Move to Jagran APP

ग्लैंडर्स घोड़े में मिलने वाली सबसे खतरनाक बीमारी, लक्षण मिलने पर मार दिया जाता है घोड़ा

घोड़ों में पाई जाने वाली जीवाणुजनित बीमारी ग्लैंडर्स को लेकर पशुपालन विभाग ने जहां सतर्कता बढ़ा दी है। इसकी रोकथाम के लिए लगातार घोड़ों के खून का सैंपल लिए जा रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 12:00 PM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 12:00 PM (IST)
ग्लैंडर्स घोड़े में मिलने वाली सबसे खतरनाक बीमारी, लक्षण मिलने पर मार दिया जाता है घोड़ा
ग्लैंडर्स घोड़े में मिलने वाली सबसे खतरनाक बीमारी, लक्षण मिलने पर मार दिया जाता है घोड़ा

रुद्रपुर, जेएनएन : घोड़ों में पाई जाने वाली जीवाणुजनित बीमारी ग्लैंडर्स को लेकर पशुपालन विभाग ने जहां सतर्कता बढ़ा दी है। इसकी रोकथाम के लिए लगातार घोड़ों के खून का सैंपल लिए जा रहे हैं। बीते माह भी पशुपालन विभाग ने 50 से अधिक सैंपल लिए थे। इनकी रिपोर्ट में एक भी नमूना पॉजिटिव नहीं निकलने से विभाग ने राहत की सांस ली है। उप्र के कुछ जिलों में ग्लैंडर्स बीमारी पाए जाने पर हड़कंप मच गया था।

loksabha election banner

घाेड़े की देखभाल करने वाले भी होते हैं प्रभावित

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. गोपाल सिंह धामी ने बताया कि ग्लैंडर्स घोड़ों में पाई जाने वाली बैक्टीरिया जनित बीमारी है। इसमें घोड़े की आंख व नाक से पानी आने के साथ ही गांठे व चकत्ते पड़ जाते हैं। इसकी चपेट में आकर इसकी देखभाल करने वाले आदमी में भी पहुंचने की आशंका रहती हैं। इसकी रोकथाम के लिए लगातार हर माह घोड़े के खून का सैंपल हाइसिक्योरिटी लैब हिसार हरियाणा भेजा जाता है।

डीएम की अनुमति के बाद मार दिया जाता है घाेड़े को

इसके लिए रुद्रपुर जिला पशु चिकित्सा केंद्र पर डॉ. निधि वर्मा की तरफ से सैंपलिंग की कार्रवाई अमल में लाई जाती है। उनका कहना था कि यह बहुत ही खतरनाक बीमारी है जिसका पता चलने के बाद घोड़े को भी डीएम से परमीशन लेने के बाद मार दिया जाता है। फिलहाल अभी तक जिले में ग्लैंडर्स से ग्रस्त एक भी घोड़े को चिह्नित नहीं किया गया है।

घोड़े में यह लक्षण दिखे तो हो जाएं सतर्क

घोड़े पालने वालों को पशुपालन विभाग लगातार सतर्क रहने को कहता है। इसके लिए लगातार जिले भर में खून के सैंपल लिए जाते हैं। विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 2012 की पशु जनगणना के अनुसार घोड़ों व खच्चरों की कुल संख्या 1689 थी, जो इन बीते सालों में बढ़ गई है। इसका आंकड़ा पशुपालन विभाग के पास मौजूद नहीं है, जिन घोड़ों की आंख व नाक से पानी बहना शुरू हो जाता है। वहीं शरीर पर छोटे-छोटे चकत्ते, गांठें पड़ जाती हैं।  इसकी जद में आने वाले व्यक्ति की छाती में दर्द, नाक व मुंह से पानी आने के साथ ही सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। यह बारसेलडेरिया मेलिआई नामक जीवाणु से फैलता है।

पशुओं में पाई जाने वाली सबसे खतरनाक बीमारी

मुख्य जिला पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ. गोपाल सिंह धामी ने बताया कि यह पशुओं में पाई जाने वाली बीमारियों में सबसे खतरनाक बीमारी है, जो कि घोड़ों से मनुष्य तक पहुंच सकती है। यह इतनी जल्दी फैलती है कि इससे बच पाना काफी मुश्किल होता है। यह बीमारी न फैले इसके लिए लगातार सैंपलिंग की जाती है। इसको लेकर विभाग पूरी सतर्कता बरत रहा है।

यह भी पढ़ें : एसएसबी जवान ने दहेज के लालच में धाेखे से की तीसरी शादी, पीडि़ता की तहरीर पर मुकदमा दर्ज


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.