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शीतकालीन पलायन के दौरान हिमालयी वन्‍यजीवों का होता है सबसे अधिक अवैध शिकार NAINITAL NEWS

उच्च वहिमालयी वन्य जीवों के माइग्रेशन का समय आ चुका है। उच्च हिमालय में हिमपात के साथ ही वन्य जीव तलहटी को माइग्रेशन करते हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 08:11 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 12:29 PM (IST)
शीतकालीन पलायन के दौरान हिमालयी वन्‍यजीवों का होता है सबसे अधिक अवैध शिकार NAINITAL NEWS
शीतकालीन पलायन के दौरान हिमालयी वन्‍यजीवों का होता है सबसे अधिक अवैध शिकार NAINITAL NEWS

पिथौरागढ़, जेएनएन : उच्च हिमालयी वन्य जीवों के माइग्रेशन का समय आ चुका है। उच्च हिमालय में हिमपात के साथ ही वन्य जीव नीचे की तरु माइग्रेशन करते हैं। इस समय उन्हें अवैध शिकारियों का सबसे अधिक खतरा रहता है। सुरक्षा के उपाय नहीं के बराबर होने से वन्य जीवों को शिकारियों की गोली या फिर बुग्यालों में लगाई आग लील लेती है।

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उच्च हिमालयी वन्य जीव दुर्लभ हैं, जिसमें राज्य पशु कस्तूरा और राज्य पक्षी मोनाल जैसे भी शामिल हैं। दोनों अपनी विशेषताओं के कारण शिकारियों की नजर में रहते हैं। कस्तूरा को इस सीजन में  सबसे अधिक खतरा रहता है। कस्तूरा मृग भादो माह यानि मध्य अगस्त से मध्य सितंबर तक प्रजनन करता है। कार्तिक माह में कस्तूरा मृग को माइग्रेशन करना पड़ता है। कार्तिक माह यानि 16 अक्टूबर से 16 नवंबर के बीच उच्च हिमालय में हिमपात होते ही यह नीचे को आने लगता है। लगभग एक डेढ़ माह पूर्व जन्मे बच्चे  इनके साथ होते हैं। कस्तूरा को अपनी जान के साथ इन बच्चों को भी बचाना होता है। इसकी इसी लाचारी का फायदा अवैध शिकारी उठाते हैं।

कस्तूरा मृग हिमरेखा के साथ रहने वाला जीव है। ज्यों- ज्यों बर्फ गिरने से हिमरेखा नीचे को खिसकती है तो कस्तूरा मृग भी नीचे को उतरता है। कस्तूरा मृग झुंड में आते हैं। हालांकि नाभि में कस्तूरा रखने के कारण शिकारियों का निशाना नर कस्तूरा होता है। झुडोंं में रहने के कारण शिकारियों की गोली से मची भगदड़ में बच्चे से लेकर मादा कस्तूरा भी शिकार बन जाती हैं। इसके अलावा कस्तूरा माइग्रेशन के दौरान बुग्यालों में शरण लेते हैं। बुग्यालों की घास इस समय सूखी रहती है। शिकारी बुग्यालों के चारों तरफ आग लगा देते हैं। इस आग की चपेट मेंं आकर भी कस्तूरा मृग मर जाते हैं।

शीतकालीन माइग्रेशन में सुरक्षा आवश्यक

शीतकालीन माइग्रेशन के दौरान उच्च हिमालयी वन्य जीवों के लिए सुरक्षा आवश्यक रहती है। ठंड बढ़ जाने से ऊंचाई वाले स्थानों पर स्थितियां विपरीत हो जाती हैं। शिकारी संसाधनों लैस होते हैं वे शिकार के लिए पहुंच जाते हैं परंतु वन विभाग संसाधन नहीं जुटा पाता है। पूर्व सैनिकों की मदद से शिकार पर रोक लगाने का प्रयास नाकाफी है। जब तक विभाग कदम उठाता है तब तक शिकारी अपना काम कर जाते हैं।

कस्तूरा मृगों की संख्या का नहीं है पता

पिथौरागढ़, चमोली, उत्त्तरकाशी के उच्च हिमालय की कस्तूरा मृगों की संख्या का पता नहीं है। इनकी गणना तक नहीं हुई है, जिसके चलते इनके शिकार के आंकड़े भी नहीं हैं।

अवैध शिकार पर पूरी तरह से लगेगा अंकुश

वन रेंजर पूरन देऊपा ने बताया कि उच्च हिमालयी वन्य जीवों के शिकार को रोकने के लिए वन विभाग ने तैयारियां की हैं। वन्य जीवों के माइग्रेशन करते ही वन कर्मियों की टीम क्षेत्र को रवाना हो जाएंगी। इसके लिए पूर्व सैनिकों की भी मदद ली जाएगी। अवैध शिकार पर अंकुश लगाने के लिए विभाग प्रयासरत है।


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