चीन-नेपाल सीमा से लगे 16 गांवों की नेटर्किंग सेवा दुरुस्त होगी, टॉवर लगाएगी सरकार
लचर संचार सेवा से जूझ रहे चीन-नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों के भारतीय गांव अब नेटवर्किंग में रफ्तार पकड़ेंगे।
पिथौरागढ़, जेएनएन : लचर संचार सेवा से जूझ रहे चीन-नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों के भारतीय गांव अब नेटवर्किंग में रफ्तार पकड़ेंगे। इस सुविधा से लाभांवित होने वाले उत्त्तराखंड में 28 गांव हैं, जिसमें पिथौरागढ़ जिले के सीमावर्ती नौ गांव और चम्पावत जिले के सात गांव शामिल हैं। इन गांवों में नए वर्ष के जनवरी अंत तक फोन बजने लगेंगे।
भारत सरकार के दूरसंचार मंत्रालय के सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि के तरफ से जारी सूचना में बताया गया है कि राज्य सरकार से सीमावर्ती गांवों की सूची मांगी गई थी, जहां पर मोबाइल टावर लगने हैं। प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड के 28 गांवों की सूची भेजी है। जिसमें 11 गांव चमोली, सात गांव चम्पावत और नौ गांव पिथौरागढ़ के शामिल हैं। पिथौरागढ़ जिले के नौ गांव में धारचूला का दर, जिप्ती, छिरकिला और सोबला तथा मुनस्यारी के बौना, बिल्जू और मिलम हैं। विकास खंड मूनाकोट के नेपाल सीमा से लगे कटियानी और तड़ीगांव शामिल हैं। मुनस्यारी के बिल्जू और मिलम चीन सीमा से लगे गांव हैं। यहां मोबाइल नेटवर्क मजबूत होगा।
पिथौरागढ़-अल्मोड़ा संसदीय सीट से सांसद अजय टम्टा ने बताया कि चीन और नेपाल सीमा पर संचार विहीन गांवों को संचार से जोडऩे के लिए वर्ष 2014 से लगातार मांग की जा रही थी। कई बार लोकसभा में यह मामला उठाया गया। जिसके परिणाम स्वरूप अब प्रथम चरण में पिथौरागढ़ जिले के नौ गांव व चम्पावत के सात गांव को मोबाइल नेटवर्क से जोडऩे की स्वीकृति मिली है। बीएसएनएल और रिलायंस की जियो कंपनी से बात हुई। रिलायंस कंपनी को कार्य दिया गया है। आने वाले तीन वर्षों में सीमा से लगे सभी गांव मोबाइल नेटवर्क से जुड़ जाएंगे।