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मां-बाप की चीख पुकार से गांव में पसरा मातम, हर आंख हुई नम

गंगोलीहाट तहसील के बडेना गांव के शहीद के पार्थिव शरीर के पहुंचते ही मां बदहवास हुई तो पिता बेहोश हो गए। शहीद की बहनों के क्रंदन से पूरा गांव रोने लगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 27 Oct 2018 07:24 PM (IST)Updated: Sat, 27 Oct 2018 09:20 PM (IST)
मां-बाप की चीख पुकार से गांव में पसरा मातम, हर आंख हुई नम
मां-बाप की चीख पुकार से गांव में पसरा मातम, हर आंख हुई नम

गंगोलीहाट (जेएनएन) : गंगोलीहाट तहसील के बडेना गांव के शहीद के पार्थिव शरीर के पहुंचते ही मां बदहवास हुई तो पिता बेहोश हो गए। शहीद की बहनों के क्रंदन से पूरा गांव रोने लगा। आंसू भरे आंखों से सभी ने शहीद के अंतिम दर्शन किए और सदा के लिए विदा किया। पूरा वातावरण ऐसा रहा कि हर आंखों में नमी थी तो अंदर से गुस्सा। दो दिन पूर्व जम्मू कश्मीर के अनंतनाग के ट्राइ जंक्शन में अलगाववादियों के पथराव में शहीद हुए बडेना गांव निवासी राजेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर पैतृक गांव पहुंचा।

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पिथौरागढ़ आर्मी ब्रिगेड मुख्यालय में श्रद्धांजलि देने के बाद सेना के वाहन से पार्थिव शरीर को पैतृक गांव ले जाया गया। जिला मुख्यालय से लगभग पैंसठ किमी दूर बडेना गांव में पार्थिव शरीर पहुंचते ही जहां एक तरफ शहीद के सम्मान में नारे लगे वहीं दूसरी तरफ परिजनों के बिलखन से सभी आंखे नम हो गई।  पार्थिव शरीर के गांव में पहुंचते ही दो दिनों से पुत्र के चले जाने का गम सह रहे पिता चंद्र सिंह बेहोश हो गए। माता मोहिनी के करु ण विलाप से पूरा वातावरण रोने लगा।

एक तरफ बेहोश पिता को ग्रामीण होश में लाने का प्रयास कर रहे थे तो दूसरी तरफ माता को महिलाएं संभाले थी। शहीद की दोनों बहनों का क्रंदन ऐसा रहा कि खुद गंगोलीहाट की महिला विधायक मीना गंगोला और ब्लॉक प्रमुख गंगा बिष्ट उन्हें संभालने में लगी। घर के चिराग के बुझ जाने से जीवन भर पुत्र को लेकर स्वप्न सजाए पिता चंद्र सिंह के मुंह से आवाज निकलनी बंद हो गई । गांव के अन्य ग्रामीण भी फूट -फूट कर रोने लगे। अपने व्यवहार के चलते सभी का चहेता उन्हें छोड़ कर चला गया। एक दूसरे को सांत्वना देने के लिए भी ग्रामीणों के पास शब्द नहीं रहे।

दो दिन से नहीं जले चूल्हे, किसी घर से नहीं उठा धुंआ

गांव के युवक  के शहीद होने की सूचना शुक्रवार सायं को मिल गई थी। सूचना मिलने के बाद पूरा गांव शोक में डूब गया था। जिस युवक के व्यवहार और कार्यों को लेकर ग्रामीणों ने तमाम सपने पाले थे। उसी युवक के चले जाने का दर्द ग्रामीणों के आंसुओं पर छलका। सूचना मिलने के बाद शुक्रवार की रात से शनिवार दिन भर सारे ग्रामीण भूखे रहे। किसी भी घर पर न तो चूल्हा जला और नहीं भोजन बना।


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