारियों के वेतन व ढाई सौ से अधिक रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन के लिए एक करोड़ 35 लाख की जरूरत होती है। इसके लिए सालाना पालिका को करीब 17 करोड़ बजट की जरूरत होती है, जबकि राज्य वित्त आयोग से त्रिमासिक किश्त के रूप में 3.63 करोड़ रुपये मिलते हैं। इसके अलावा तमाम कर, लाइसेंस शुल्क, विज्ञापन, लेक ब्रिज टैक्स आदि से पालिका को सालाना सात करोड़ राजस्व मिलता है। इधर, भवन कर निर्धारण की विसंगतियां सालों बाद भी दूर नहीं हो सकी हैं। अब पालिका ने स्वकर निर्धारण प्रणाली लागू करने का फैसला लिया है, जिस कारण नए अध्यक्ष के लिए उम्मीद की किरण हो सकती है। ऐसे में यदि सरकार की ओर से विशेष अनुदान न मिले तो चेयरमैन व सभासद चाहते हुए भी विकास कार्य को अंजाम नहीं दे पाएंगे।

वर्ष में पालिका की प्राप्तियां एक नजर में

भवन व सफाई कर-करीब दो करोड़

पार्किंग निविदा से-करीब दो करोड़

दुकान किराया-दस लाख

लेक ब्रिज व जू शटल वाहन सेवा से-करीब दो करोड़

विज्ञापन-दस लाख

लॉजिंग, रिक्शा, घोड़ा, नौका, स्वान लाइसेंस आदि से-करीब दस लाख

कुल सेवारत कार्मिक-350

रिटायर्ड कार्मिक-260

दशकों बाद नहीं बने नए पार्किंग स्थल : शहर में पार्किंग सबसे बड़ी समस्या है। हाई कोर्ट ने पार्किंग समस्या को देखते हुए पर्यटन सीजन में शहर में पर्यटक वाहनों की एंट्री पर रोक लगा दी थी। जेएनएनयूआरएम के अंतर्गत तल्लीताल, मल्लीताल अंडा मार्केट, कोयलाटाल, अशोक सिनेमा इत्यादि में पार्किंग का प्रस्ताव रखा गया, मगर आज तक इन प्रस्तावों पर अमल नहीं हुआ। इसकी मुख्य वजह वित्तीय दिक्कतें रहीं।

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