वित्तीय अनियमितता व सरकारी धन के दुरुपयोग में फंसे नायब नाजिर, गबन का केस दर्ज nainital news
राजकीय कोष में धनराशि जमा न करके तीन माह तक अपने पास रखना नायब नाजिर को इतना महंगा पड़ा कि तहसील प्रशासन ने उनके खिलाफ गबन का मुकदमा दर्ज करा दिया है!
जसपुर (ऊधमसिंह नगर), जेएनएन : राजकीय कोष में धनराशि जमा न करके तीन माह तक अपने पास रखना नायब नाजिर को इतना महंगा पड़ा कि तहसील प्रशासन ने उनके खिलाफ गबन का मुकदमा दर्ज करा दिया है, जबकि डीएम के आदेश पर उन्हें पहले ही निलंबित किया जा चुका है। 18 सितंबर को एसडीएम सुंदर ङ्क्षसह ने तहसील कार्यालय का औचक निरीक्षण किया था। एसडीएम को यहां नायब नाजिर नीरज कुमार द्वारा दिखाए गए अभिलेखों में गड़बड़ी का शक हुआ।
एसडीएम ने तहसीलदार विपिन पंत, नायब तहसीलदार सुदेश कुमार एवं उपकोषाधिकारी निरूपमा पांडे की तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर प्रकरण की जांच के निर्देश दिए थे। जांच में पाया गया था कि नायब नाजिर ने खनन के जुर्माने, डोलबंद, मिट्टी उठान एवं सीमांकन में आई एक लाख तैंतालिस हजार 889 रुपये की धनराशि राजकोष में जमा न कराकर अपने पास रख ली। तीन माह एवं छह माह के अंतराल में यह धनराशि सरकारी खजाने में जमा कराई गई। जांच समिति ने नायब नाजिर के इस कृत्य को वित्तीय अनियमितता एवं सरकारी धन का दुरुपयोग बताकर एसडीएम को रिपोर्ट सौंपी। नायब नाजिर पर कानूनी कार्रवाई के लिए एसडीएम ने डीएम को रिपोर्ट भेज दी। इस रिपोर्ट पर बुधवार को डीएम ने नायब नाजिर को निलंबित कर जिला मुख्यालय में अटैच कर दिया है। साथ ही गुरुवार को नायब तहसीलदार सुदेश कुमार ने उन पर गबन का केस दर्ज करा दिया। कोतवाल उमेद ङ्क्षसह दानू ने बताया कि आरोपित पर गबन का मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है। आरोपित नीरज कुमार का कहना है कि जांच समिति ने न तो मेरे बयान दर्ज किए और न ही मुझ से स्पष्टीकरण मांगा। मेरे द्वारा पैसा जमा करा दिया गया था।
इस तरह जमा कराई गई धनराशि
मार्च माह की अलग अलग तिथियों में पचास हजार, दस हजार, 32 हजार 310 एवं 51 हजार 579 रुपये खनन आदि मद में प्राप्त हुए थे जो नायब नाजिर द्वारा तीन माह से अधिक विलंब के साथ राजकीय कोष में जमा कराए गए।
रसीद बुक से गायब मिली रसीद
हदबंदी के एक मामले में एसडीएम ने महुआडाबरा के किसान से 1700 रुपये की धनराशि लेखा शीर्षक में जमा करने के निर्देश दिए थे। इस पर तत्कालीन तहसीलदार एवं नायब नाजिर ने रसीद के माध्यम से शुल्क प्राप्त करने की रिपोर्ट दी थी। जांच समिति के मुताबिक बुक से रसीद गायब है और प्राप्तियों का कोई विवरण नहीं है।
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