शेरवुड प्रकरण: इकलौते बेटे को न्याय दिलाने के लिए आठ साल तक मां ने लड़ी न्यायिक जंग
मृतक छात्र शान के सहपाठी नेपाल निवासी छात्र ने गवाही देकर बताया कि शान की तबियत बेहद खराब थी लेकिन उसे मात्र दर्द की दवा दी गई। शान की मौत मामले की जांच में तत्कालीन एएसपी व वर्तमान में चमोली की एसपी श्वेता चौबे ने अहम भूमिका निभाई।
किशोर जोशी, नैनीताल: देश-दुनियां के शिक्षण संस्थानों में प्रसिद्ध व प्रतिष्ठित शेरवुड कालेज के नौवीं के छात्र शान प्रजापति की मौत मामले में सीजेएम नैनीताल रमेश सिंह की अदालत के आदेश का पब्लिक स्कूलों को बड़ा संदेश गया है। काेर्ट ने छात्र की मौत मामले में विद्यालय प्रबंधन को लापरवाही का दोषी करार देने के साथ ही दो साल कैद व जुर्माने की सजा सुनाकर साफ इशारा है कि नामी आवासीय पब्लिक स्कूलों में किस कदर बच्चों के रहन सहन में लापरवाही बरती जाती है।
इस मामले में मृतक छात्र की मां नीना ने इकलौती संतान को न्याय दिलाने के लिए ना केवल अभियोजन पक्ष की मदद की बल्कि अपने स्तर से भी विशेष अधिवक्ता को नामित किया। अदालत के आदेश से मां के कलेजे में ठंडक पड़ी है और उसने सरकारी पक्ष व विशेष अभियोजक का धन्यवाद ज्ञापित किया है। इस मामले से शिक्षा हब नगरी नैनीताल की साख को धक्का लगा था।
नवंबर 2014 में शेरवुड के छात्र शान की मौत के बाद विद्यालय प्रबंधन में हड़कंप मच गया था। शान की मां नीना श्रेष्ठ की ओर से नामित अधिवक्ता हरीश पाण्डे के अनुसार शान की तबियत नौ नवंबर से ही खराब हो गई थी।
विद्यालय की डिस्पेंसरी से उसको दर्द की दवा दी गई। हाउस मास्टर ने शान की कोई केयर नहीं की। उन्होंने अदालत में दलील दी कि अत्यधिक हालत बिगड़ने पर शान को एंबुलेंस के बजाय बुलेरो वाहन में विद्यालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के साथ हल्द्वानी भेज दिया गया। यह भी आरोप लगाया कि जब हल्द्वानी के निजी अस्पताल से उसे दिल्ली भेजा गया तो तब भी एंबुलेंस में कोई डाक्टर नहीं था, जबकि उसकी हालत बेहद गंभीर थी। कालेज के लोकल चिकित्सक डा डीपी गंगोला ने भी बयान दर्ज कराया कि उनसे फोन पर ही संपर्क कर परामर्श लिया गया।
नेपाल निवासी सहपाठी ने खोली पोल
विद्यालय में मृतक छात्र शान के सहपाठी नेपाल निवासी छात्र ने गवाही देकर बताया कि शान की तबियत बेहद खराब थी लेकिन उसे मात्र दर्द की दवा दी गई। शान की मौत मामले की जांच में तत्कालीन एएसपी व वर्तमान में चमोली की एसपी श्वेता चौबे ने अहम भूमिका निभाई।
श्वेता ने दबाव को दरकिनार कर विद्यालय पहुंचकर रजिस्टर समेत अन्य दस्तावेज कब्जे में लिए। साथ ही बयान दर्ज कराए। अधिवक्ता हरीश पाण्डे के अनुसार इस मामले में सजा होने में श्वेता के साथ ही मृतक छात्र के मां तथा उसके सहपाठी की गवाही का अहम योगदान रहा है। मृतक की मां तो इसी माह पहले पखवाड़े फाइनल सुनवाई के दौरान खुद अदालत में मौजूद रही। मृतक छात्र की मां वित्तीय संस्थान में अफसर है।
जस्टिस फार शान आंदोलन भी चला
शेरवुड के छात्र शान प्रजापति की मौत मामला राष्ट्रीय स्तर पर सूर्खियों पर रहा। तत्कालीन केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय को इस मामले की जांच को लेकर पत्र लिखा था। इस मामले में प्रधानाचार्य समेत तीन लोगों के विरुद्ध अदालत में 19 जनवरी 2016 को चार्जशीट दाखिल की गई।
शान को न्याय दिलाने के लिए शेरवुड के पूर्व छात्रों ने नैनीताल समेत हल्द्वानी, दिल्ली, लखनऊ, आगरा, कानपुर में प्रदर्शन करने के साथ ही जस्टिस फार शान अभियान चलाया। जिसके तहत इंटरनेट मीडिया में अभियान चलाने के साथ सड़क पर कैंडल मार्च निकाला गया।
शेरवुड कालेज प्रबंधन की ओर से पूरे प्रकरण की सीबीसीआइडी जांच की मांग की थी, जिसे शासन ने खारिज कर दिया। अब अदालत के फैसले पर शेरवुड कालेज प्रबंधन की प्रतिक्रिया लेनी चाही लेकिन उन्हेांने किसी तरह की टिप्पणी से इनकार कर दिया।
उल्लेखनीय है कि शेरवुड कालेज सदी के महानायक अमिताभ बच्चन,,अभिनेता कबीर बेदी, विवेक मुस्कान, राम कपूर के अलावा भारत के पहले फील्ड मार्शल मानिक शॉ, समेत अनेक नौकरशाह, सेना के अफसरों तथा अन्य चर्चित हस्तियोंकी पाठशाला रही है।