हाई कोर्ट नैनीताल ने कहा, कंपनियों को देना होगा प्लास्टिक निस्तार का प्लान या निकायों काे दें प्रतिपूर्ति
उत्तराखंड में कंपनियों को अब अपने प्लास्टिक निर्मित उत्पादों की बिक्री बेरोकटोक करने की अनुमति नहीं मिलेगी। कंपनियों को ना केवल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पंजीकरण कराना होगा बल्कि अपने प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए प्लान भी बनाना होगा।
किशोर जोशी, नैनीताल : उत्तराखंड में कंपनियों को अब अपने प्लास्टिक निर्मित उत्पादों की बिक्री बेरोकटोक करने की अनुमति नहीं मिलेगी। कंपनियों को ना केवल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पंजीकरण कराना होगा बल्कि अपने प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए प्लान भी बनाना होगा।
कंपनियां प्लास्टिक कचरे के निस्तारण का इंतजाम खुद नहीं करती है तो निकाय करते हैं तो प्रतिपूर्ति देनी होगी। ऐसा नहीं करने पर राज्य में उनके उत्पादित माल के उत्पादन, बिक्री व मार्केटिंग पर रोक लगाई जाएगी। हाल ही में उच्च न्यायालय की ओर से पारित महत्वपूर्ण आदेश में सख्त दिशा निर्देश दिए हैं। यह आदेश कोर्ट की वेबसाइट में अब जारी हुआ।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कोर्ट में दाखिल शपथ पत्र में बताया गया है कि अब तक राज्य में 174 कंपनियों ने पंजीकरण कराया है, जबकि हजारों कंपनियों के उत्पादों का उत्पादन, बिक्री व मार्केटिंग यहां हो रही है।
ब्रिटानियां समेत चुनिंदा कंपनियां ऐसी हैं, जिनकी ओर से प्लास्टिक कचरा निस्तारण को लेकर कार्ययोजना तैयार की है, जबकि अन्य कंपनियों ने केवल पंजीकरण कराया है, प्लान दिया ही नहीं है। हाई कोर्ट ने समय सीमा के अंदर पंजीकरण नहीं कराने वाली कंपनियों को पीसीबी की ओर से 15 दिन का समय दिए जाने पर भी सख्त नाराजगी जताई है।
2016 में जारी हुई थी अधिसूचना
शासन ने फरवरी 2016 में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट से संबंधित अधिसूचना जारी की थी। जिसमें कहा गया था कि प्लास्टिक मैन्यूफेक्चरिंग कंपनियों के साथ ही मॉल, मल्टीप्लैक्स, होटल, मोटल, रेस्ट्रा आदि में प्लास्टिक वेस्ट के लिए नियत स्थान बनाएंगे। 28 दिसंबर 2019 को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का आदेश जिलाधिकारियों को बाध्य करता है कि वह अपने अधिकार क्षेत्र में पैदा होने वाले प्लास्टिक कचरे की मात्रा के संबंध में जानकारी एकत्र करें और पीसीबी को जानकारी दें।
हाई कोर्ट के आदेश में टिप्पणी
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दे पर राज्य के अधिकारी संवेदनशील नहीं हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें अपने दायित्वों, उत्तरदायित्वों व कर्तव्यों के साथ ही ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के उद्देश्य से विभिन्न अधिनियमों और उनके तहत बनाए गए नियमों के बारे में जानकारी नहीं हैं। मुख्य सचिव राज्य, जिला और पंचायत स्तर पर अधिकारियों को शामिल करते हुए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के वैधानिक प्रावधानों से अवगत कराएंगे।
आदेशों का पाल सुनिश्चित कराया जाएगा
निदेशक शहरी विकास नवनीत पाण्डे ने बताया कि प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के संबंध में उच्च न्यायालय के जो आदेश निकायों को होंगे, उनका अनुपालन सुनिश्चत कराया जाएगा। हरिद्वार व देहरादून में औद्याेगिक इकाईयों की कचरा निस्तारण को लेकर नई योजना पर काम शुरू हो चुका है। यदि कंपनियां कचरे का निस्तारण अपने स्तर से नहीं करती हैं तो उनको निकाय तैयार हैं, लेकिन उनको तय बजट देना होगा।