Uttarakhand में बंदरों का आतंक, घरों में घुसकर कर तोड़फोड़; बच्चों पर कर रहे हमला
Monkey Terror उत्तराखंड के भीमताल में बंदरों का आतंक लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। बंदरों का झुंड हर समय घूमता रहता है और कारों में तोड़फोड़ घरों में घुसकर उत्पात मचाना और पौधों को नुकसान पहुंचाना आम बात हो गई है। स्थानीय लोग कई बार वन विभाग से शिकायत कर चुके हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
जासं, भीमताल। Monkey Terror: भीमताल में इन दिनों की सबसे बड़ी समस्या बंदर बन गई है। यहां हर समय बंदरों का झुंड घूमता रहता है। बंदर कभी किसी की कारों में तोड़फोड़ करते हैं तो किसी घर में घुसकर उत्पाद मचा देते हैं। यही नहीं यहां बंदर ग्रीन बेल्ट, पार्क और घरों के सामने लगाए गए गमलों में फूल पौधे को तोड़कर काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
इसके अलावा छतों पर पानी की टंकियों का ढक्कन भी तोड़ रहे हें। कई बार खुले या छत पर रखा सामान भी उठाकर भाग जाते हैं। यहां आए दिन बंदरों की संख्या बढ़ने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है।
इन बंदरों को पकड़वाने के लिए स्थानीय लोग कई बार वन विभाग में शिकायत कर चुके हैं। इसके बाद भी संबंधित अधिकारी बंदरों को पकड़वाने के लिए तैयार नहीं हैं।
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लोग बंदरों से परेशान
भीमताल में बंदरों के आतंक से टीआरएच रोड, डंठी रोड, मुख्य बाजार, डाट रोड व तिकोनिया आदि एरिया के लोग बंदरों से परेशान हैं। भीमताल झील स्थानीय निवासी राज कुमार सिंह व तेज बहादुन ने बताया कि बंदरों की संख्या इतनी अधिक हो चुकी है कि चारों तरफ तोड़-फोड़ करते रहते हैं।
घरों के सामने गमले में लगाए गए फूल-पौधों को तोड़ रहे हैं। यही नहीं ग्रीन बेल्ट व पार्क में लगाए गए पेड़-पौधों की टहनियां तोड़ देते हैं। महंगे-महंगे गमले को फूल सहित तोड़कर नुकसान कर रहे हैं। उनका कहना है कि बंदरों को पकड़वाने के लिए कई बार वन विभाग के अधिकारियों से शिकायत की जा चुकी है। इसके बावजूद भी संबंधित अधिकारी इस तरफ ध्यान देने को तैयार नहीं हैं।
आरोप है कि छोटे बच्चों को कुछ खाते देख बंदर उन पर कूद पड़ते हैं और हाथ से सामान छीनकर भाग जाते हैं। जिससे लोग परेशान हो चुके हैं। स्थानीय लोग बंदरों के आतंक से परेशान होकर वन विभाग एवं प्रशासन को पत्र लिख कर जाल लगाते हुए पकड़वाने की मांग की है।
नगर में बंदरों का आतंक वाले स्थानों पर जल्द ही टीम को सारे संसाधन के साथ भेजकर जाल लगवाया जाएगा। जहां से बंदरों को पकड़ कर रेक्स्यू सेंटर भेजा जाएगा। - मुकुल शर्मा, रेंजन, वन विभाग-भीमताल