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भारत-नेपाल के मध्य झूला पुलों को खोलने की मांग को लेकर आंदोलन तेज, जल्‍द शुरू हो सकता है आवागमन

भारत-नेपाल के मध्य अंतर्राष्ट्रीय झूला पुलों को खोलने को लेकर झूलाघाट के व्यापारियों का आंदोलन व धारचूला के व्यापारियों का प्रदर्शन दोनों देशों के लिए परेशानी का शबब बन चुका है। मित्र राष्ट्र ऊपर से रोटी-बेटी का संबंध होने के कारण भी सीमा खोलने भी मजबूरी है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 04:04 PM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 04:04 PM (IST)
भारत-नेपाल के मध्य झूला पुलों को खोलने की मांग को लेकर आंदोलन तेज, जल्‍द शुरू हो सकता है आवागमन
भारत-नेपाल के मध्य झूला पुलों को खोलने की मांग को लेकर आंदोलन तेज,

पिथौरागढ़, जेएनएन : भारत-नेपाल के मध्य अंतर्राष्ट्रीय झूला पुलों को खोलने को लेकर झूलाघाट के व्यापारियों का आंदोलन व धारचूला के व्यापारियों का प्रदर्शन दोनों देशों के लिए परेशानी का शबब बन चुका है। मित्र राष्ट्र, ऊपर से रोटी-बेटी का संबंध होने के कारण भी सीमा खोलने भी मजबूरी है। दोनों देश सीमा खोलने के लिए जल्द कोई निर्णय ले सकते हैं।

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इधर नेपाल में भारत की सेना से सेवानिवृत्त्त पूर्व सैनिकों की पेंशन का मामला भी लटका हुआ है। नेपाल सरकार ने भारत सरकार से अपने भारतीय पेंशन लेने वाले पेंशनर्स के लिए एक सप्ताह पुल खोलने का अनुरोध किया है। इस अनुरोध को लेकर भारत के व्यापारी आंदोलन की राह पकड़ चुके हैं। झूलाघाट के व्यापारियों ने बीते दिनों 14 दिन तक क्रमिक अनशन चलाया। व्यापारियों का कहना है कि मात्र पेंशनर्स के लिए नहीं बल्कि हमेशा के लिए पुल खोले जाएं।अन्यथा भारतीय व्यापारी पेंशनर्स के लिए पुल खुलने पर पुल के गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। दूसरी तरफ बीते दिनों एक घंटे के लिए नेपाल के अनुरोध पर धारचूला में पुल खोले जाने पर भारतीय व्यापारियों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। भारतीय व्यापारी पुल को हमेशा के लिए खोलने की मांग कर रहे हैं।

व्यापार संघ अध्यक्ष धारचूला बीएस थापा, जौलजीबी के अध्यक्ष धीरेंद्र धर्मशक्तू, झूलाघाट के अध्यक्ष जगदीश जोशी का कहना है कि उनके बाजार नेपाल पर निर्भर है। विगत सात माह से व्यापारियों को नब्बे प्रतिशत नुकसान झेलना पड़ रहा है। इक्का दुक्का लोगों के अनुरोध पर पुल खोले जाते हैं परंतु व्यापारियों की मांग को अनसुना कर दिया जाता है।

संबंधों की निकटता दोनों देशों की कमजोरी बनी

भारत नेपाल के बीच संबंधों की निकटता दोनों देशों की सरकारों की कमजोरी बन रही है। सीमावर्ती क्षेत्र में रहने वाले भारत और नेपाल के लोगों के बीच संबंध बेहद मधुर हैं। रोटी ,बेटी का रिश्ता है। एक दूसरे देश में ब्याही गई बेटिया विगत सात माह से अपने मायके नहीं जा पा रही हैं। नाते रिश्तेदारी में होने वाले आयोजनों में भाग नहीं ले पा रहे हैं। जिसे लेकर सीमा वाले क्षेत्र में रोष बढ़ता जा रहा है।

सीमा से लगे बाजारों में सुनसानी

सीमा पर स्थित दोनों देशों के बाजार सुनसान हैं। भारत का झूलाघाट हो या नेपाल का जुल्लाघाट, भारत की जौलजीबी हो या नेपाल की जौलजीबी, भारत का धारचूला हो या नेपाल का दार्चुला। सभी स्थानों पर सुनसानी छाई है। झूलाघाट और धारचूला बाजार नब्बे प्रतिशत नेपाली ग्राहकों पर निर्भर है। जौलजीबी बाजार 80 प्रतिशत नेपाल पर निर्भर है। दूसरी तरफ नेपाल के बाजार भी भारतीय ग्राहकों पर निर्भर हैं। नेपाल से भारत के बाजारों में दूध से लेकर तमाम स्थानीय उत्पाद भारत लाकर बेचे जाते हैं। वहीं नेपाल के बाजारों से भारतीय लोग सामान खरीदते हैं। जिस कारण दोनों देशों के व्यापारी प्रभावित हैं।

15 नवंबर तक सील है सीमा

नेपाली सूत्रों के अनुसार भारतीय व्यापारियों के आंदोलन का नेपाल में भी प्रभाव पड़ा है। बताया जा रहा है कि इस आंदोलन को लेकर दोनों सरकारें कुछ कदम उठा सकती हैं। दोनों देशों के लोगों के बीच के मधुर संबंध, व्यापारिक गतिविधियां, लेनदेन और सुख दुख के भागीदार होने से सरकारों को इस दिशा में जल्दी कदम उठाना पड़ेगा। अलबत्त्ता नेपाल द्वारा तीस गते कार्तिक यानि 15 नंवबर तक सीमा की है।


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